संदर्भ:
हाल ही में जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। उन्होंने न्यायमूर्ति बी.आर. गवई का स्थान लिया, जो देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश थे।
न्यायिक और विधिक उपलब्धियाँ:
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- 7 जुलाई 2000 को हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता (Advocate General) के रूप में नियुक्त हुए।
- मार्च 2001 में वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) का दर्जा प्रदान किया।
- 9 जनवरी 2004 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।
- 5 अक्टूबर 2018 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभाला।
- 24 मई 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति मिली।
- 12 नवंबर 2024 से सर्वोच्च न्यायालय की विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत।
- 7 जुलाई 2000 को हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता (Advocate General) के रूप में नियुक्त हुए।
मुख्य न्यायाधीश के बारे में:
मुख्य न्यायाधीश भारत की न्यायपालिका के सर्वोच्च न्यायिक पद पर होते हैं और सर्वोच्च न्यायालय का नेतृत्व करते हैं।
मुख्य दायित्व:
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- सर्वोच्च न्यायालय में मामलों का आवंटन करना और उपयुक्त पीठों का गठन करना।
- संस्थागत नियमों के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय तथा व्यापक न्यायिक तंत्र का प्रशासनिक नेतृत्व करना।
- शासन की अन्य शाखाओं के साथ औपचारिक स्तर पर न्यायपालिका का प्रतिनिधित्व करना तथा आवश्यक औपचारिक जिम्मेदारियाँ निभाना।
- संविधान, विधिक प्रक्रिया और न्यायिक स्वतंत्रता की रक्षा सुनिश्चित करना।
- सर्वोच्च न्यायालय में मामलों का आवंटन करना और उपयुक्त पीठों का गठन करना।
संवैधानिक आधार:
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- भारत के संविधान के अनुच्छेद 124(2) के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश (CJI) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इस अनुच्छेद में उल्लेख है कि राष्ट्रपति, उन न्यायाधीशों से परामर्श करने के बाद, जिन्हें वे आवश्यक समझें, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करेंगे।
- सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों (जिनमें मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं) की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष निर्धारित है।
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 124(2) के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश (CJI) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इस अनुच्छेद में उल्लेख है कि राष्ट्रपति, उन न्यायाधीशों से परामर्श करने के बाद, जिन्हें वे आवश्यक समझें, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करेंगे।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) की नियुक्ति प्रक्रिया:
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- वरिष्ठता की परंपरा: परंपरागत रूप से, सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश (जो मौजूदा CJI के बाद आते हैं) को, यदि वे इस पद के लिए उपयुक्त और सक्षम माने जाते हैं, अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।
- प्रक्रियात्मक दिशा-निर्देश: इस नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) नामक दस्तावेज़ में वर्णित है, जो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित दिशा-निर्देश प्रदान करता है। यह कोई कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रावधान नहीं है, लेकिन लंबे समय से स्थापित संवैधानिक परंपरा के रूप में इसका पालन किया जाता है।
- प्रक्रिया की शुरुआत: मौजूदा मुख्य न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने से लगभग एक माह पहले, कानून और न्याय मंत्रालय मौजूदा CJI को एक पत्र भेजता है, जिसमें उनसे अगले मुख्य न्यायाधीश के लिए सिफारिश करने का अनुरोध किया जाता है।
- सिफारिश: मौजूदा CJI आवश्यक परामर्श के बाद, योग्य और वरिष्ठतम न्यायाधीश के नाम की सिफारिश सरकार को भेजते हैं।
- सरकारी अनुमोदन और नियुक्ति: यह सिफारिश पहले कानून मंत्री के पास जाती है, फिर प्रधानमंत्री के पास भेजी जाती है और अंततः राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए अग्रेषित की जाती है। राष्ट्रपति इसके बाद नियुक्ति पत्र (Warrant of Appointment) जारी करते हैं, जिसके पश्चात् नए मुख्य न्यायाधीश औपचारिक रूप से पद ग्रहण करते हैं।
- वरिष्ठता की परंपरा: परंपरागत रूप से, सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश (जो मौजूदा CJI के बाद आते हैं) को, यदि वे इस पद के लिए उपयुक्त और सक्षम माने जाते हैं, अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।
