संदर्भ:
केरल राज्य में एक बार फिर निपाह वायरस (NiV) का संक्रमण फ़ैल गया है। हाल ही में दो मामलों की पुष्टि हुई है, जिसमें से कोझीकोड की 18 वर्षीय युवती की एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) से मौत हो गई, जबकि मलप्पुरम की 38 वर्षीय महिला में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), पुणे ने निपाह संक्रमण की पुष्टि की है। इस घटनाक्रम ने राज्य में एक बार फिर स्वास्थ्य संबंधी चिंता बढ़ा दी है, विशेषकर तब जब केरल पहले ही 2018, 2021 और 2023 में निपाह वायरस के प्रकोप का सामना कर चुका है।
निपाह वायरस (NiV) क्या है?
· प्रकृति: निपाह वायरस एक ज़ूनॉटिक वायरस है, यानी यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। यह Paramyxoviridae नामक वायरस परिवार और Henipavirus जीनस से संबंधित है।
· उत्पत्ति: इसकी पहली बार पहचान 1999 में मलेशिया में हुई थी, जहां यह सूअरों के जरिए इंसानों में फैला।
· भारत में शुरुआत: भारत में निपाह वायरस का पहला मामला 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में सामने आया, और इसके बाद 2007 में फिर से संक्रमण देखा गया। केरल में यह वायरस 2018 से लेकर अब तक कई बार उभर चुका है।
· संरचना: यह एक निगेटिव-सेंस सिंगल-स्ट्रैंडेड RNA वायरस है। इसकी सतह पर मौजूद F और G नामक प्रोटीन इसे इंसानी कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करते हैं, जिससे संक्रमण फैलता है।
संक्रमण के तरीके:
निपाह वायरस इन माध्यमों से फैलता है:
1. संक्रमित जानवरों (चमगादड़, सूअर) के साथ सीधा संपर्क ।
2. दूषित फल या भोजन का सेवन (जैसे, चमगादड़ों द्वारा चाटे गए फल)।
3. मानव-से-मानव संचरण , विशेषकर स्वास्थ्य देखभाल सेटिंग्स में।
लक्षण और रोग का विकास:
- प्रारंभिक लक्षण: बुखार, सिरदर्द, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द।
- प्रगति: उनींदापन, चक्कर आना, तंत्रिका संबंधी समस्याएं, तीव्र इंसेफेलाइटिस ।
- गंभीर मामले: 24-48 घंटों के भीतर दौरे और कोमा।
- मृत्यु दर: उच्च - कुछ प्रकोपों में 75% तक ।
निदान और परीक्षण:
पता लगाने का कार्य निम्नलिखित का उपयोग करके किया जाता है:
- आरटी-पीसीआर
- एलिसा
- सीरम न्यूट्रलाइजेशन टेस्ट (एसएनटी)
- इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री (आईएचसी)
इलाज और वैक्सीन:
- फिलहाल निपाह के लिए कोई विशेष इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है।
- रिबाविरिन, एक एंटीवायरल दवा, मृत्यु दर को कुछ हद तक कम कर सकती है।
- इलाज का मुख्य तरीका है ICU में सपोर्टिव केयर यानी लक्षणों के अनुसार देखभाल।
निपाह: एक क्षेत्रीय और वैश्विक चिंता
- वैश्विक उपस्थिति: बांग्लादेश, कंबोडिया, थाईलैंड, घाना में इसके मामले सामने आए हैं।
- बांग्लादेश और भारत: सबसे ज़्यादा बार निपाह के प्रकोप यहां हुए हैं, खासकर मौसमी और खास क्षेत्रों में।
- भारत के हॉटस्पॉट: सिलीगुड़ी, कोझीकोड, मलप्पुरम।
रोकथाम में चुनौतियाँ:
1. फैलने के कई तरीके – जानवरों से और इंसान से इंसान तक।
2. वैक्सीन या निश्चित इलाज की कमी।
3. इलाज और शव परीक्षण के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमण का खतरा।
4. तीव्र तंत्रिका संबंधी प्रगति , प्रतिक्रिया समय सीमित करना।
रोकथाम के उपाय और सिफारिशें:
- चमगादड़ों के इलाकों में निगरानी (जैसे Pteropus जीनस के फ्लाइंग फॉक्स)।
- ऐसे फल न खाएं जो आधे खाए हुए हों या जिन्हें चमगादड़ ने चाटा हो।
- शवों के अंतिम संस्कार में सावधानी और अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण के उपाय।
- जोखिम वाले क्षेत्रों में मोबाइल लैब और शुरुआती जांच उपकरण उपलब्ध कराना।
- वैक्सीन और दवाओं पर शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देना।
- ड्रोन तकनीक से वन्यजीव निगरानी और पर्यावरणीय परीक्षण।
निष्कर्ष:
निपाह वायरस का 2025 में दोबारा उभरना यह साफ संकेत देता है कि जानवरों से फैलने वाली बीमारियाँ (ज़ूनॉटिक रोग) कितनी अनिश्चित और घातक हो सकती हैं। केरल सरकार पहले के अनुभवों से सीख लेकर इस बार भी तत्परता से कदम उठा रही है, जिससे संक्रमण पर नियंत्रण की उम्मीद की जा सकती है।
हालांकि, जब तक इस वायरस के लिए कोई प्रभावी वैक्सीन विकसित नहीं हो जाती और इसके इंसान व जानवरों से फैलने के दोनों रास्तों को रोका नहीं जाता, तब तक दीर्घकालिक स्वास्थ्य रणनीति, वैज्ञानिक अनुसंधान में निवेश और आम जनता में जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है।