संदर्भ:
हाल ही में मिज़ोरम ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए भारत का पहला राज्य बन गया है जिसे उल्लास (ULLAS) पहल के तहत आधिकारिक रूप से पूर्ण साक्षर घोषित किया गया है।
उल्लास पहल के बारे में:
· उल्लास (Understanding Lifelong Learning for All in Society) पहल वर्ष 2022 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्कों में आजीवन सीखने की भावना को बढ़ावा देना है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की सोच पर आधारित है और औपचारिक शिक्षा से आगे बढ़कर समग्र शिक्षा पर ज़ोर देती है।
· उल्लास (Understanding Lifelong Learning for All in Society) पहल की शुरुआत वर्ष 2022 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्कों में आजीवन सीखने की भावना को प्रोत्साहित करना है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की दूरदर्शिता पर आधारित है और केवल औपचारिक शिक्षा तक सीमित न रहकर, समग्र और व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा देती है।
उल्लास पाँच मुख्य स्तंभों पर आधारित है:
1. मूलभूत साक्षरता – पढ़ना, लिखना और गणना करना
2. जीवन कौशल – व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक कौशल
3. मूल शिक्षा – विभिन्न विषयों का बुनियादी ज्ञान
4. व्यावसायिक प्रशिक्षण – रोज़गार के लिए ज़रूरी कौशल
5. निरंतर शिक्षा – आगे सीखते रहने के अवसर
पूर्ण साक्षरता की रणनीतियाँ:
यह उपलब्धि मजबूत योजना, बेहतर प्रशासन और समाज की सक्रिय भागीदारी का परिणाम है। समग्र शिक्षा के अंतर्गत बने राज्य परियोजना कार्यालय ने इस पहल को लागू किया। इसके लिए राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के अंतर्गत एक कार्यकारी समिति और संचालन परिषद का गठन किया गया।
राज्य ने स्थानीय और बहुभाषी शिक्षण सामग्री भी तैयार की, जैसे:
· वर्तियन – मिज़ो भाषा में अध्ययन सामग्री
· रोमई – छात्रों के लिए शिक्षण संसाधन
· मार्गदर्शिका – स्वयंसेवकों के लिए शिक्षण पथदर्शक
इस तरह की स्थानीय और समावेशी पहल से राज्य के दूरदराज़ क्षेत्रों के लोग भी शिक्षा से जुड़ सके।
मिज़ोरम की प्रमुख उपलब्धि:
मिज़ोरम की साक्षरता दर अब 98.2% हो गई है, जिसे आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2023–2024 के माध्यम से सत्यापित किया गया है। यह दर उल्लास पहल द्वारा निर्धारित 95% के लक्ष्य मानक को पार कर चुकी है। यह 2011 की जनगणना में दर्ज 91.33% साक्षरता दर की तुलना में एक उल्लेखनीय सुधार है, जब मिज़ोरम पहले ही केरल के बाद देश में दूसरे स्थान पर था।
आगे की राह:
अब जब मिज़ोरम ने लगभग सार्वभौमिक साक्षरता हासिल कर ली है, तो अगला लक्ष्य डिजिटल और वित्तीय साक्षरता है। इसके लिए पहले से ही प्रयास शुरू हो चुके हैं ताकि नागरिक:
· तकनीकी दुनिया में डिजिटल कौशल से सुसज्जित हों
· वित्तीय समझ बढ़ा सकें और आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें
ये लक्ष्य एनईपी 2020 के व्यापक उद्देश्यों के अनुरूप हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि मिजोरम शिक्षा के पारंपरिक और उभरते दोनों रूपों में अग्रणी बना रहे।
निष्कर्ष:
मिज़ोरम की यह उपलब्धि सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि यह संकल्प, सहयोग और दूरदर्शी नेतृत्व का प्रतीक है। भारत के पहले पूर्ण साक्षर राज्य के रूप में मिज़ोरम ने बाकी राज्यों के लिए एक मिसाल कायम की है। इसने यह साबित कर दिया है कि जब एकजुट प्रयास हों, तो सर्वसाक्षरता कोई सपना नहीं, बल्कि हकीकत बन सकती है।