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Blog / 17 Jul 2025

सबसे बड़े ब्लैक होल विलय का पता चला

सन्दर्भ: 
एक अंतरराष्ट्रीय गुरुत्वाकर्षण तरंग वेधशालाओं के नेटवर्क ने अब तक का सबसे विशाल ब्लैक होल विलय (Merger) दर्ज किया है। इस घटना को GW231123 नाम दिया गया है, जिसमें दो अत्यधिक विशाल ब्लैक होल आपस में टकराए। एक ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य के लगभग 140 गुना था और दूसरे का लगभग 100 गुना। इनके टकराव से बना नया ब्लैक होल लगभग 225 सूर्य के बराबर द्रव्यमान का है।

  • यह खोज LVK नेटवर्क द्वारा की गई, जिसमें अमेरिका का लाइगो (LIGO), इटली का विर्गो (Virgo) और जापान का काग्रा (KAGRA) शामिल हैं। भारत भी अपना वेधशाला LIGO-India बना रहा है, जिससे इस नेटवर्क की सटीकता और पहुंच और बेहतर होगी।

गुरुत्वाकर्षण तरंगें और उनका महत्व:

  • ये अंतरिक्ष-समय (space-time) में पैदा होने वाली लहरें होती हैं, जो ब्रह्मांड की अत्यंत उग्र घटनाओं से उत्पन्न होती हैं।
  • इन्हें सबसे पहले 1915 में आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत में बताया गया था और 2015 में पहली बार LIGO ने इन्हें मापा।
  • इससे वैज्ञानिक उन घटनाओं का अध्ययन कर सकते हैं जो पारंपरिक दूरबीनों से नहीं देखी जा सकतीं, जैसे कि ब्लैक होल और न्यूट्रॉन स्टार की टक्कर।

GW231123 घटना के मुख्य बिंदु:

  • ब्लैक होल 1: लगभग 140 सूर्य के बराबर
  • ब्लैक होल 2: लगभग 100 सूर्य के बराबर
  • अंतिम ब्लैक होल: लगभग 225 सूर्य के बराबर
  • घूर्णन गति (Spin): दोनों ब्लैक होल बहुत तेज़ी से घूम रहे थे, जिससे पता चलता है कि उनका निर्माण काफी जटिल और गतिशील प्रक्रिया से हुआ।
  • संकेत की अवधि: पूरी घटना केवल 0.1 सेकंड तक चली।
  • दूरी: यह घटना अरबों प्रकाश वर्ष दूर घटीयानी हम ब्रह्मांड के अतीत को देख रहे हैं।

Largest Black Hole Merger Detected

GW231123 क्यों महत्वपूर्ण है?

1.        मध्यम आकार के ब्लैक होल का पहला स्पष्ट प्रमाण

o    सामान्यत: तारे से बने ब्लैक होल 60 सौर द्रव्यमान से कम होते हैं।

o    यह खोज 100–140 सौर द्रव्यमान वाले दुर्लभ ब्लैक होल की मौजूदगी को साबित करती है।

2.      "हायरेरकिकल मर्जर" सिद्धांत को समर्थन

o    संभव है कि ये विशाल ब्लैक होल पहले छोटे ब्लैक होल के कई टकरावों से बने हों।

o    इससे यह भी संकेत मिलता है कि आकाशगंगाओं के केंद्र में पाए जाने वाले सुपरमैसिव ब्लैक होल इसी प्रक्रिया से बन सकते हैं।

3.      वर्तमान खगोलीय सिद्धांतों को चुनौती

o    वर्तमान सिद्धांतों के अनुसार, 65–120 सौर द्रव्यमान के बीच के ब्लैक होल "पेयर-अस्थिरता सुपरनोवा" के कारण नहीं बन सकते।

o    इस घटना से यह सीमा गलत साबित होती है, जिससे नए सिद्धांतों की आवश्यकता उत्पन्न होती है।

4.     आइंस्टीन का सिद्धांत सही, लेकिन नई सीमाएं तय करता है

o    यह तरंगें आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत से मेल खाती हैं, लेकिन इतनी बड़ी घटनाएं उस सिद्धांत की चरम सीमा की जांच भी करती हैं।

व्यापक प्रभाव:

  • खगोलशास्त्र: यह बताता है कि इतने बड़े विलय कहां और कैसे होते हैं, जैसे घने तारों वाले समूहों में।
  • ब्रह्मांड विज्ञान: ब्लैक होल की जनसंख्या और ब्रह्मांडीय विकास को बेहतर समझने में मदद मिलेगी।
  • गुरुत्वाकर्षण तरंग विज्ञान: वैश्विक सहयोग और नए वेधशालाओं (जैसे LIGO-India) की अहम भूमिका को रेखांकित करता है।
  • भविष्य का अनुसंधान: यह खोज कण भौतिकी, गुरुत्वाकर्षण और ब्रह्मांड विज्ञान में नई संभावनाएं खोल सकती है, खासकर अगर इस तरह की घटनाएं आम पाई जाती हैं।

निष्कर्ष:

GW231123 एक ऐतिहासिक खोज है जो मध्यम द्रव्यमान वाले ब्लैक होल के अस्तित्व की पुष्टि करती है, ब्लैक होल निर्माण के मौजूदा सिद्धांतों को चुनौती देती है और गुरुत्वाकर्षण तरंग खगोल विज्ञान में वैश्विक सहयोग की शक्ति को प्रदर्शित करती है। जैसे-जैसे LIGO-India जैसे उपकरण इस नेटवर्क से जुड़ेंगे, ऐसी खोजें ब्रह्मांड की सबसे चरम घटनाओं के बारे में हमारी समझ को और गहरा करेंगी।