संदर्भ:
गार्सिनिया (Garcinia) वंश के एक नए वृक्ष की प्रजाति की खोज असम में की गई है। इस प्रजाति का नाम गार्सिनिया कुसुमाए (Garcinia kusumae) रखा गया है। यह जानकारी एक वैज्ञानिक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुई है, जो वनस्पति वर्गीकरण और पौधों के भौगोलिक वितरण पर केंद्रित है। यह खोज भारत की समृद्ध वनस्पति विविधता में एक और योगदान है और पूर्वोत्तर भारत में कम ज्ञात वनस्पतियों के दस्तावेजीकरण की आवश्यकता को उजागर करती है।
इस वृक्ष प्रजाति के बारे में:
गार्सिनिया कुसुमाए (Garcinia kusumae) की खोज असम के बक्सा जिले के बामुनबाड़ी नामक स्थान में की गई। यह खोज गार्सिनिया वंश की प्रजातियों का क्षेत्रीय रिकॉर्ड अद्यतन करने के लिए किए गए सर्वेक्षण के दौरान हुई।
· गार्सिनिया वंश पहले से ही अपने पारिस्थितिक और औषधीय महत्व के लिए जाना जाता है। इसके कई पौधे अपने फलों और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं।
· यह वंश क्लूसिएसी (Clusiaceae) नामक कुल का सबसे बड़ा वंश है, जिसमें झाड़ियों और वृक्षों की लगभग 414 ज्ञात प्रजातियाँ शामिल हैं।
· ये प्रजातियाँ मुख्यतः उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं, जिनका प्रमुख जैवविविधता केंद्र अफ्रीका, ऑस्ट्रेलेशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में है।
· ये पौधे खासतौर पर उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में आम पाए जाते हैं और पारंपरिक चिकित्सा में भी इनका उपयोग होता है।
· भारत में गार्सिनिया की 33 प्रजातियाँ और 7 उप-प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं। असम में ही 12 प्रजातियाँ और 3 उप-प्रजातियाँ पाई जाती हैं। गार्सिनिया कुसुमाए (Garcinia kusumae) की खोज इस क्षेत्र की जैवविविधता में और वृद्धि करती है, जिससे पूर्वोत्तर भारत की जैवविविधता का महत्व और बढ़ जाता है।
खोज और दस्तावेजीकरण:
- यह वृक्ष अप्रैल माह में किए गए फील्ड सर्वे के दौरान मिला। स्थानीय भाषा (असमिया) में इसे “थोइकोरा” कहा जाता है। इसके आकार, पत्तियों और फूलों की बनावट में विशेष अंतर पाए गए, जो अन्य ज्ञात प्रजातियों से भिन्न थे। सभी वैज्ञानिक रिकॉर्ड की तुलना के बाद इसे एक नई प्रजाति के रूप में मान्यता दी गई।
- वैज्ञानिकों ने इस पौधे के नमूने को पारंपरिक हर्बेरियम विधियों से एकत्र किया — जैसे कि पौधों को दबाकर सुखाना और संरक्षित करना ताकि भविष्य में अध्ययन के लिए यह एक सटीक संदर्भ बन सके। इस नई प्रजाति का वैज्ञानिक विवरण अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित करने के लिए पूरी तरह से तैयार किया गया।
- गार्सिनिया कुसुमाए एक सदाबहार (evergreen) वृक्ष है, जिसमें नर और मादा फूल अलग-अलग पेड़ों पर होते हैं (dioecious)। यह वृक्ष अधिकतम 18 मीटर तक ऊँचा हो सकता है। इसका फूलने का मौसम फरवरी से अप्रैल तक होता है और फल मई से जून के बीच पकते हैं।
निष्कर्ष:
गार्सिनिया कुसुमाए की खोज यह दर्शाती है कि भारत में चल रहे वनस्पति सर्वेक्षण और वर्गीकरण अनुसंधान कितने महत्वपूर्ण हैं। जब जैवविविधता पर जलवायु परिवर्तन, मानवीय गतिविधियों और प्राकृतिक आवासों के क्षरण जैसे खतरे मंडरा रहे हैं, ऐसे में नई प्रजातियों की पहचान संरक्षण की योजना बनाने और पारिस्थितिक संबंधों को समझने के लिए आवश्यक है।
इस प्रकार की खोजें यह भी दिखाती हैं कि पूर्वोत्तर भारत भविष्य के अन्वेषण के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यदि वर्गीकरण, फील्ड सर्वे और जैवविविधता मूल्यांकन में निवेश जारी रखा जाए, तो यह न केवल वैज्ञानिक ज्ञान को समृद्ध करेगा, बल्कि भारत की प्राकृतिक धरोहर की रक्षा में भी मददगार होगा।