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Blog / 14 Jul 2025

छत्तीसगढ़ में माओवादियों का आत्मसमर्पण

सन्दर्भ:
हाल ही में 11 जुलाई 2025 को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले में 22 माओवादियों ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इन पर कुल ₹37.5 लाख का इनाम था। ये सभी माओवादी अबूझमाड़ के जंगल क्षेत्र में सक्रिय थे और भाकपा (माओवादी) के माड़ डिवीजन की कुटुल, नेलनार और इंद्रावती एरिया कमेटियों से जुड़े थे। यह आत्मसमर्पण "नक्सलमुक्त भारत अभियान" के तहत एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, जिसका लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक माओवाद का पूरी तरह उन्मूलन करना है।

भारत में वामपंथी उग्रवाद (LWE):
वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism) या नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है। यह आंदोलन सामाजिक-आर्थिक असमानताओं और माओवादी विचारधारा से प्रेरित होकर कमजोर और आदिवासी इलाकों में फैलता रहा है।

·         इसका उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से राज्य व्यवस्था को उखाड़ फेंकना और गरीबों व आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना है।

·         इसकी शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी आंदोलन से हुई थी।

·         यह मुख्य रूप से "रेड कॉरिडोर" नामक क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं।

Left Wing Extremism (LWE) in India

मुख्य कारण और प्रभाव:

·         सामाजिक-आर्थिक असमानता: ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की कमी से यह समस्या बढ़ी।

·         माओवादी विचारधारा: सत्ता पलटने की सोच और समानांतर शासन व्यवस्था की कोशिशें।

·         हिंसा और अस्थिरता: इन इलाकों में माओवादी हिंसा, लोगों का विस्थापन और विकास में बाधा उत्पन्न हुई।

सरकारी रणनीति:

·         राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना (2015): इसमें सुरक्षा, विकास और जनसंपर्कतीनों स्तरों पर काम किया गया।

·         सुरक्षा उपाय: केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती, काउंटर इंसर्जेंसी और आतंकवाद विरोधी स्कूल (CIAT) की स्थापना, राज्य पुलिस का आधुनिकीकरण।

·         विकास कार्य: सड़क निर्माण, मोबाइल नेटवर्क का विस्तार, कौशल विकास और वित्तीय समावेशन।

उपलब्धियाँ:

·         प्रभावित ज़िले घटकर 126 से 38 (2018 से 2024)

·         हिंसा में 81% की गिरावट (2010 की तुलना में), 2024 में 374 घटनाएँ दर्ज।

·         बीते 10 वर्षों में 8,000 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। 2024 में 90 माओवादी मारे गए, 104 गिरफ्तार और 164 ने आत्मसमर्पण किया।

निष्कर्ष:
यह आत्मसमर्पण सिर्फ एक रणनीतिक जीत नहीं, बल्कि सरकार की समावेशी नीति की सफलता का प्रमाण है, जहाँ सशस्त्र कार्रवाई के साथ-साथ सुधार और विकास का भी रास्ता अपनाया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र के साझा प्रयासों से नक्सलमुक्त भारतका सपना अब साकार होता नजर आ रहा है।