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Blog / 30 Sep 2025

“नक्सल मुक्त भारत” राष्ट्रीय सम्मेलन

संदर्भ:

28 सितम्बर 2025 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित नक्सल मुक्त भारत: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लाल आतंक का अंतविषयक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। इस सम्मेलन का आयोजन डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध फाउंडेशन (SPMRF) के तत्वावधान में किया गया।

नक्सलवाद के बारे में:

    • नक्सलवाद भारत में वामपंथी उग्रवादी कम्युनिस्ट आंदोलन को संदर्भित करता है, जो माओवादी विचारधारा के आधार पर सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से शासन परिवर्तन का प्रयास करता है। इसे वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism – LWE) के नाम से भी जाना जाता है।
      नक्सलवादशब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से हुई, जहाँ 1967 में चारु मजूमदार और कानू सान्याल के नेतृत्व में कृषक विद्रोह प्रारम्भ हुआ था। इस आंदोलन का प्रारंभिक उद्देश्य सामंती शोषण और भूमि अन्याय के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह के माध्यम से संघर्ष करना था।

भारत की रणनीति: नक्सलवाद उन्मूलन हेतु:

भारत ने वामपंथी उग्रवाद के उन्मूलन के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें सुरक्षा उपायों के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक विकास तथा सामुदायिक सशक्तिकरण को भी सम्मिलित किया गया है।

विकासात्मक पहलें:

    • सड़क संपर्क (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-II) : दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों तक पहुँच सुनिश्चित कर विकास एवं सुरक्षा अभियानों को सुगम बनाना।
    • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय: आदिवासी बच्चों के लिए शैक्षिक अवसरों का विस्तार कर दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक विषमताओं का निवारण।
    • मोबाइल कनेक्टिविटी (USOF/डिजिटल भारत निधि) : दूरस्थ क्षेत्रों के अलगाव को कम कर सुशासन तथा सरकारी सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करना।

सुरक्षा अभियान:

    • ऑपरेशन ग्रीन हंट: देशभर में नक्सली गढ़ों को ध्वस्त करने हेतु बड़े पैमाने पर अर्धसैनिक अभियान।
    • ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट: 21 अप्रैल 2025 से छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमावर्ती क्षेत्रों में नक्सली उग्रवादियों के विरुद्ध सुरक्षा बलों द्वारा चलाया गया अभियान।
    • विशेषीकृत इकाइयों की तैनाती: सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन और ग्रेहाउंड्स जैसी इकाइयाँ, जो गुरिल्ला युद्ध और जंगल अभियानों में विशेष रूप से प्रशिक्षित हैं।

कानूनी एवं शासन तंत्र:

    • गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम – UAPA: सरकार को नक्सली संगठनों पर प्रतिबंध लगाने और उनके सदस्यों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की अनुमति देता है।
    • वनाधिकार अधिनियम (2006): आदिवासियों को परंपरागत वनाधिकारों की मान्यता देकर उनके अलगाव को कम करने का प्रयास।
    • पेसा अधिनियम (1996): अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को सशक्त कर स्थानीय समुदायों को प्राकृतिक संसाधनों एवं शासन पर अधिक नियंत्रण प्रदान करना।

वर्तमान प्रगति:

    • नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 2014 में 126 से घटकर 2025 में केवल 18 रह गई है।
    • सर्वाधिक प्रभावित जिलों की संख्या 35 से घटकर 6 हो गई है।

निष्कर्ष:

नक्सल मुक्त भारतराष्ट्रीय सम्मेलन भारत की इस दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है कि मार्च 2026 तक वामपंथी उग्रवाद का संपूर्ण उन्मूलन किया जाएगा। यह लक्ष्य सुरक्षा की मजबूती, समावेशी विकास और सामुदायिक भागीदारी के समन्वित प्रयासों से ही संभव होगा। केंद्र एवं राज्यों के बीच निरंतर सहयोग और प्रभावित समुदायों के सशक्तिकरण को सुनिश्चित करना नक्सलवाद-मुक्त भारत की दिशा में प्रमुख कारक सिद्ध होगा।

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