सन्दर्भ:
हाल ही में नेचर (Nature) पत्रिका में प्रकाशित एक अंतरराष्ट्रीय शोध ने ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) की जटिलताओं पर नई रोशनी डाली है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि प्रारंभिक बचपन में पहचाना गया ऑटिज़्म और जीवन के बाद के चरण में पहचाना गया ऑटिज़्म भिन्न विकासात्मक और आनुवंशिक पैटर्न से उत्पन्न हो सकते हैं। यह लंबे समय से चली आ रही इस धारणा को चुनौती देता है कि ऑटिज़्म एक ही प्रकार की स्थिति है जिसका एक समान मूल कारण होता है।
ऑटिज़्म के दो मार्ग:
अध्ययन में लगभग 50,000 ऑटिस्टिक व्यक्तियों के डेटा का विश्लेषण किया गया और ऑटिज़्म की ओर ले जाने वाले दो भिन्न मार्गों की पहचान की गई।
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- पहला समूह: इन व्यक्तियों में सामाजिक संपर्क, संचार और व्यवहार में कठिनाइयाँ प्रारंभिक जीवन में ही स्पष्ट दिखाई दीं और वयस्कता तक बनी रहीं। ऐसे बच्चों का निदान अक्सर प्री-स्कूल या प्राथमिक विद्यालय के दौरान हुआ।
- दूसरा समूह: इन बच्चों में शुरुआती चरण में बहुत कम कठिनाइयाँ दिखीं, लेकिन किशोरावस्था में, जब स्कूल का काम और मित्रता के संबंध अधिक चुनौतीपूर्ण हो गए, तब समस्याएँ अधिक स्पष्ट हुईं। इस समूह का निदान सामान्यतः जीवन के बाद के वर्षों में हुआ।
- पहला समूह: इन व्यक्तियों में सामाजिक संपर्क, संचार और व्यवहार में कठिनाइयाँ प्रारंभिक जीवन में ही स्पष्ट दिखाई दीं और वयस्कता तक बनी रहीं। ऐसे बच्चों का निदान अक्सर प्री-स्कूल या प्राथमिक विद्यालय के दौरान हुआ।
आनुवांशिक विश्लेषण:
आनुवांशिक विश्लेषण में दो आंशिक रूप से भिन्न जीन संबंधी पैटर्न पाए गए।
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- पहला पैटर्न प्रारंभिक निदान से अधिक निकटता से जुड़ा था और प्रारंभिक जीवन में सामाजिक और संचार संबंधी कठिनाइयों से संबंधित था। हालांकि, इसका ध्यान-अल्पता/अतिक्रियाशीलता विकार (ADHD) या अवसाद जैसी स्थितियों से केवल कमजोर आनुवंशिक संबंध पाया गया।
- दूसरा पैटर्न, जो देर से निदान से संबंधित था, उसमें ADHD, पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), अवसाद और स्वयं को नुकसान पहुंचाने (self-harm) की प्रवृत्तियों के साथ अधिक मजबूत संबंध पाए गए।
- पहला पैटर्न प्रारंभिक निदान से अधिक निकटता से जुड़ा था और प्रारंभिक जीवन में सामाजिक और संचार संबंधी कठिनाइयों से संबंधित था। हालांकि, इसका ध्यान-अल्पता/अतिक्रियाशीलता विकार (ADHD) या अवसाद जैसी स्थितियों से केवल कमजोर आनुवंशिक संबंध पाया गया।
अध्ययन के निहितार्थ
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- अध्ययन ने यह स्पष्ट किया कि अलग-अलग प्रकार के ऑटिज़्म के लिए भिन्न समर्थन और जागरूकता आवश्यक है।
वे किशोर जो जीवन के बाद के चरण में ऑटिज़्म का निदान प्राप्त करते हैं, अक्सर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते हैं, जो उनकी चुनौतियों को और जटिल बना देती हैं। - इसलिए अध्ययन यह रेखांकित करता है कि सह-घटित मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों (co-occurring mental health conditions) के लिए तुरंत सहायता आवश्यक है, क्योंकि ये किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं।
- अध्ययन ने यह स्पष्ट किया कि अलग-अलग प्रकार के ऑटिज़्म के लिए भिन्न समर्थन और जागरूकता आवश्यक है।
ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) के बारे में:
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- ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) एक जटिल न्यूरोडेवलपमेंटल विकार है, जो सामाजिक संचार, पारस्परिकता और सीमित या दोहराव वाले व्यवहारों में कठिनाइयों से पहचाना जाता है।
- इसे “स्पेक्ट्रम” कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण, क्षमताएँ और आवश्यकताएँ व्यक्ति-विशेष के अनुसार अत्यंत भिन्न हो सकती हैं।
- लक्षण आमतौर पर प्रारंभिक बचपन में दिखाई देते हैं और जीवनभर सामाजिक कौशल, सीखने और व्यवहार पर प्रभाव डालते हैं।
- प्रारंभिक हस्तक्षेप और सहायता सेवाएँ व्यक्ति के स्वास्थ्य और कल्याण में महत्वपूर्ण सुधार ला सकती हैं।
- ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) एक जटिल न्यूरोडेवलपमेंटल विकार है, जो सामाजिक संचार, पारस्परिकता और सीमित या दोहराव वाले व्यवहारों में कठिनाइयों से पहचाना जाता है।
निष्कर्ष:
अध्ययन ने यह उजागर किया कि ऑटिज़्म एक अत्यंत जटिल स्थिति है, जिसके प्रारंभिक और देर से निदान वाले रूपों के अलग-अलग आनुवंशिक स्रोत हो सकते हैं। इस विविधता को स्वीकार करके ऑटिज़्म से प्रभावित व्यक्तियों और उनके परिवारों के लिए बेहतर समझ, समर्थन और नीति निर्माण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

