सन्दर्भ:
भारत की महत्वाकांक्षी कलादान मल्टीमोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना (KMTTP) तेजी से आगे बढ़ रही है और इसके 2027 तक पूरी तरह शुरू होने की उम्मीद है। यह परियोजना भारत के पूर्वी बंदरगाहों को म्यांमार के रास्ते पूर्वोत्तर भारत से जोड़ती है। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देना, संपर्क को बेहतर बनाना और दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करना है।
इस परियोजना के पूरा होने पर कोलकाता और आइज़ॉल (मिजोरम की राजधानी) के बीच की दूरी लगभग 700 से 1000 किलोमीटर तक कम हो जाएगी। इससे परिवहन लागत और समय दोनों में 50% से अधिक की कमी आएगी, जिससे पूर्वोत्तर राज्यों के लिए व्यापार अधिक सुगम और किफायती हो जाएगा।
कलादान परियोजना की मुख्य विशेषताएँ:
- इस परियोजना की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) की भौगोलिक अलगाव की समस्या का समाधान किया जा सके। यह क्षेत्र भारत से केवल सिलीगुड़ी कॉरिडोर (जिसे "चिकन नेक" कहा जाता है) के माध्यम से जुड़ा है, जो बहुत संकीर्ण और संवेदनशील है।
- 2008 में भारत और म्यांमार के बीच इस परियोजना के लिए एक समझौता हुआ था।
- इसमें दो मुख्य हिस्से हैं:
1. जलमार्ग: म्यांमार के सिटवे बंदरगाह से माल को कलादान नदी के रास्ते पलेटवा तक पहुंचाया जाएगा।
2. सड़क मार्ग: पलेटवा से ज़ोरिनपुई (मिजोरम) तक माल को सड़क मार्ग से भेजा जाएगा।
- सिटवे बंदरगाह पहले ही तैयार है और मिजोरम तक सड़क निर्माण कार्य जारी है।
- भारत सरकार ने जलमार्ग के विकास पर लगभग ₹1,000 करोड़ का निवेश किया है।
रणनीतिक और आर्थिक महत्व:
- सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता में कमी: यह कॉरिडोर केवल 21 किमी चौड़ा है और संकट के समय बाधित हो सकता है। कलादान परियोजना एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करती है।
- बांग्लादेश पर निर्भरता में कमी: हालांकि बांग्लादेश ने भारत को ट्रांजिट की सुविधा दी है, म्यांमार के माध्यम से स्वतंत्र मार्ग से भारत की लॉजिस्टिक सुरक्षा मजबूत होती है।
- ‘एक्ट ईस्ट नीति’ को मजबूती: यह परियोजना भारत की एक्ट ईस्ट पालिसी को समर्थन देती है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया से भारत के संपर्क को बढ़ावा देती है।
- चीन के प्रभाव का संतुलन: चीन, चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारा (CMEC) बना रहा है। भारत की यह परियोजना म्यांमार में उसकी रणनीतिक उपस्थिति बनाए रखती है।
- आर्थिक विकास: इस परियोजना से पूर्वोत्तर में उद्योग, कृषि प्रसंस्करण और पर्यटन जैसे क्षेत्रों को लाभ मिलेगा।
अन्य कनेक्टिविटी पहलें:
- भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग: मणिपुर को थाईलैंड से जोड़ने वाला राजमार्ग।
- भारत-बांग्लादेश अंतर्देशीय जलमार्ग संधि: दोनों देशों की नदियों को पारस्परिक व्यापार के लिए खोलने वाला समझौता।
- बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल मोटर वाहन समझौता: चार देशों के बीच सड़क परिवहन को आसान बनाना।
- चटगांव और मोंगला बंदरगाहों का उपयोग: बांग्लादेश के बंदरगाहों के माध्यम से पूर्वोत्तर को जोड़ने की सुविधा।
निष्कर्ष:
कलादान परियोजना भारत की एक ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व की अधोसंरचना परियोजना है, जो पूर्वोत्तर भारत की कनेक्टिविटी, सुरक्षा और आर्थिक संभावनाओं को नया आयाम देगी। यह न केवल सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता को कम करेगी, बल्कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को भी गति देगी और क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करेगी।