सन्दर्भ:
हाल ही में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (Zoological Survey of India – ZSI) के वैज्ञानिकों ने आंध्र प्रदेश में गेको (छिपकली) की एक नई पतली प्रजाति की खोज की है। यह प्रजाति आंध्र प्रदेश के शेषाचलम बायोस्फीयर रिज़र्व में स्थित तिरुमला पहाड़ी श्रृंखला में पाई गई। यह हेमिफ़िलोडैक्टिलस वंश की सदस्य है।
नई गेको प्रजाति के विषय में:
· नई प्रजाति का नाम हेमिफ़िलोडैक्टिलस वेंकटाद्रि रखा गया है। यह नाम तिरुमला स्थित पवित्र वैंकटाद्रि पहाड़ियों से लिया गया है जो ‘वेकटा’ और ‘अद्रि’ (अर्थ: पर्वत) दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है।
· यह प्रजाति क्षेत्र में पाई जाने वाली दूसरी हेमिफ़िलोडैक्टिलस प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक वर्णन हर्पेटोज़ोआ नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ। यह आनुवांशिक रूप से क्षेत्र के अन्य गेको से अलग और विशिष्ट है।
मुख्य विशेषताएँ :
· शरीर की बाहरी बनावट में कई खास विशेषताएँ जैसे ठुड्डी के स्केल्स की संख्या, प्री-क्लोएकल पोर और फीमोरल पोर की संख्या। इनका वयस्क शरीर आकार छोटा होता है।
· आनुवांशिक विश्लेषण में स्पष्ट अंतर देखा गया, जिससे यह सिद्ध हुआ कि यह एक बिल्कुल अलग प्रजाति है।
शेषाचलम बायोस्फीयर रिज़र्व के विषय में:
· यह रिज़र्व दक्षिण आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट में स्थित है।
· इसे वर्ष 2010 में बायोस्फीयर रिज़र्व घोषित किया गया था। यह तिरुपति के पास स्थित है।
· यहाँ जैव विविधता अत्यधिक समृद्ध है, विशेषकर लाल चंदन के विशाल जंगलों के कारण।
· यह आंध्र प्रदेश का पहला बायोस्फीयर रिज़र्व है।
वनस्पति:
यह एक दुर्लभ तथा स्थानिक (endemic) वृक्ष प्रजाति है, जो मुख्य रूप से शेषाचलम क्षेत्र में पाई जाती है। शेषाचलम में इसके घने और विस्तृत वन मौजूद हैं। इसकी गहरी लाल लकड़ी अत्यंत मूल्यवान मानी जाती है और मूर्तिकला, हस्तशिल्प तथा पारंपरिक चिकित्सा में इसका व्यापक उपयोग होता है।
जीव-जंतु :
· गोल्डन गेको (Calodactylodes )
· यह दुर्लभ और पूर्वी घाट की विशिष्ट प्रजाति है।
· यह पेड़ों और खड़ी चट्टानों पर पाई जाने वाली वृक्षवासी (arboreal) छिपकली है।
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) के विषय में:
· पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत भारत का प्रमुख संस्थान है।
· मुख्यालय: कोलकाता (1916 में स्थापित)
· 16 क्षेत्रीय केंद्रों के माध्यम से देश के जीव-जंतुओं का सर्वेक्षण, पहचान, वर्गीकरण और संरक्षण से संबंधित शोध करता है।
इसके कार्य:
· विलुप्तप्राय प्रजातियों का सर्वेक्षण
· रेड डेटा बुक तैयार करना
· वन्यजीव फॉरेंसिक में सहयोग
· प्रशिक्षण कार्यक्रम
निष्कर्ष:
हेमिफ़िलोडैक्टिलस वेंकटाद्रि की खोज भारत की सरीसृप विविधता में एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह खोज पूर्वी घाट जैसे उपेक्षित लेकिन जैव-विविधता से भरपूर क्षेत्र में वैज्ञानिक सर्वेक्षण, आणवांशिक अनुसंधान और संरक्षण योजनाओं की तत्परता को रेखांकित करती है।

