संदर्भ:
हाल ही में नेपाल ने फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करके औपचारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) में शामिल हो गया है। इससे नेपाल, भारत द्वारा प्रारंभ किए गए इस वैश्विक गठबंधन का हिस्सा बन गया है, जिसका उद्देश्य अपनी प्राकृतिक सीमाओं में बड़ी बिल्लियों की सात प्रजातियों के संरक्षण को सुनिश्चित करना है।
नेपाल की सदस्यता क्यों महत्वपूर्ण है?
· नेपाल में सात बड़ी बिल्लियों में से तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं: बाघ, हिम तेंदुआ और सामान्य तेंदुआ।
· नेपाल का भूभाग, जो तराई से हिमालय तक फैला है, इन प्रजातियों के लिए महत्वपूर्ण आवास प्रदान करता है।
· नेपाल को विशेष रूप से बाघों के लिए सफल सीमा पार संरक्षण पहलों के लिए जाना जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस क्या है?
· अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) की स्थापना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 9 अप्रैल 2023 को प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में की गई थी।
· इस पहल का मुख्य उद्देश्य सात प्रमुख बड़ी बिल्लियों की प्रजातियों—बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा—का संरक्षण सुनिश्चित करना है।
· 29 फरवरी 2024 को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने भारत में मुख्यालय के साथ IBCA की स्थापना को आधिकारिक मंजूरी प्रदान की। IBCA की स्थापना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा की गई है, जो पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अधीन एक नोडल संस्था है।
· इस गठबंधन का उद्देश्य संरक्षण प्रयासों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देना तथा बड़ी बिल्लियों के वैश्विक संरक्षण के लिए सफल प्रथाओं और विशेषज्ञता को समेकित करना है। IBCA की सदस्यता सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों के लिए खुली है, विशेष रूप से उन देशों के लिए जो इन प्रजातियों के प्राकृतिक आवास हैं, साथ ही उन गैर-आवासीय देशों के लिए भी जो बड़ी बिल्लियों के संरक्षण प्रयासों का समर्थन करते हैं।
· 25 अगस्त 2025 तक, नेपाल IBCA में शामिल होने वाला नवीनतम सदस्य देश बना है, जिससे गठबंधन के सदस्य देशों की संख्या 35 हो गई है, जिनमें से 12 ने फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
संरक्षणाधीन बड़ी बिल्लियाँ और उनके संरक्षण की स्थिति:
बाघ (वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा टाइग्रिस)
IUCN स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)
CITES स्थिति: परिशिष्ट I (Appendix I)
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (भारत): अनुसूची 1
एशियाई शेर (वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा लियो पर्सिका)
IUCN स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)
CITES स्थिति: परिशिष्ट I (Appendix I)
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (भारत): अनुसूची 1
तेंदुआ (वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा पार्डस)
IUCN स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)
CITES स्थिति: परिशिष्ट I (Appendix I)
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (भारत): अनुसूची 1
हिम तेंदुआ (वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा उन्सिया)
IUCN स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)
CITES स्थिति: परिशिष्ट I (Appendix I)
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (भारत): अनुसूची 1
चीता (वैज्ञानिक नाम: एसिनोनिक्स जुबेटस)
IUCN स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)
CITES स्थिति: परिशिष्ट I (Appendix I)
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (भारत): अनुसूची 1
जगुआर (वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा ओन्का)
IUCN स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)
CITES स्थिति: परिशिष्ट I (Appendix I)
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (भारत): भारत में नहीं पाया जाता
प्यूमा (वैज्ञानिक नाम: प्यूमा कॉनकलर)
IUCN स्थिति: कम चिंताजनक (Least Concern)
CITES स्थिति: परिशिष्ट I (Appendix I)
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (भारत): भारत में नहीं पाया जाता
निष्कर्ष:
नेपाल का अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस में शामिल होना बड़ी बिल्लियों के संरक्षण में क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह साथ मिलकर काम करने की जिम्मेदारी को बढ़ावा देता है और संकटग्रस्त शिकारियों की सुरक्षा में दक्षिण एशिया की भूमिका को बढ़ाता है। साझा पर्यावरण और प्रजातियों के कारण, भारत और नेपाल अब अपनी सीमाओं के पार संरक्षण के प्रयासों को और मजबूत कर सकते हैं, विशेषकर जलवायु परिवर्तन और आवास के नुकसान जैसे मुद्दों के संदर्भ में।