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Blog / 17 Nov 2025

मैन-पोर्टेबल ऑटोनोमस अंडरवॉटर व्हीकल (MP-AUVs)

सन्दर्भ:

DRDO की नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (NSTL), विशाखापट्टनम ने हाल ही में नई पीढ़ी के मानव द्वारा ले जाए जा सकने वाले मैन-पोर्टेबल ऑटोनोमस अंडरवॉटर व्हीकल (MP-AUVs) विकसित किए हैं, जो भारत की माइन युद्ध क्षमता को बढ़ाने में सहायक होंगे।

मुख्य विशेषताएँ:

1. आसानी से ले जाने योग्य :

·        ये वाहन बहुत हल्के और छोटे आकार के होते हैं। इन्हें छोटी नावों से या समुद्र किनारे से हाथों से भी आसानी से पानी में उतारा जा सकता है। इससे बड़े जहाज़ों या भारी उपकरणों की आवश्यकता नहीं पड़ती।

2. पूरी तरह स्वचालित संचालन(मिशन ऑटोनोमी):

·        ये वाहन पूरी तरह स्वचालित (autonomous) होते हैं। पहले से तय किए गए मार्गों और मिशन को बिना मानव नियंत्रण के पूरा कर सकते हैं।

·        यह विशेष रूप से खतरनाक क्षेत्रों, जैसे समुद्री माइन्स वाले इलाकों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे मानव गोताखोरों और जहाज़ों का जोखिम कम होता है।

3. उन्नत सेंसर और उपकरण:

इनमें कई तरह के सेंसर लगे होते हैं, जैसे:

·        साइड स्कैन सोनार: समुद्र तल का विस्तृत नक्शा और वस्तुओं की पहचान करने के लिए।

·        अंडरवॉटर कैमरे: संभावित खतरों की तस्वीरें और वीडियो लेने के लिए।

4. कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग

·        नई पीढ़ी के MP-AUVs में डीप-लर्निंग आधारित टारगेट पहचान (target recognition) तकनीक होती है।

यह तकनीक AUVs को खुद ही वस्तुओं की पहचान और वर्गीकरण करने में सक्षम बनाती है। इससे ऑपरेटर का काम और मिशन समय कम होता है।

5. नेटवर्क क्षमता (Networked Capabilities)

·        इनमें मजबूत अंडरवॉटर संचार प्रणाली होती है, जिससे कई AUVs आपस में डेटा शेयर कर सकते हैं और पास-पास मिलकर काम कर सकते हैं। इससे पूरे मिशन क्षेत्र की स्थिति को बेहतर समझा जा सकता है।

6. विविध मिशन :

इन वाहनों का उपयोग केवल समुद्री माइनों को ढूँढने के लिए ही नहीं होता, बल्कि

·        खुफिया जानकारी इकट्ठा करने,

·        निगरानी रखने,

·        बंदरगाहों की सुरक्षा मजबूत करने,

·        वैज्ञानिक शोध और पर्यावरण की निगरानी करने

जैसे अनेक कामों में भी किया जाता है।

DRDO MP-AUVs: New Man-Portable Underwater Vehicles for Mine Warfare

रणनीतिक महत्व:

·        नौसैनिक माइन युद्ध में तेज प्रतिक्रिया क्षमता मिलती है और मानव जोखिम कम होता है।

·        लॉजिस्टिक बोझ कम होने से ऑपरेशन अधिक प्रभावी होते हैं।

·        नेटवर्क्ड और इंटेलिजेंट सिस्टम भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक को मजबूत बनाते हैं।

नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (NSTL) के विषय में:

NSTL, DRDO की प्रमुख प्रयोगशाला है जिसे 1969 में विशाखापट्टनम में स्थापित किया गया था। यह पानी के भीतर चलने वाले हथियार और प्रणालियाँ तैयार करती है। इसके प्रमुख प्रोजेक्ट हैं:

·        वरुणास्त्र भारी टॉरपीडो

·        बहु-प्रभाव वाली समुद्री माइन्स (ग्राउंड माइन)

निष्कर्ष:

DRDO की NSTL द्वारा विकसित नए MP-AUV भारत की समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। यह तकनीक समुद्री माइनों का पता लगाने और उनसे निपटने की क्षमता को बहुत अधिक मजबूत करेगी तथा नौसैनिक अभियानों और समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।