संदर्भ:
हाल ही में नीति आयोग ने भारत में उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत किया है। “भारत में उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण: संभावनाएँ, अवसर और नीतिगत सुझाव” शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में वैश्विक शैक्षणिक परिदृश्य में भारत की अब तक सीमित भागीदारी को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है। साथ ही, इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की भावना के अनुरूप उच्च शिक्षा प्रणाली को अधिक वैश्विक, प्रतिस्पर्धी और आकर्षक बनाने हेतु आवश्यक संरचनात्मक, वित्तीय तथा नियामक सुधारों की सिफारिशें की गई हैं।
उच्च शिक्षा से जुड़ी प्रमुख चिंताएँ:
रिपोर्ट में छात्रों के आवागमन (इनबाउंड–आउटबाउंड) में मौजूद गंभीर असंतुलन को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है:
• वर्ष 2024 में, भारत में अध्ययन करने वाले प्रत्येक 1 विदेशी छात्र के मुकाबले लगभग 28 भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए।
• वर्ष 2022 तक भारत में केवल लगभग 47,000 विदेशी छात्र ही नामांकित थे, जो प्रमुख वैश्विक शिक्षा केंद्रों की तुलना में अत्यंत कम संख्या है।
• इस असंतुलन के प्रमुख परिणाम हैं:
o प्रतिभा पलायन (ब्रेन ड्रेन) में निरंतर वृद्धि
o विदेशी मुद्रा की बड़ी मात्रा में हानि
o वैश्विक शैक्षणिक मंच पर भारत के प्रभाव और उपस्थिति में कमजोरी
भविष्य की परिकल्पना:
• पूर्वानुमान आधारित विश्लेषणों के अनुसार, नीति आयोग का अनुमान है कि वर्ष 2047 तक भारत 7.89 लाख से 11 लाख तक अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने की क्षमता विकसित कर सकता है।
• अंतरराष्ट्रीयकरण को निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अत्यंत आवश्यक माना गया है:
o शैक्षणिक गुणवत्ता और उत्कृष्टता में वृद्धि
o वैश्विक स्तर पर अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा
o भारत की सॉफ्ट पावर और शैक्षणिक कूटनीति का विस्तार
o ज्ञान-आधारित और नवाचार-प्रधान आर्थिक विकास को गति देना
नीति आयोग द्वारा प्रमुख नीतिगत सिफारिशें
भारत विद्या कोश – राष्ट्रीय अनुसंधान कोष
• 10 अरब अमेरिकी डॉलर के एक अनुसंधान-आधारित संप्रभु कोष की स्थापना का प्रस्ताव।
वित्त पोषण संरचना
• 50% योगदान भारतीय प्रवासी समुदाय तथा परोपकारी संस्थानों से
• 50% समान (मैचिंग) योगदान केंद्र सरकार द्वारा
उद्देश्य
• अत्याधुनिक और उच्च-स्तरीय अनुसंधान को प्रोत्साहन देना
• भारतीय विश्वविद्यालयों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को सुदृढ़ करना
विश्व बंधु छात्रवृत्ति और फेलोशिप
विश्व बंधु छात्रवृत्ति
• विदेशी छात्रों को भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययन के लिए आकर्षित करने हेतु।
विश्व बंधु फेलोशिप
• विदेशी शिक्षकों, विद्वानों और वैश्विक अनुसंधान प्रतिभाओं को भारत में कार्य और शोध के लिए प्रोत्साहित करने हेतु।
मुख्य उद्देश्य
• परिसरों में शैक्षणिक और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना
• वैश्विक शैक्षणिक आदान-प्रदान और सहयोग को सशक्त करना
• भारतीय संस्थानों के शैक्षणिक अलगाव को समाप्त करना
इरास्मस (Erasmus)+ जैसी शैक्षणिक गतिशीलता योजना
• यूरोपीय संघ की इरास्मस (Erasmus)+ योजना के मॉडल पर भारत के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक गतिशीलता कार्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव।
मुख्य फोकस क्षेत्र
• छात्र विनिमय कार्यक्रम
• संयुक्त और सहयोगी डिग्री कार्यक्रम
• क्रेडिट हस्तांतरण की पारदर्शी व्यवस्था
• सहयोगात्मक और बहु-देशीय अनुसंधान पहल
नियामक और संस्थागत सुधार:
प्रस्तावित सुधार
• नियमों और प्रक्रियाओं का युक्तिसंगत सरलीकरण ताकि:
o विदेशी विश्वविद्यालय भारत में अपने परिसर स्थापित कर सकें
o संयुक्त एवं द्वैध डिग्री कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके
पूरक विधायी और संस्थागत पहल
• विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025
• प्रस्तावित मानक परिषद, जो उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए गैर-बाध्यकारी और मार्गदर्शक ढाँचे विकसित करेगी
पाठ्यक्रम, रैंकिंग और ब्रांडिंग
पाठ्यक्रम सुधार
• वैश्विक शैक्षणिक मानकों और समकालीन आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रमों का आधुनिकीकरण।
एनआईआरएफ रैंकिंग में विस्तार
• अंतरराष्ट्रीय संकाय की भागीदारी
• विदेशी छात्रों की संख्या
• वैश्विक अनुसंधान और शैक्षणिक सहयोग
ब्रांडिंग और वैश्विक पहचान
• भारत को एक आकर्षक और विश्वसनीय वैश्विक अध्ययन गंतव्य के रूप में स्थापित करने हेतु सशक्त ब्रांडिंग, प्रभावी संचार और व्यापक प्रचार रणनीतियों को अपनाने पर विशेष बल।
सिफारिशों का महत्व:
शैक्षणिक प्रभाव:
• भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता, विविधता और वैश्विक प्रासंगिकता में उल्लेखनीय वृद्धि।
• अंतर्विषयक शिक्षा को प्रोत्साहन तथा अनुसंधान-आधारित और नवाचारोन्मुख संस्थानों का सुदृढ़ीकरण।
आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव:
• विदेशी छात्रों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि।
• ज्ञान अर्थव्यवस्था और नवाचार-आधारित पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती प्रदान करना।
• भारत की सॉफ्ट पावर, शैक्षणिक कूटनीति और वैश्विक प्रभाव को सशक्त बनाना।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ सामंजस्य:
• यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्यों को आगे बढ़ाती है:
o भारतीय उच्च शिक्षा को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना
o बहु-विषयक और लचीली शिक्षा प्रणाली को प्रोत्साहित करना
o अनुसंधान-आधारित, नवाचार-प्रधान विश्वविद्यालयों का विकास
निष्कर्ष:
नीति आयोग का यह रोडमैप भारत को एक वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है। नवाचारी वित्त पोषण तंत्र, नियामक सुधार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को एक साथ जोड़कर यह प्रस्ताव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को साकार करने और 2047 तक भारत को एक वैश्विक ज्ञान शक्ति बनाने की मजबूत आधारशिला रखता है।
