संदर्भ:
हाल ही में नॉर्वे ने आधिकारिक रूप से आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर कर किये हैं, जिससे वह उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जो अंतरिक्ष की शांतिपूर्ण, पारदर्शी और उत्तरदायी खोज के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह हस्ताक्षर समारोह ओस्लो स्थित नॉर्वेजियन स्पेस एजेंसी (NOSA) के मुख्यालय में आयोजित किया गया।
आर्टेमिस समझौते के बारे में:
आर्टेमिस समझौता एक गैर-बाध्यकारी बहुपक्षीय पहल है, जिसे अमेरिका ने NASA और अमेरिकी विदेश मंत्रालय के माध्यम से शुरू किया है। इसका उद्देश्य नागरिक अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक शांतिपूर्ण, पारदर्शी और सहयोगपूर्ण ढांचा तैयार करना है। यह समझौता 1967 की आउटर स्पेस संधि (Outer Space Treaty) पर आधारित है और उसके सिद्धांतों को आधुनिक अंतरिक्ष युग की आवश्यकताओं के अनुरूप विस्तार देता है।
प्रमुख सिद्धांत:
1. शांतिपूर्ण उद्देश्य: बाह्य अंतरिक्ष में सभी गतिविधियाँ अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप और केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए संचालित की जानी चाहिए।
2. पारदर्शिता: हस्ताक्षरकर्ता देश अपनी नीतियों, योजनाओं और वैज्ञानिक जानकारियों को खुले तौर पर साझा करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।
3. अंतरसंचालनीयता (Interoperability): अंतरिक्ष प्रणालियों के बीच तकनीकी संगतता को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा मिले।
4. आपातकालीन सहायता: अंतरराष्ट्रीय समझौतों के अनुरूप, संकट की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को सहायता प्रदान करना सदस्य देशों की जिम्मेदारी है।
5. अंतरिक्ष विरासत का संरक्षण: बाह्य अंतरिक्ष में स्थित ऐतिहासिक स्थलों और कलाकृतियों की रक्षा हेतु प्रतिबद्धता जताई जाती है।
6. संसाधनों का उपयोग: आउटर स्पेस ट्रीटी के अनुसार, अंतरिक्ष संसाधनों के सतत और जिम्मेदार उपयोग का समर्थन किया जाता है।
7. कक्षीय मलबा प्रबंधन: अंतरिक्ष मलबे को कम करने और मिशन के बाद उसके सुरक्षित निपटान हेतु सर्वोत्तम व्यवहारों को अपनाने और बढ़ावा देने की बात कही गई है।
महत्त्व:
- अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
- अंतरिक्ष गतिविधियों में सुरक्षा, पारदर्शिता और स्थिरता सुनिश्चित करता है।
- पूरी मानवता के लाभ के लिए शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण अंतरिक्ष उपयोग को प्रोत्साहित करता है।
वर्तमान स्थिति:
- अब तक 55 देश आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।
- भारत भी इसका हस्ताक्षरकर्ता है, लेकिन NASA के नेतृत्व वाले आर्टेमिस प्रोग्राम में भाग नहीं ले रहा है।
बाह्य अंतरिक्ष संधि (OST) – 1967 के बारे में:
बाह्य अंतरिक्ष संधि, जिसका औपचारिक शीर्षक "चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाह्य अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में राज्यों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों पर संधि" है।
यह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून की आधारशिला मानी जाती है। इस पर जनवरी 1967 में हस्ताक्षर किए गए थे और यह अक्टूबर 1967 में प्रभावी हुई थी।
बाह्य अंतरिक्ष संधि के प्रमुख सिद्धांत:
1. शांतिपूर्ण उपयोग: बाह्य अंतरिक्ष का उपयोग केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। इसमें सैन्य गतिविधियों पर सीमाएं होंगी तथा किसी भी प्रकार की आक्रामक कार्रवाई प्रतिबंधित होगी।
2. विनाशकारी हथियारों पर प्रतिबंध: पृथ्वी की कक्षा, चंद्रमा अथवा अन्य खगोलीय पिंडों पर परमाणु हथियार या किसी भी प्रकार के अन्य विनाशकारी हथियारों की तैनाती सख्त रूप से निषिद्ध है।
3. अन्वेषण की स्वतंत्रता: सभी देशों को, चाहे वे विकसित हों या विकासशील, अंतरिक्ष के अन्वेषण और उपयोग की स्वतंत्रता प्राप्त है। इन गतिविधियों का उद्देश्य सम्पूर्ण मानवता का कल्याण होना चाहिए।
4. स्वामित्व निषेध: कोई भी राष्ट्र चंद्रमा या किसी अन्य खगोलीय पिंड पर अपना अधिकार या स्वामित्व नहीं जता सकता। बाह्य अंतरिक्ष किसी के भी अधीन नहीं हो सकता।
5. उत्तरदायित्व और दायित्व: प्रत्येक देश अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी होगा, चाहे वे सरकारी हों या निजी संस्थाओं द्वारा संचालित। यदि किसी देश के अंतरिक्ष यान से किसी प्रकार की क्षति होती है, तो उस देश को उसका उत्तरदायित्व वहन करना होगा।
6. हानिकारक प्रदूषण से संरक्षण: अंतरिक्ष और खगोलीय पिंडों को हानिकारक प्रदूषण से सुरक्षित रखना अनिवार्य है। साथ ही, बाह्य अंतरिक्ष से ऐसा कोई तत्व पृथ्वी पर न लाया जाए जो मानव जीवन या पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सके।
निष्कर्ष:
नॉर्वे द्वारा आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर किया जाना, बाह्य अंतरिक्ष की शांतिपूर्ण, पारदर्शी और उत्तरदायी खोज हेतु वैश्विक सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल दर्शाती है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अंतरिक्ष को सभी के लिए सुरक्षित, न्यायसंगत और सतत रूप से उपयोगी बनाने के प्रति प्रतिबद्ध है।