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Blog / 25 Jan 2025

कर परिहार को रोकने के लिए सीबीडीटी के नए दिशानिर्देश

संदर्भ:

हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने द्वि कराधान परिहार समझौतों (Double Tax Avoidance Agreements) के तहत प्रमुख उद्देश्य परीक्षण (Principal Purpose Test) के संबंध में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन प्रावधानों को भविष्य में लागू किया जाएगा, जिसका उद्देश्य कर परिहार के उपायों को सुव्यवस्थित करना और संधि लाभों के लिए उचित दावों को सुनिश्चित करना है।"

प्रमुख उद्देश्य परीक्षण (पीपीटी) क्या है?

·        पीपीटी कर परिहार को रोकता है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी लेनदेन का प्राथमिक उद्देश्य केवल किसी संधि के तहत कर लाभ प्राप्त करना हो। यदि कर अधिकारियों को पता चलता है कि प्रमुख उद्देश्य वैध आर्थिक कारणों के बिना संधि लाभों का दावा करना है, तो इन लाभों से इनकार किया जा सकता है।

·        यह भारत के कर संधि लाभों को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों, जैसे कि ओईसीडी के आधार क्षरण और लाभ शिफ्टिंग (बीईपीएस) कार्य योजना के अनुरूप बनाता है।

बीईपीएस ढांचा क्या है?

·        आधार क्षरण और लाभ शिफ्टिंग (बीईपीएस) एक आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) और जी20 की एक पहल है जिसे 2016 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य बहुराष्ट्रीय उद्यमों (एमएनई) द्वारा लाभ-शिफ्टिंग रणनीतियों का उपयोग करके कर परिहार को रोकना है।

·        इन रणनीतियों में उच्च कर वाले देशों से कम कर वाले देशों में लाभों को स्थानांतरित करना शामिल है, जहां बहुत कम या कोई आर्थिक गतिविधि नहीं होती है। यह उच्च कर वाले देशों के कर आधार को कम करता है, जैसे कि ब्याज या रॉयल्टी के रूप में कटौती योग्य भुगतान का उपयोग करके।

सीबीडीटी के दिशानिर्देशों में प्रमुख बिंदु :

संधि लाभों के दावों पर पीपीटी नियमों का प्रभाव:

पीपीटी प्रावधान भविष्य में लागू होंगे, केवल भविष्य के लेन-देन और संधि लाभों के दावों पर ही लागू होंगे। ये प्रावधान पिछले लेन-देन पर लागू नहीं होंगे।

पूर्ववर्ती नियमों के लागू होने संबंधी प्रावधान :

·        साइप्रस, मॉरीशस और सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय कर समझौतों (डीटीएए) में पूर्ववर्ती नियमों के लागू होने के प्रावधान, जो दोनों देशों के बीच हुए समझौते का हिस्सा हैं, अपनी मूल शर्तों के अनुसार जारी रहेंगे और नए प्रमुख उद्देश्य परीक्षण (पीपीटी) प्रावधानों से प्रभावित नहीं होंगे।

  • र्थिक कारणों के बिना किया जाए।