संदर्भ:
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के कथन अनुसार भारत में संस्थागत प्रसव की दर बढ़कर 89 प्रतिशत हो गई है, जो 2014 में 79 प्रतिशत थी। अस्पतालों में होने वाले प्रसव में यह उल्लेखनीय वृद्धि मातृ मृत्यु अनुपात (Maternal Mortality Ratio – MMR) में तेज गिरावट का प्रमुख कारण बनी है। वर्ष 2020–22 की अवधि में MMR घटकर प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 88 रह गया है।
मुख्य आँकड़े और प्रवृत्तियाँ:
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- MMR में गिरावट: भारत का राष्ट्रीय MMR 2014–16 में 130 से घटकर 2019–21 में 93 हुआ और 2020–22 में और कम होकर 88 रह गया, जो मातृ स्वास्थ्य परिणामों में निरंतर सुधार को दर्शाता है।
- संस्थागत प्रसव में वृद्धि: NFHS-5 के अनुसार, देश में संस्थागत प्रसव 88.6 प्रतिशत तक पहुँच गए हैं—ग्रामीण क्षेत्रों में 87 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 94 प्रतिशत—जो औपचारिक स्वास्थ्य सुविधाओं तक बेहतर पहुँच को दर्शाता है।
- राज्य-स्तरीय उपलब्धियाँ: आठ राज्य, केरल (18), महाराष्ट्र (36), तेलंगाना (50), आंध्र प्रदेश (47), तमिलनाडु (38), झारखंड (50), गुजरात (55) और कर्नाटक (58)—पहले ही सतत विकास लक्ष्य (SDG) के तहत MMR को 70 से नीचे लाने का लक्ष्य हासिल कर चुके हैं।
- फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका: आशा (ASHA) कार्यकर्ताओं और अन्य अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों ने गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे मातृ मृत्यु में कमी आई है।
- MMR में गिरावट: भारत का राष्ट्रीय MMR 2014–16 में 130 से घटकर 2019–21 में 93 हुआ और 2020–22 में और कम होकर 88 रह गया, जो मातृ स्वास्थ्य परिणामों में निरंतर सुधार को दर्शाता है।
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मातृ स्वास्थ्य को समर्थन देने वाली सरकारी पहलें:
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- जननी सुरक्षा योजना (JSY) और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK): ये योजनाएँ निःशुल्क एवं कैशलेस संस्थागत प्रसव (सिजेरियन प्रसव सहित), मुफ्त दवाइयाँ, जाँच और परिवहन सुविधाएँ सुनिश्चित करती हैं।
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA): यह पहल प्रत्येक माह की 9 तारीख को निःशुल्क और सुनिश्चित प्रसव-पूर्व देखभाल प्रदान करती है। वर्ष 2025 तक इस कार्यक्रम से 9 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाएँ लाभान्वित हो चुकी हैं।
- स्वास्थ्य अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण: मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य (MCH) विंग्स के विस्तार और दूरदराज़ व वंचित क्षेत्रों में मेटरनिटी वेटिंग होम्स की स्थापना से मातृ स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में सुधार हुआ है।
- जननी सुरक्षा योजना (JSY) और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK): ये योजनाएँ निःशुल्क एवं कैशलेस संस्थागत प्रसव (सिजेरियन प्रसव सहित), मुफ्त दवाइयाँ, जाँच और परिवहन सुविधाएँ सुनिश्चित करती हैं।
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इन सभी उपायों के संयुक्त प्रभाव से भारत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 के अंतर्गत MMR को 100 से नीचे लाने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है और देश 2030 के सतत विकास लक्ष्य की दिशा में अग्रसर है।
मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) के बारे में:
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- मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) की परिभाषा प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर होने वाली मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में की जाती है। यह एक गर्भावस्था के दौरान मातृ कारणों से मृत्यु के जोखिम को दर्शाता है।
- इसमें गर्भावस्था, प्रसव या गर्भसमापन के 42 दिनों के भीतर होने वाली मृत्यु शामिल होती है, जबकि दुर्घटनात्मक या आकस्मिक कारणों से हुई मृत्यु को इसमें शामिल नहीं किया जाता।
- मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) की परिभाषा प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर होने वाली मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में की जाती है। यह एक गर्भावस्था के दौरान मातृ कारणों से मृत्यु के जोखिम को दर्शाता है।
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निष्कर्ष:
संस्थागत प्रसव की दर का 89 प्रतिशत तक पहुँचना और मातृ मृत्यु में निरंतर कमी भारत की मातृ स्वास्थ्य प्रणाली में हुई महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। घरेलू स्वास्थ्य पहलों और अंतरराष्ट्रीय मापन मानकों के बीच समन्वय से प्रभावी निगरानी और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण संभव हुआ है। हालाँकि, इन उपलब्धियों को बनाए रखने के लिए सेवा की गुणवत्ता पर निरंतर ध्यान, राज्यों व क्षेत्रों के बीच असमानताओं को कम करना और स्वास्थ्य तंत्र को और मजबूत करना आवश्यक होगा, ताकि प्रत्येक महिला को सुरक्षित, सुलभ और समान मातृ स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित की जा सकें।
