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Blog / 01 Jul 2025

तेलंगाना में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का उद्घाटन

संदर्भ:

29 जून 2025 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तेलंगाना के निजामाबाद में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के मुख्यालय का उद्घाटन किया। यह कदम भारत के हल्दी क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि लंबे समय से किसान एक विशेष संस्था की मांग कर रहे थे जो हल्दी उत्पादन, विपणन और निर्यात को प्रोत्साहित कर सके।

बोर्ड का महत्व:

·        हल्दी की व्यापक लोकप्रियता के बावजूद, किसानों को न तो उचित मूल्य मिल रहा था और न ही आधुनिक कृषि सुविधाओं तक पर्याप्त पहुंच थी। अब तक हल्दी का दायित्व भारतीय मसाला बोर्ड (Spices Board) के अधीन था, जो 50 से अधिक मसालों की देखरेख करता है, जिससे हल्दी पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा पा रहा था। वर्षों से हल्दी किसान यह मांग कर रहे थे कि उनकी फसल के लिए एक अलग बोर्ड बनाया जाए, जो विशेष रूप से हल्दी से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों पर काम करे।

·        राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की आधिकारिक घोषणा अक्टूबर 2023 में की गई थी और इसे जनवरी 2025 में औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया। हालांकि, बोर्ड अब पूरी तरह से क्रियाशील हो गया है क्योंकि जून 2025 में इसका मुख्यालय विधिवत रूप से शुरू हो गया है।

·        तेलंगाना को बोर्ड के मुख्यालय के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि यह देश के प्रमुख हल्दी उत्पादक राज्यों में शामिल है। वर्ष 2024–25 में तेलंगाना भारत का तीसरा सबसे बड़ा हल्दी उत्पादक राज्य रहा।

प्रमुख कार्य और लक्ष्य:

राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्य करेगा। इसका उद्देश्य हल्दी क्षेत्र को वैज्ञानिक, व्यावसायिक और वैश्विक दृष्टिकोण से सशक्त बनाना है। इसके प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:

         उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का विकास और आधुनिक खेती तकनीकों को बढ़ावा देना।

         हल्दी के प्रसंस्करण (processing), पैकेजिंग, ब्रांडिंग और विपणन (marketing) को सुदृढ़ करना।

         निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हल्दी को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करना।

         किसानों को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के माध्यम से सशक्त बनाना।

इन पहलों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने ₹200 करोड़ की राशि आवंटित की है, जिसका उपयोग हल्दी की गुणवत्ता सुधार, अनुसंधान, और किसानों की आमदनी बढ़ाने से जुड़ी योजनाओं में किया जाएगा।

सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक भारत से हल्दी का निर्यात बढ़ाकर 1 बिलियन डॉलर तक पहुँचाया जाए। स्वास्थ्य और जैविक उत्पादों के क्षेत्र में भारतीय हल्दी की बढ़ती विश्वसनीयता और मांग इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाएगी।

National Turmeric Board

हल्दी के बारे में:

हल्दी (Curcuma longa) भारत में उत्पन्न एक प्राचीन फसल है, जो सदियों से भारतीय खानपान, चिकित्सा प्रणाली और सांस्कृतिक परंपराओं का अभिन्न हिस्सा रही है।

         इसके सूजन-रोधी (anti-inflammatory) और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण हल्दी आज वैश्विक स्वास्थ्य और जीवनशैली उत्पादों जैसे हल्दी लट्टे, सप्लीमेंट्स और ऑर्गेनिक स्किनकेयरमें तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

         भारत विश्व का सबसे बड़ा हल्दी उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। वर्ष 2022–23 में देश में लगभग 3.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती हुई, जिससे 11.6 लाख टन उत्पादन प्राप्त हुआ। यह वैश्विक उत्पादन का 75% से अधिक है।

         भारत हल्दी के वैश्विक व्यापार में भी अग्रणी है और इसकी हिस्सेदारी 62% से अधिक है।

किसानों के लिए लाभ:

अभी तक हल्दी किसान बिचौलियों पर निर्भर रहते थे, जिसके कारण उनकी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा उनकी पहुँच से बाहर चला जाता था। राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन से किसानों को सीधे बेहतर बाजारों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा, जिससे वे अपने उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त कर सकेंगे।

वर्ष 2025 में हल्दी का बाजार मूल्य लगभग ₹18,000 से ₹19,000 प्रति क्विंटल रहा। सरकार का लक्ष्य है कि आगामी तीन वर्षों में यह मूल्य ₹6,000 से ₹7,000 प्रति क्विंटल तक और बढ़ाया जाए, जिससे किसानों की आय में सीधा इजाफा हो सके।

हल्दी के निर्यात को संगठित और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिए नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड और नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड किसानों के साथ मिलकर कार्य करेंगी। ये संस्थाएं निम्नलिखित क्षेत्रों में किसानों को सहयोग देंगी:

         उत्पाद की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करना,

         निर्यात योग्य हल्दी के लिए उपयुक्त और आकर्षक पैकेजिंग विकसित करना,

         कटाई और उपरांत प्रक्रियाओं (post-harvest handling) से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करना।

निष्कर्ष:
राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना भारत के हल्दी बाजार को संगठित और सशक्त बनाने की दिशा में एक निर्णायक पहल है। इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि हल्दी का वैश्विक व्यापार भी मजबूत होगा। यदि इस योजना को समुचित धन और संस्थागत समर्थन मिलता रहा, तो हल्दी किसान अधिक स्थिर और लाभदायक बाजारों तक पहुंच बना सकेंगे।