संदर्भ:
कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम्स (प्रिवेंशन) बिल, 2025 हाल ही में कर्नाटक राज्य विधान सभा में प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही कर्नाटक ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है, जिसने हेट स्पीच को परिभाषित करने और उससे निपटने हेतु एक समर्पित कानून पेश किया है। यह विधेयक नफरत और सामाजिक वैमनस्य (social disharmony) के प्रसार को रोकने के लिए एक विशिष्ट कानूनी ढांचा स्थापित करने का प्रयास करता है, क्योंकि भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 जैसे मौजूदा राष्ट्रीय कानूनों में “हेट स्पीच” की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है।
विधेयक के अनुसार हेट स्पीच की परिभाषा:
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- हेट स्पीच: ऐसी कोई भी अभिव्यक्ति जिसका उद्देश्य धर्म, जाति, लिंग, यौन अभिविन्यास (sexual orientation), जन्म स्थान, भाषा, दिव्यांगता या जनजाति के आधार पर किसी व्यक्ति, समूह या समुदाय के विरुद्ध चोट पहुँचाना, वैमनस्य या दुर्भावना (ill-will) उत्पन्न करना हो।
- हेट क्राइम: हेट स्पीच को बढ़ावा देने, प्रचारित करने, उकसाने या सहायता करने का कोई भी कृत्य, जिसका उद्देश्य शत्रुता या सामाजिक वैमनस्य उत्पन्न करना हो।
- हेट स्पीच: ऐसी कोई भी अभिव्यक्ति जिसका उद्देश्य धर्म, जाति, लिंग, यौन अभिविन्यास (sexual orientation), जन्म स्थान, भाषा, दिव्यांगता या जनजाति के आधार पर किसी व्यक्ति, समूह या समुदाय के विरुद्ध चोट पहुँचाना, वैमनस्य या दुर्भावना (ill-will) उत्पन्न करना हो।
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विधेयक के प्रमुख प्रावधान:
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- दंड (Penalties)
- प्रथम बार अपराध: 1 से 7 वर्ष का कारावास और ₹50,000 जुर्माना
- पुनरावृत्ति (Repeat Offence): 2 से 10 वर्ष का कारावास और ₹1,00,000 जुर्माना
- प्रथम बार अपराध: 1 से 7 वर्ष का कारावास और ₹50,000 जुर्माना
- कानूनी प्रकृति: अपराध संज्ञेय , गैर-जमानती होंगे तथा प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (JMFC) द्वारा विचारणीय होंगे।
- मध्यस्थों की जवाबदेही: यदि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या सेवा प्रदाता हेट-आधारित अपराधों को सुविधा या सक्षम बनाते हैं, तो उनके विरुद्ध भी दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
- ऑनलाइन सामग्री हटाना: नामित राज्य अधिकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मौजूद हेट स्पीच या हेट क्राइम से संबंधित सामग्री को ब्लॉक या हटाने का आदेश दे सकते हैं।
- निवारक कार्रवाई (Preventive Action): कार्यपालिका मजिस्ट्रेट तथा पुलिस अधिकारी (DySP रैंक और उससे ऊपर) निवारक कदम उठा सकते हैं, यदि किसी व्यक्ति या समूह द्वारा हेट स्पीच या हेट क्राइम किए जाने की आशंका हो।
- संगठनों द्वारा अपराध: संगठन/संस्थाएँ भी उत्तरदायी ठहराई जा सकती हैं। जिम्मेदार व्यक्तियों के विरुद्ध अभियोजन किया जा सकता हैं।
- अपवाद: जनहित में, या विज्ञान, साहित्य, कला, शिक्षा, विरासत या धर्म से संबंधित सामग्री को अपवाद दिया गया है, बशर्ते वह नफरत को बढ़ावा न दे या हानि के लिए उकसावे का कारण न बने।
- दंड (Penalties)
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संवैधानिक पहलू:
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- अनुच्छेद 19(1)(a): अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: यह विधेयक उन अभिव्यक्तियों को सीमित करता है जो नफरत, शत्रुता या सामाजिक वैमनस्य को भड़काती हैं। ऐसी सीमाएँ अनुच्छेद 19(2) के अंतर्गत सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता, नैतिकता और राज्य की सुरक्षा के हित में लगाए गए उचित प्रतिबंध (reasonable restrictions) के दायरे में आती हैं।
- अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार: हेट क्राइम्स और लक्षित शत्रुता को अपराध घोषित करके यह विधेयक व्यक्तियों और समुदायों को नुकसान से बचाने का प्रयास करता है, जिससे गरिमापूर्ण जीवन (right to live with dignity) की रक्षा होती है।
- अनुच्छेद 14: समानता का अधिकार: यह विधेयक धर्म, जाति, लिंग, यौन अभिविन्यास और अन्य संरक्षित विशेषताओं के आधार पर होने वाले भेदभाव को संबोधित करता है तथा सभी नागरिकों को कानून के समान संरक्षण की गारंटी देता है।
- अनुच्छेद 19(1)(a): अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: यह विधेयक उन अभिव्यक्तियों को सीमित करता है जो नफरत, शत्रुता या सामाजिक वैमनस्य को भड़काती हैं। ऐसी सीमाएँ अनुच्छेद 19(2) के अंतर्गत सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता, नैतिकता और राज्य की सुरक्षा के हित में लगाए गए उचित प्रतिबंध (reasonable restrictions) के दायरे में आती हैं।
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निष्कर्ष:
कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम्स (प्रिवेंशन) विधेयक, 2025 सामाजिक सौहार्द को सुदृढ़ करने, पीड़ितों के लिए स्पष्ट कानूनी उपचार उपलब्ध कराने और नफरत-प्रेरित हिंसा के बढ़ने से पहले निवारक कार्रवाई को सक्षम बनाने का प्रयास करता है।


