संदर्भ:
हाल ही में गृह मंत्रालय (एमएचए) ने प्रवासी भारतीय नागरिक (ओसीआई) कार्ड से संबंधित नियमों को सख्त करते हुए एक अधिसूचना जारी की। यह अधिसूचना नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई थी।
नियमों को सख्त करने के पीछे कारण:
ओसीआई मानदंडों का कठोर किया जाना, ओसीआई विशेषाधिकारों के दुरुपयोग तथा राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी आशंकाओं के परिप्रेक्ष्य में उठाया गया कदम है।
· ओसीआई धारकों द्वारा कथित रूप से वित्तीय धोखाधड़ी, भारत-विरोधी गतिविधियों तथा आपराधिक कृत्यों में संलिप्तता के अनेक हालिया मामलों ने सरकार को कठोर कदम उठाने हेतु प्रेरित किया है।
· इन उपायों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल भारतीय मूल के कानून-पालन करने वाले व्यक्ति ही ओसीआई योजना के लाभ के पात्र हों।
ओसीआई नियमों में प्रमुख बदलाव:
अधिसूचना के अनुसार, सरकार निम्नलिखित व्यक्तियों का ओसीआई पंजीकरण रद्द कर सकती है:
· अधिसूचना के अनुसार, यदि कोई ओसीआई धारक दो वर्ष या उससे अधिक की कारावास की सजा प्राप्त करता है, अथवा ऐसे अपराध में आरोपित है जिसमें सात वर्ष या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
ओसीआई योजना के बारे में:
ओसीआई योजना अगस्त 2005 में प्रारंभ की गई थी, जिसके अंतर्गत भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों को बिना वीज़ा के भारत आने की अनुमति प्रदान की जाती है।
- लाभ: ओसीआई कार्डधारकों को कई विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे आजीवन बहु-प्रवेश वीज़ा, आर्थिक एवं शैक्षिक लाभ, तथा भारत में निवास और रोजगार की सुविधा। हालांकि, वे न तो मतदान कर सकते हैं, न चुनाव लड़ सकते हैं, और न ही किसी संवैधानिक पद पर आसीन हो सकते हैं।
- पात्रता: यह योजना भारतीय मूल के उन व्यक्तियों के लिए है जो 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद भारत के नागरिक थे, या उस तिथि को भारत के नागरिक बनने के पात्र थे। पाकिस्तान, बांग्लादेश और केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए अन्य देशों के नागरिक इसमें शामिल नहीं हैं।
निष्कर्ष:
नए नियमों के तहत, गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए या आरोपित ओसीआई कार्डधारकों का दर्जा रद्द किया जा सकता है, जिससे भारत के साथ उनके दीर्घकालिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं। यह बदलाव विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों, विशेषकर कानूनी मामलों में शामिल लोगों के लिए अनिश्चितता उत्पन्न करता है और यह संदेश स्पष्ट करता है कि भारत आपराधिक गतिविधियों को, चाहे वे सांस्कृतिक या पैतृक संबंध रखने वाले व्यक्तियों द्वारा ही क्यों न की गई हों, स्वीकार नहीं करेगा।