सन्दर्भ:
हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने देशव्यापी “विशेष गहन पुनरीक्षण” (SIR) के दूसरे चरण की घोषणा की है, जिसे एस.आई.आर 2.0 कहा जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों को शुद्ध, अद्यतन और सुव्यवस्थित करना है।
एसआईआर 2.0 की आवश्यकता क्यों पड़ी?
निर्वाचन आयोग ने इस विशेष पुनरीक्षण अभियान के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण बताए हैं:
· बड़े पैमाने पर आंतरिक पलायन: हाल के वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी इलाकों की ओर तथा एक राज्य से दूसरे राज्य में लोगों का पलायन काफी बढ़ा है। इसके कारण कई मतदाता एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत पाए जाते हैं, जबकि कई ऐसे नागरिक हैं जो अपने नए पते पर पंजीकृत नहीं हो पाए हैं। इससे मतदाता सूची की सटीकता प्रभावित होती है।
· पुरानी और अप्रासंगिक मतदाता सूचियाँ: कई मतदाता सूचियाँ लंबे समय से अपडेट नहीं की गईं हैं। इनमें ऐसे नाम शामिल हैं जो अब निधन हो चुके हैं, या कहीं और स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं, या अब मतदान के पात्र नहीं रहे हैं। इस कारण सूचियों में बड़ी संख्या में गलत और निष्क्रिय प्रविष्टियाँ बनी हुई हैं।
· राजनीतिक और प्रशासनिक चिंताएँ: कई राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और अन्य हितधारकों ने मतदाता सूचियों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि सूचियों में फर्जी, दोहराए गए या गलत नाम शामिल हैं और कई पात्र मतदाता सूची से गायब हैं। इसके अलावा, लंबे समय से किसी भी व्यापक पुनरीक्षण अभियान का आयोजन नहीं हुआ था, जिससे मतदाता सूची की सटीकता पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
कार्यान्वयन क्षेत्र:
SIR 2.0 (द्वितीय चरण) देश के 12 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में क्रियान्वित किया जा रहा है।
· राज्य: छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल।
· केंद्र शासित प्रदेश: अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप तथा पुडुचेरी।
मुख्य विशेषताएँ:
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- हर पात्र नागरिक अपना नाम सूची में जांच सकता है, सुधार के लिए आवेदन कर सकता है (जैसे – नाम में बदलाव, पते में बदलाव), नया नाम जुड़वाने या गलत प्रविष्टियों (जैसे मृत, स्थानांतरित, या दोहराए गए नाम) पर आपत्ति दर्ज करा सकता है।
- आधार कार्ड पहचान और सत्यापन के लिए एक वैकल्पिक दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाएगा परंतु यह अनिवार्य नहीं है।
- घनी आबादी वाले क्षेत्रों जैसे ऊँची इमारतों, आवासीय सोसाइटियों (RWAs) या झुग्गी बस्तियों में नए मतदान केंद्र (Polling Stations) बनाए जा सकते हैं ताकि प्रत्येक केंद्र पर मतदाताओं की संख्या सीमित रहे।
- निर्वाचन आयोग का लक्ष्य है कि किसी भी मतदान केंद्र पर लगभग 1,200 से अधिक मतदाता न हों, हालांकि यह सीमा राज्य के अनुसार थोड़ी भिन्न हो सकती है।
- हर पात्र नागरिक अपना नाम सूची में जांच सकता है, सुधार के लिए आवेदन कर सकता है (जैसे – नाम में बदलाव, पते में बदलाव), नया नाम जुड़वाने या गलत प्रविष्टियों (जैसे मृत, स्थानांतरित, या दोहराए गए नाम) पर आपत्ति दर्ज करा सकता है।
निष्कर्ष:
एसआईआर 2.0 आगामी चुनावों से पहले चुनिंदा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों को अद्यतन और शुद्ध करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। यह लोकतांत्रिक आधार को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक पात्र नागरिक को सूची में शामिल किया जाए और दोहराई गईं, गलत या अमान्य प्रविष्टियाँ हटाई जाएँ। साथ ही, इस प्रक्रिया के दौरान प्रशासनिक, परिचालनात्मक और राजनीतिक दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं, जिन्हें प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना आवश्यक है।

