संदर्भ:
कर्नाटक के राज्यपाल ने हाल ही में "कर्नाटक प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स (सामाजिक सुरक्षा और कल्याण) अध्यादेश, 2025" को मंजूरी दी है। यह अध्यादेश भारत की बढ़ती प्लेटफॉर्म इकोनॉमी (जैसे डिलीवरी, कैब ड्राइवर, ऑनलाइन सेवाएं देने वाले काम) में काम करने वाले गिग वर्कर्स के लिए एक सामाजिक सुरक्षा ढांचे की नींव रखता है।
मुख्य विशेषताएँ:
1. एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म से वेलफेयर फीस
गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म के बीच होने वाले हर लेन-देन पर 1% से 5% तक की वेलफेयर फीस लगेगी।
यह पैसा सोशल सिक्योरिटी फंड में जमा होगा।
यह नियम Swiggy, Zomato, Ola, Uber, Amazon जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लागू होगा।
हर तीन महीने में फीस जमा करनी होगी और देरी पर ब्याज भी लगेगा।
अलग-अलग क्षेत्रों के लिए सटीक फीस बाद में घोषित की जाएगी।
2. गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड का गठन
एक “कर्नाटक गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड” बनाया जाएगा जो सभी योजनाओं की निगरानी करेगा।
एक Payment and Welfare Fee Verification System (PWFVS) बनाया जाएगा, जो सभी ट्रांजैक्शन की निगरानी करेगा और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।
जब तक यह सिस्टम चालू नहीं होता, तब तक कंपनियां खुद रिपोर्ट कर सकती हैं और अस्थायी छूट पा सकती हैं।
3. सामाजिक सुरक्षा लाभ
यह फंड तीन स्रोतों से मिलेगा:
1. प्लेटफॉर्म की फीस
2. वर्कर का योगदान
3. सरकार की सहायता
प्रमुख लाभ:
- स्वास्थ्य और बीमा सुरक्षा
- मातृत्व सहायता और आमदनी में कमी की भरपाई
- वृद्धावस्था, विकलांगता और दुर्घटना सुरक्षा
- महिला और दिव्यांग श्रमिकों के लिए विशेष सुविधाएं
4. श्रमिक पंजीकरण और अधिकार
- हर गिग वर्कर को एक यूनिक आईडी नंबर मिलेगा, जो सभी प्लेटफॉर्म पर मान्य होगा।
- सभी कंपनियों को वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण कराना होगा।
- श्रमिकों के कॉन्ट्रैक्ट में यह बातें स्पष्ट होंगी:
- भुगतान की शर्तें
- बोनस या प्रोत्साहन की जानकारी
- काम को मना करने का अधिकार
- वर्कर को बिना किसी कारण 14 दिन पहले लिखित नोटिस के बिना सस्पेंड या निकाल नहीं सकते (सिर्फ हिंसा या गंभीर मामलों को छोड़कर)।
5. एल्गोरिदमिक पारदर्शिता और भेदभाव निषेध
- प्लेटफॉर्म को यह बताना होगा कि उनका एल्गोरिदम (सॉफ्टवेयर सिस्टम) कैसे तय करता है कि कौन-सा वर्कर कौन-सा काम करेगा, रेटिंग क्या होगी, आदि।
- किसी भी वर्कर के साथ जेंडर, जाति, धर्म या सामाजिक आधार पर भेदभाव करना सख्त मना है।
6. शिकायत निवारण और भुगतान प्रणाली
- एक दो-स्तरीय शिकायत समाधान तंत्र बनेगा जो वर्कर और प्लेटफॉर्म के बीच विवाद सुलझाएगा।
- कंपनियों को समय पर भुगतान करना होगा और कटौती की जानकारी स्पष्ट देनी होगी।
- नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना और ब्याज लगाया जाएगा।
निष्कर्ष:
यह अध्यादेश भारत में पहला ऐसा कानून है जो गिग वर्कर्स के लिए विशेष रूप से कल्याण और सामाजिक सुरक्षा का ढांचा तैयार करता है। यह न सिर्फ गिग वर्कर्स की आर्थिक भागीदारी को मान्यता देता है, बल्कि उनके अधिकारों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। यह अध्यादेश कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी, 2020 के साथ भी तालमेल बैठाता है, जिससे अनौपचारिक श्रम को औपचारिक सुरक्षा तंत्र से जोड़ा जा सके।