संदर्भ:
हाल ही में उपभोक्ता मामलों के विभाग (उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत) ने कानूनी मापविज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज) संशोधन नियम, 2025 अधिसूचित किए हैं। इस संशोधन का उद्देश्य कानूनी मापविज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011 को चिकित्सकीय उपकरण नियम, 2017 के अनुरूप बनाना है, ताकि चिकित्सा उपकरणों की पैकेजिंग से जुड़े नियमों में एकरूपता और स्पष्टता सुनिश्चित की जा सके।
मुख्य विशेषताएँ:
1. चिकित्सकीय उपकरण नियमों के साथ सामंजस्य:
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- इस संशोधन में उन पैकेजों के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं जिनमें चिकित्सा उपकरण (Medical Devices) शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य कानूनी मापविज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011 और चिकित्सकीय उपकरण नियम, 2017 के बीच सामंजस्य स्थापित करना है।
- इस संशोधन में उन पैकेजों के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं जिनमें चिकित्सा उपकरण (Medical Devices) शामिल हैं।
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2. घोषणा के मानक:
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- चिकित्सा उपकरणों की पैकेजिंग पर आवश्यक घोषणाएँ करना अब भी अनिवार्य रहेगा।
- लेकिन अब फॉन्ट साइज (अक्षर आकार) और लेबलिंग के आयाम से संबंधित मानक कानूनी मापविज्ञान नियमों की बजाय चिकित्सकीय उपकरण नियमों के अनुसार लागू होंगे।
- कानूनी मापविज्ञान नियमों के नियम 33 के तहत दी गई छूट अब चिकित्सा उपकरणों पर लागू नहीं होगी।
- पैकेज के मुख्य प्रदर्शन पैनल (Principal Display Panel) पर घोषणाएँ करना अब वैकल्पिक होगा, अर्थात निर्माता इन्हें चिकित्सकीय उपकरण नियमों के अनुसार दर्शा सकते हैं।
- चिकित्सा उपकरणों की पैकेजिंग पर आवश्यक घोषणाएँ करना अब भी अनिवार्य रहेगा।
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उद्देश्य:
• दो अलग-अलग नियमों के बीच नियामकीय (regulatory) एकरूपता और समन्वय सुनिश्चित करना।
• निर्माताओं के लिए अनुपालन (compliance) से संबंधित अस्पष्टताओं और जटिलताओं को कम करना।
• उपभोक्ताओं की सुरक्षा को सुदृढ़ करते हुए, चिकित्सा उपकरणों पर स्पष्ट, सटीक और समान लेबलिंग मानकों का पालन सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष:
कानूनी मापविज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज) संशोधन नियम, 2025 एक संतुलित और दूरदर्शी नियामकीय पहल का उदाहरण हैं। यह संशोधन उपभोक्ता सुरक्षा को मज़बूत, उद्योगों के लिए नियमों को स्पष्ट और नियामक प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाता है। चिकित्सा उपकरणों की लेबलिंग में एकरूपता और पारदर्शिता लाकर यह न केवल अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाता है, बल्कि उपभोक्ता विश्वास को भी सुदृढ़ करता है। यह कदम भारत के मजबूत, पारदर्शी और आत्मनिर्भर स्वास्थ्य-सेवा तंत्र की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
