संदर्भ:
हाल ही में रूस ने अपनी नई परमाणु-संचालित पनडुब्बी “खाबरोवस्क श्रेणी” (Khabarovsk-Class) को लॉन्च किया है। यह पनडुब्बी विशेष रूप से पानी के भीतर चलने वाले “पोसाईडन (Poseidon)” नामक परमाणु ड्रोन/मिसाइल सिस्टम को ले जाने के लिए बनाई गई है। इस पोसाईडन को “डूम्सडे मिसाइल” अर्थात “प्रलय मिसाइल” भी कहा जाता है।
मुख्य विशेषताएँ:
यह रूस की परियोजना 09851 का हिस्सा है और इसे रुबिन सेंट्रल डिज़ाइन ब्यूरो ऑफ़ मरीन इंजीनियरिंग ने डिज़ाइन और निर्मित किया है।
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- लोड-क्षमता: यह पनडुब्बी छह पोसाईडन परमाणु-ऊर्जा चालित अंडरवाटर ड्रोन (AUVs) ले जाने में सक्षम है, जिनमें से प्रत्येक बहु-मेगाटन क्षमता वाला परमाणु वारहेड ले जा सकता है।
- पोसाईडन का स्वरूप: पोसाईडन पारंपरिक मिसाइल नहीं है; यह एक स्वायत्त, परमाणु-ऊर्जा चालित पानी के नीचे चलने वाला वाहन है, जिसे बहुत गहरी जलराशियों में हजारों किलोमीटर तक यात्रा करने और पारंपरिक पनडुब्बी-रोधी रक्षा प्रणालियों की पहुंच से बाहर रहने के लिए बनाया गया है।
- क्षमता व खतरा: रूसी अधिकारियों का दावा है कि पोसाईडन की डिज़ाइन और उसके वारहेड ऐसा प्रभाव पैदा कर सकते हैं, जैसे रेडियोधर्मी सुनामी, जो तटीय शहरों और बुनियादी ढाँचे को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर सकते हैं।
- लोड-क्षमता: यह पनडुब्बी छह पोसाईडन परमाणु-ऊर्जा चालित अंडरवाटर ड्रोन (AUVs) ले जाने में सक्षम है, जिनमें से प्रत्येक बहु-मेगाटन क्षमता वाला परमाणु वारहेड ले जा सकता है।
रणनीतिक महत्व:
1. द्वितीय प्रहार क्षमता में वृद्धि: पोसाईडन प्रणाली रूस को एक नई और अत्याधुनिक निवारक शक्ति (Deterrence) प्रदान करती है। यह उसकी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) और वायु-आधारित परमाणु हथियारों का प्रभावी पूरक है। यह एक स्वायत्त, गुप्त और अत्यधिक टिकाऊ हथियार प्रणाली है, जो किसी संभावित परमाणु प्रथम हमले के बाद भी रूस को जवाबी प्रहार करने की सुनिश्चित क्षमता देती है।
2. समुद्री शक्ति का विस्तार: खाबारोव्स्क पनडुब्बी रूस की समुद्री रणनीतिक क्षमता को और मजबूत बनाती है। यह विशेष रूप से अटलांटिक और आर्कटिक महासागरीय क्षेत्रों में रूस की नौसैनिक उपस्थिति को सशक्त करती है, जिससे उसे अपने विरोधी देशों के तटीय क्षेत्रों पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालने की क्षमता मिलती है।
3. भूराजनीतिक संकेत: इस पनडुब्बी का अनावरण ऐसे समय में हुआ है जब रूस और नाटो देशों के बीच तनाव चरम पर है। यह रूस का स्पष्ट संकेत है कि वह रणनीतिक और तकनीकी स्तर पर पश्चिमी देशों से पीछे नहीं हटेगा और अपनी सैन्य श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
4. हथियार नियंत्रण की जटिलताएँ: पोसाईडन जैसे स्वायत्त पानी के भीतर चलने वाले परमाणु हथियार मौजूदा हथियार नियंत्रण समझौतों, जैसे न्यू स्टार्ट संधि को अप्रासंगिक और जटिल बना देते हैं, क्योंकि इन समझौतों में ऐसे हथियारों का कोई प्रावधान नहीं है। इससे वैश्विक सुरक्षा संतुलन अस्थिर हो सकता है और एक नई “पनडुब्बी हथियार दौड़” की शुरुआत होने की संभावना बढ़ जाती है।
भारत के लिए प्रभाव:
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- भारत के लिए यह विकास इस बात की याद दिलाता है कि दुनिया में पानी के नीचे निवारक प्रणालियाँ (Undersea Deterrence Systems) कितनी उन्नत होती जा रही हैं।
- भारत जब अपनी अरिहंत-श्रेणी की SSBN पनडुब्बियों का विस्तार कर रहा है, तब उसे अपनी पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) क्षमता, पानी के नीचे निगरानी प्रणाली और रणनीतिक साझेदारियों (जैसे रूस, अमेरिका और फ्रांस के साथ) को और मजबूत करना चाहिए, ताकि हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- भारत के लिए यह विकास इस बात की याद दिलाता है कि दुनिया में पानी के नीचे निवारक प्रणालियाँ (Undersea Deterrence Systems) कितनी उन्नत होती जा रही हैं।
निष्कर्ष:
रूस की नई खाबारोव्स्क पनडुब्बी और “पोसाईडन” डूम्सडे मिसाइल परमाणु निवारण (Nuclear Deterrence) रणनीति में एक महत्वपूर्ण कदम का संकेत देती हैं, जहाँ स्वायत्त, लंबी दूरी तक चलने वाले पानी के भीतर हथियार सुरक्षा और स्थिरता की नई परिभाषा तय कर रहे हैं। यह रूस की निवारक स्थिति को तो मजबूत बनाती है, लेकिन साथ ही परमाणु वृद्धि, सत्यापन की कठिनाइयों और समुद्री सुरक्षा से जुड़ी वैश्विक चिंताओं को भी गहरा करती है।
