संदर्भ:
हाल ही में केंद्र सरकार ने ग्रेफाइट, सीज़ियम, रूबिडियम और ज़िरकोनियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के लिए नई रॉयल्टी दरों को मंजूरी दी है। अब इन खनिजों पर रॉयल्टी औसत बिक्री मूल्य (Average Sale Price – ASP) के 1–4% के आधार पर वसूली जाएगी। इस कदम का मुख्य उद्देश्य घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना, खनिज क्षेत्र में निवेश बढ़ाना तथा खनिज नीलामी को और अधिक आकर्षक बनाना है।
पृष्ठभूमि:
सरकार इससे पहले भी खनिज क्षेत्र में कई सुधार कर चुकी है। वर्ष 2023 में लिथियम, नायोबियम और रेयर-अर्थ तत्वों की रॉयल्टी दरों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए थे।
· खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम – एमएमडीआर अधिनियम के अनुसार रॉयल्टी दरों को औसत बिक्री मूल्य (ASP) से जोड़ा जा सकता है। हालांकि ग्रेफाइट इसमें अपवाद था, क्योंकि उस पर अब तक प्रति टन के आधार पर रॉयल्टी ली जाती थी।
संशोधित रॉयल्टी दरों के बारे में:
सरकार ने ग्रेफाइट पर लागू पुराने “प्रति टन” रॉयल्टी मॉडल को हटाकर अब इसे औसत बिक्री मूल्य से जुड़े एड वैलोरम ढांचे में बदल दिया है। नई रॉयल्टी दरें इस प्रकार हैं:
• हाई-ग्रेड ग्रेफाइट (≥80% फिक्स्ड कार्बन): ASP का 2%
• लो-ग्रेड ग्रेफाइट: 4%
• सीज़ियम और रूबिडियम: 2%
• ज़िरकोनियम: 1% (जो पहले 12% था, अर्थात इसमें बड़ी कटौती की गई है)
यह बदलाव रॉयल्टी भुगतान को बाज़ार की कीमतों के उतार–चढ़ाव से सीधे जोड़ता है, जिससे कीमतें बढ़ने पर राज्यों को उचित राजस्व प्राप्त होता है, और कीमतें गिरने पर खनन कंपनियों पर आर्थिक दबाव कम पड़ता है।
महत्त्व:
1. भू-राजनीतिक जोखिम: यह निर्णय ऐसे समय पर लिया गया है जब पिछले वर्ष चीन ने कई महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए थे। चीन वैश्विक स्तर पर करीब 90% महत्वपूर्ण खनिजों के प्रसंस्करण को नियंत्रित करता है। उसके प्रतिबंधों के कारण अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन में गंभीर व्यवधान उत्पन्न हुआ। अब भले ही कुछ पाबंदियाँ हटा दी गई हों, लेकिन इस घटना ने भारत की इन खनिजों पर बाहरी निर्भरता को स्पष्ट कर दिया।
2. बढ़ती घरेलू मांग: भारत आज भी कोबाल्ट, लिथियम, निकल, रेयर-अर्थ तत्वों और सिलिकॉन जैसे प्रमुख खनिजों के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर है। ये सभी इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), सोलर निर्माण, बैटरी उत्पादन और सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
नई रॉयल्टी दरों से उम्मीद की जा रही है कि:
• अधिक लोग नीलामी में भाग लेने के लिए आकर्षित होंगे
• खनिजों की खोज (Exploration) गतिविधियों को तेज़ी मिलेगी
• लिथियम, नायोबियम और टंग्स्टन जैसे जुड़े हुए खनिजों की खोज और दोहन के नए अवसर खुलेंगे
महत्वपूर्ण खनिजों के बारे में:
महत्वपूर्ण खनिज (Critical Minerals) वे प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्व या यौगिक होते हैं, जो किसी देश के आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक माने जाते हैं।
• इन खनिजों की आपूर्ति अक्सर सीमित भंडार, कुछ ही देशों में उत्पादन के केंद्रीकरण तथा जटिल प्रसंस्करण चुनौतियों के कारण बाधित रहती है। भारत ने आधिकारिक रूप से ऐसे 30 महत्वपूर्ण खनिजों की सूची तैयार की है।
निष्कर्ष:
रॉयल्टी संरचना को तर्कसंगत बनाना सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य खनिज नीलामी को अधिक आकर्षक और निवेशक-अनुकूल बनाना है। इस बदलाव से बोली लगाने वाले प्रतिभागियों को लागत और संभावित आय के बीच बेहतर संतुलन का अनुमान लगाने में सुविधा होगी। इन सुधारों के माध्यम से भारत का लक्ष्य अपनी खनिज सप्लाई चेन को मजबूत करना, रोजगार के नए अवसर पैदा करना और देश की ग्रीन एनर्जी ट्रांज़िशन प्रक्रिया को तेज़ गति देना है।

