संदर्भ:
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) ने हाल ही में तमिलनाडु के तिरुवल्लूर ज़िले में लाल चंदन (रेड सैंडर्स-वैज्ञानिक नाम: Pterocarpus Santalinus) की खेती करने वाले 18 किसानों को ₹55 लाख रुपये की लाभ-साझेदारी राशि प्रदान की है। यह राशि तमिलनाडु राज्य जैव विविधता बोर्ड (TNSBB) के माध्यम से जैव विविधता अधिनियम, 2002 के अंतर्गत पहुँच और लाभ साझाकरण (ABS) प्रणाली के तहत जारी की गई है।
लाल चंदन (प्टेरोकार्पस सैंटालिनस) के बारे में:
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विशेषता |
विवरण |
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वैज्ञानिक नाम |
टेरोकार्पस सैंटालिनस (Pterocarpus Santalinus) |
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सामान्य नाम |
लाल चंदन या रेड सैंडर्स |
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परिवार |
फैबेसी (Fabaceae) |
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IUCN स्थिति |
संकटग्रस्त (Endangered) – IUCN रेड लिस्ट 2021 |
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CITES सूची |
परिशिष्ट-II (Appendix II) – अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियंत्रित |
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भौगोलिक क्षेत्र |
दक्षिणी पूर्वी घाटों (Eastern Ghats) में स्थानिक (endemic); मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश में, कुछ खेती तमिलनाडु और कर्नाटक में भी |
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उपयोग |
यह अत्यधिक मूल्यवान लकड़ी संगीत वाद्य यंत्र, फर्नीचर, औषधि, रंग (डाई) और सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में उपयोग की जाती है। |
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संरक्षण की चिंता |
इसकी उच्च वैश्विक मांग, विशेषकर पूर्वी एशियाई देशों में, के कारण अत्यधिक तस्करी और अवैध व्यापार होता है। धीमी वृद्धि दर और सीमित प्राकृतिक विस्तार के कारण यह प्रजाति विलुप्ति के खतरे में है। |
पहुंच और लाभ साझाकरण (एबीएस) के तहत निधि जारी करने की प्रक्रिया:
पहुंच और लाभ-साझाकरण (ABS) प्रणाली, जैव विविधता अधिनियम, 2002 का सबसे महत्वपूर्ण अंग है।
इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत के जैविक संसाधनों के उपयोग से प्राप्त लाभ उन किसानों, समुदायों और संरक्षकों तक न्यायपूर्ण रूप से पहुंचे, जो इन संसाधनों का संरक्षण, संवर्द्धन या उत्पादन करते हैं।
चरणबद्ध प्रक्रिया:
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- व्यावसायिक उपयोग / पहुंच का अनुरोध: जब कोई कंपनी या व्यापारी किसी जैविक संसाधन (जैसे लाल चंदन की लकड़ी) का उपयोग, अनुसंधान या निर्यात करना चाहता है, तो उसे राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) या संबंधित राज्य जैव विविधता बोर्ड (SBB) से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होती है।
- लाभ का निर्धारण: राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण या राज्य जैव विविधता बोर्ड, संबंधित जैविक संसाधन के व्यावसायिक मूल्य का आकलन कर लाभ-साझेदारी शुल्क निर्धारित करता है। यह लाभ-साझाकरण रॉयल्टी, लाभ का निश्चित प्रतिशत, या तकनीकी सहयोग, प्रशिक्षण तथा संरक्षण प्रयासों के समर्थन के रूप में भी हो सकता है।
- फंड जमा करना: स्वीकृत उपयोगकर्ता या व्यापारी, निर्धारित राशि राष्ट्रीय जैव विविधता निधि (NBF) अथवा राज्य स्तर पर निर्दिष्ट निधि में जमा करता है।
- लाभार्थियों की पहचान और वितरण: राज्य जैव विविधता बोर्ड (SBB) उन किसानों, स्थानीय समुदायों या संस्थानों की पहचान करता है जो उस जैविक संसाधन के संरक्षक, उत्पादक या संवर्धक हैं और उन्हें लाभ-साझेदारी राशि प्रदान की जाती है।
- व्यावसायिक उपयोग / पहुंच का अनुरोध: जब कोई कंपनी या व्यापारी किसी जैविक संसाधन (जैसे लाल चंदन की लकड़ी) का उपयोग, अनुसंधान या निर्यात करना चाहता है, तो उसे राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) या संबंधित राज्य जैव विविधता बोर्ड (SBB) से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होती है।
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) के बारे में:
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पहलू |
विवरण |
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स्थापना का आधार |
जैव विविधता अधिनियम, 2002 |
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मुख्यालय |
चेन्नई, तमिलनाडु |
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मंत्रालय |
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) |
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प्रकृति |
वैधानिक और स्वायत्त संस्था |
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अध्यक्ष (2025 तक) |
केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त |
मुख्य कार्य और दायित्व:
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- भारत के जैविक संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान तक पहुंच को विनियमित करना।
- इन संसाधनों के उपयोग से प्राप्त लाभों का न्यायसंगत और समान वितरण ABS प्रणाली के अंतर्गत सुनिश्चित करना।
- जैव विविधता संरक्षण, सतत उपयोग तथा संबंधित नीतिगत मामलों पर केंद्र सरकार को परामर्श देना।
- राज्य जैव विविधता बोर्डों (SBBs) और स्थानीय जैव विविधता प्रबंधन समितियों (BMCs) के साथ समन्वय स्थापित करना ताकि जैव विविधता के संरक्षण और लाभ-साझाकरण की प्रक्रिया प्रभावी रूप से लागू की जा सके।
- भारत के जैविक संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान तक पहुंच को विनियमित करना।
निष्कर्ष:
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण द्वारा तमिलनाडु के लाल चंदन उत्पादकों को जारी किए गए ₹55 लाख भारत के जैव विविधता प्रशासन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं, जो समानता और न्याय के सिद्धांतों को व्यवहारिक रूप देते हैं। यह दर्शाता है कि संरक्षण लाभदायक हो सकता है, किसान लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षक बन सकते हैं, और जैविक संसाधनों का सतत उपयोग पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीण समृद्धि को भी बढ़ावा दे सकता है।
