संदर्भ:
हाल ही में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत भूमि संसाधन विभाग के सहयोग से 6–7 अक्टूबर 2025 को ज़िलाधिकारियों और कलेक्टरों के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य ज़िला स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों को NAKSHA (नेशनल जियोस्पैटियल नॉलेज बेस्ड लैंड सर्वे ऑफ अर्बन हैबिटेशन्स) कार्यक्रम के आगामी कार्यान्वयन के लिए तैयार करना था। यह पहल डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) के अंतर्गत शहरी भूमि प्रबंधन को भू-स्थानिक तकनीकों की सहायता से अधिक पारदर्शी, आधुनिक और कुशल बनाने के व्यापक अभियान का हिस्सा है।
नक्ष योजना के बारे में:
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- नक्ष (शहरी बस्तियों का राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित भूमि सर्वेक्षण) एक पायलट परियोजना है, जिसे फरवरी 2025 में 26 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 152 शहरी निकायों (ULBs) में शुरू किया गया।
- इस योजना का उद्देश्य शहरी भूमि के भूखंडों का सटीक डिजिटल मानचित्रण करना है। इसके तहत जीएनएसएस, जीआईएस, वेब जीआईएस के माध्यम से जैसी अत्याधुनिक भू-स्थानिक तकनीकों की मदद से स्थानिक (spatial) और पाठ्य (textual) आंकड़ों का एकीकरण किया जाएगा।
- नक्ष का मुख्य लक्ष्य भूमि अभिलेखों को पारदर्शी, प्रमाणिक, विश्वसनीय और नागरिकों व प्रशासकों के लिए आसानी से सुलभ बनाना है।
- यह पहल “वन नेशन, वन लैंड रिकॉर्ड” के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी भूमि अभिलेख प्रणालियों के बीच तालमेल स्थापित करना, विखंडन कम करना तथा भूमि विवादों में कमी लाना है।
- नक्ष (शहरी बस्तियों का राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित भूमि सर्वेक्षण) एक पायलट परियोजना है, जिसे फरवरी 2025 में 26 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 152 शहरी निकायों (ULBs) में शुरू किया गया।
डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) के बारे में:
डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) भारत सरकार द्वारा अप्रैल 2016 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इसे दो पूर्व योजनाओं “भूमि अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण (CLR) और राजस्व प्रशासन का सुदृढ़ीकरण एवं भूमि अभिलेखों का अद्यतनीकरण (SRA & ULR)” को मिलाकर और आधुनिक बनाकर बनाया गया है। इसे 2008 से से पहले राष्ट्रीय भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (NLRMP) के नाम से जाना जाता था।
मुख्य उद्देश्य:
• पूरे भारत में भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण करना।
• एक एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (ILIMS) का निर्माण करना, जो पाठ्य अभिलेखों (अधिकारों का रिकॉर्ड) को स्थानिक डेटा (मानचित्र) के साथ जोड़ती है।
• भूमि संबंधी आंकड़ों तक वास्तविक समय पर पहुंच सुनिश्चित करना, जिससे भूमि विवादों और धोखाधड़ी की संभावनाओं में कमी आए।
• भूमि प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार करना।
• कार्यालयों में भौतिक रूप से जाने की आवश्यकता को न्यूनतम करते हुए नागरिक-केंद्रित सेवाओं को सक्षम बनाना।
• भूमि डेटा का उपयोग योजना निर्माण, कराधान, ई-गवर्नेंस और बुनियादी ढांचे के विकास में करना।
वर्तमान प्रगति (वर्ष 2023–24 तक):
• लगभग 95% गाँवों में अधिकारों का रिकॉर्ड (Record of Rights) डिजिटलीकृत किया जा चुका है।
• 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आवश्यक क्षेत्रों के लगभग 68% हिस्सों में कैडस्ट्रल मानचित्रों (Cadastral Maps) का डिजिटलीकरण पूरा हुआ है।
• लगभग 49.1% गाँवों के लिए मानचित्रों का भू-संदर्भन (Geo-referencing) कार्य संपन्न हो चुका है।
• 93–94% उप-पंजीयक कार्यालयों (Sub-Registrar Offices) का कम्प्यूटरीकरण किया जा चुका है।
• भूमि अभिलेखों और पंजीकरण कार्यालयों का एकीकरण राज्यवार भिन्नता के साथ लगभग 75–87% मामलों में सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया है।
निष्कर्ष:
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) और भूमि संसाधन विभाग द्वारा आयोजित यह राष्ट्रीय कार्यशाला भारत में डिजिटल, पारदर्शी और जवाबदेह शहरी भूमि प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यशाला के माध्यम से ज़िला स्तर के अधिकारियों को तकनीकी, प्रशासनिक और कानूनी ज्ञान से सशक्त बनाया जा रहा है, ताकि NAKSHA कार्यक्रम को प्रभावी और सफलतापूर्वक लागू किया जा सके। यदि यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक लागू होता है, तो यह भूमि विवादों में कमी, कर आधार (Tax Base) में वृद्धि, शहरी नियोजन (Urban Planning) में सुधार, और भारत के “वन नेशन, वन लैंड रिकॉर्ड” के लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।