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Blog / 21 Aug 2025

खान एवं खनिज संशोधन विधेयक, 2025 पारित

संदर्भ:

हाल ही में संसद ने खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक, 2025 पारित किया है, जिसका उद्देश्य लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की भारत में उपलब्धता और पहुँच को बढ़ाना है।

     यह विधेयक मौजूदा पट्टाधारकों को अतिरिक्त रॉयल्टी का भुगतान किए बिना इन महत्वपूर्ण खनिजों का खनन करने की अनुमति देता है, जिससे भारत निवेश के लिए और अधिक आकर्षक बन जाता है और रणनीतिक संसाधनों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करता है।

महत्वपूर्ण खनिजों के बारे में:

·        महत्वपूर्ण खनिज स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा अनुप्रयोगों सहित कई आधुनिक तकनीकों के लिए आवश्यक घटक हैं, जिनकी आपूर्ति शृंखलाएँ अक्सर व्यवधान के प्रति संवेदनशील होती हैं। ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों, अर्धचालकों, बैटरियों, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा निर्माण जैसे क्षेत्रों में अनिवार्य भूमिका निभाते हैं।

प्रमुख प्रावधान:

यह विधेयक खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन करता है। इसकी प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:

     पट्टाधारकों को अतिरिक्त रॉयल्टी के बिना अपने खनन पोर्टफोलियो में महत्वपूर्ण खनिजों को जोड़ने की अनुमति देना।

     खनिज व्यापार में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए खनिज एक्सचेंज बनाने हेतु केंद्र सरकार को सशक्त बनाना।

     महत्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण, निष्कर्षण और विकास को बढ़ावा देने की सरकार की क्षमता को सुदृढ़ बनाना।

सुधारों का महत्व:

  • संसाधन सुरक्षा: भारत को विशेष रूप से चीन जैसे देशों से आयात पर निर्भरता कम करने में सहायता करता है।
  • स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा: इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर पैनलों और बैटरी भंडारण के लिए घरेलू स्तर पर आवश्यक खनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
  • रणनीतिक क्षेत्रों को समर्थन: रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और एयरोस्पेस जैसे क्षेत्रों में भारत के विनिर्माण को सुदृढ़ बनाता है।
  • व्यापार सुगमता: रॉयल्टी का भार कम कर और खनन प्रक्रियाओं को सरल बनाकर निवेश को आकर्षित करता है।

National Critical Mineral Mission

राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के बारे में:

सुधारों के पूरक के रूप में, सरकार ने ₹34,000 करोड़ के बजट के साथ राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन की शुरुआत की है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:

·         24 चिन्हित महत्वपूर्ण खनिजों का अन्वेषण।

·         देश में और समुद्र के भीतर खनिज भंडारों का विकास।

·         खनन क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहन देना।

औद्योगिक उपयोग और विकास पर बढ़ते फोकस को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट का नाम बदलकर अब राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण एवं विकास ट्रस्ट कर दिया गया है।

चुनौतियाँ:

हालाँकि यह पहल महत्वाकांक्षी है, फिर भी इसके समक्ष कई चुनौतियाँ हैं:

·         पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में खनन से जुड़े पर्यावरणीय जोखिम।

·         तकनीकी रूप से उन्नत देशों के प्रभुत्व वाले क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा।

·         घरेलू स्तर पर शोधन और प्रसंस्करण क्षमताओं की कमी।

·         इन खनिजों की रणनीतिक प्रकृति के कारण उत्पन्न भू-राजनीतिक जटिलताएँ।

निष्कर्ष:

महत्वपूर्ण खनिज मिशन, यदि पर्यावरणीय संतुलन और सामाजिक जिम्मेदारियों के साथ प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो यह भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक मज़बूत स्थान दिला सकता है। यह न केवल आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया और ऊर्जा संक्रमण जैसी प्रमुख राष्ट्रीय पहलों को गति देगा, बल्कि आर्थिक विकास और रणनीतिक सुरक्षा को भी सुदृढ़ बनाएगा।