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Blog / 06 Dec 2025

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक

संदर्भ:

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 2025 की अंतिम मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में सर्वसम्मति से रेपो दर में 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती का निर्णय लिया है, जिसके बाद रेपो दर घटकर 5.25% हो गई है। यह 2025 में रेपो दर में की गई चौथी कटौती है। इससे पहले फरवरी और अप्रैल में 25–25 bps तथा जून में 50 bps की कटौती की गई थी, जबकि अगस्त और अक्टूबर की बैठकों में दरें स्थिर रखी गई थीं।

उद्देश्य और तर्क:

      • रेपो दर में कटौती के मुख्य उद्देश्य हैं:
        • बाज़ार में तरलता (Liquidity) बढ़ाना।
        • बैंकिंग, रियल एस्टेट और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं जैसे ब्याज दरसंवेदनशील क्षेत्रों में खर्च और मांग को बढ़ावा देना।
        • आर्थिक विकास को तेज़ करना, साथ ही मुद्रास्फीति को RBI के लक्षित दायरे में बनाए रखना।
      • विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय RBI के विकास-केन्द्रित दृष्टिकोण को दर्शाता है , जो यह स्पष्ट करता है कि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में क्रेडिट प्रवाह और मांग-आधारित रिकवरी को समर्थन देने के लिए पूरी तरह तैयार है।

मुख्य प्रभाव”

1. गृह कर पर प्रभाव:

        • रेपो दर में कटौती का सबसे प्रत्यक्ष असर फ़्लोटिंगरेट होम लोन पर पड़ता है, क्योंकि अधिकांश गृह ऋण सीधे रेपो दर से जुड़े होते हैं। विश्लेषकों के अनुसार गृह ऋण धारकों को महत्वपूर्ण राहत मिलने की संभावना है:
          • ₹50 लाख के 20 साल की अवधि वाले होम लोन पर 8% ब्याज दर के साथ EMI ₹41,822 से घटकर ₹41,047 हो जाएगी, अर्थात लगभग ₹775 की मासिक बचत।
          • 15 साल की अवधि वाले लोन पर EMI ₹47,783 से घटकर ₹47,064 हो जाएगी, जिसमें  लगभग ₹719 की मासिक राहत।
          • यदि 2025 के दौरान कुल 125 bps की कटौती के प्रभाव को जोड़ा जाए, तो 20 साल की अवधि वाले लोन पर कुल मासिक राहत लगभग ₹3,939 और 15 साल के लोन पर लगभग ₹7,649 तक हो सकती है।
        • मौजूदा होम लोन ग्राहक भी इससे लाभान्वित होंगे। वे चाहें तो EMI कम कर सकते हैं या फिर EMI समान रखते हुए लोन की अवधि कम कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि 2025 की शुरुआत में 9% ब्याज दर पर ₹50 लाख का 20 साल का होम लोन लिया गया था, तो मौजूदा दर कटौतियों के बाद यह लोन लगभग 43 महीने पहले समाप्त हो सकता है, जबकि 15 साल अवधि वाले लोन की समयावधि लगभग 22 महीने कम हो सकती है।

2. रियल एस्टेट और अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव:

        • रेपो दर में कटौती से रियल एस्टेट क्षेत्र को स्पष्ट रूप से सकारात्मक बढ़त मिलेगी, क्योंकि डेवलपर्स के लिए कार्यशील पूंजी जुटाना, बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए फाइनेंस उपलब्ध कराना और टाउनशिप व इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट जैसे निर्माण कार्यों को तेज़ी से आगे बढ़ाना आसान हो जाएगा।
        • उपभोक्ता क्षेत्र पर भी इसका अनुकूल प्रभाव पड़ेगा। EMI घटने से उपभोक्ताओं की उपलब्ध आय बढ़ेगी, जिससे सतत उपभोक्ता वस्तुओं और अन्य उत्पादों पर खर्च बढ़ने की संभावना मजबूत होगी।

मौद्रिक नीति के बारे में:

      • मौद्रिक नीति का तात्पर्य केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों, मुद्रा आपूर्ति और क्रेडिट की उपलब्धता को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक उपकरणों के उपयोग से है, ताकि व्यापक आर्थिक नीतियों के लक्ष्यों को प्रभावी रूप से प्राप्त किया जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य मूल्य स्थिरता बनाए रखते हुए आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।
      • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को मौद्रिक नीति को संचालित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जैसा कि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में प्रावधानित है।

निष्कर्ष:

दिसंबर 2025 में RBI द्वारा की गई रेपो दर कटौती एक संतुलित नीति दृष्टिकोण को दर्शाती है, जो आर्थिक विकास को गति देती है, क्रेडिट प्रवाह को प्रोत्साहित करती है और होम लोन ग्राहकों को प्रत्यक्ष राहत प्रदान करती है, साथ ही मूल्य स्थिरता को भी बनाए रखती है। यह निर्णय निवेश, उपभोग और रियल एस्टेट गतिविधियों में तेजी लाने की संभावना को मजबूत करता है, जिससे भारत 2026 में प्रवेश करते हुए आर्थिक लचीलेपन और मजबूती को और अधिक मजबूत करेगा।