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Blog / 27 Oct 2025

जापान की नई इंडो-पैसिफिक रणनीति – रक्षा, भारत और क्वाड साझेदारी | Dhyeya IAS

संदर्भ:

जापान की नवनियुक्त पहली महिला प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने हाल ही में घोषणा की कि मार्च 2026 तक जापान के रक्षा खर्च को सकल घरेलू उत्पाद के 2% तक बढाया जाएगा। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि जापान भारत, ऑस्ट्रेलिया, चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (क्वाड) समूह और अन्य हिंद-प्रशांत शक्तियों जैसे साझेदारों के साथ बहुपक्षीय सुरक्षा वार्ता को और प्रगाढ़ करेगा।

महत्त्व:

रक्षा व्यय में बड़ी छलांग

      • जापान मार्च 2026 तक अपना रक्षा व्यय लक्ष्य जीडीपी के 2% तक बढ़ाएगा, जो निर्धारित समय से दो वर्ष पहले है। यह संकेत देता है कि जापान क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों की बढ़ती तीव्रता को गंभीरता से ले रहा है।
      • 2% के इस लक्ष्य को हासिल करना जापान को रक्षा व्यय के मामले में कई नाटो देशों की श्रेणी में ला देगा, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से चली आ रही जापान की वित्तीय और रक्षा नीतियों में ऐतिहासिक बदलाव दिखता है।

जापानभारत रणनीतिक संबंध

      • भारत के साथ संवाद को गहरा करने से यह स्पष्ट होता है कि टोक्यो, नई दिल्ली को इंडो-पैसिफिक में एक प्रमुख साझेदार के रूप में देखता है।
      • भारत और जापान पहले ही रक्षा-उद्योग सहयोग और नवाचार को सशक्त करने पर सहमत हो चुके हैं, जो दोनों देशों के बीच बढ़ती रणनीतिक परस्परता को दर्शाता है।
      • भारत के लिए, यह संबंध अपने सामरिक साझेदारियों को विविध करने, प्रौद्योगिकी एवं रक्षा सहयोग को गहरा करने, और इंडो-पैसिफिक में अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने का अवसर प्रदान करता है।

क्वाड और बहुपक्षीय गतिशीलता

      • जापान की यह घोषणा कि वह क्वाड (Quad) जिसमें जापान, भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं और अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ गहराई से जुड़ाव बढ़ाएगा, उसके व्यापक क्षेत्रीय दृष्टिकोण को दर्शाती है: मुक्त और खुला इंडो-पैसिफिकके प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दोहराना।
      • क्वाड के भीतर निकट समन्वय जापान के उस लक्ष्य के अनुरूप है जिसमें वह समुद्री और सुरक्षा क्षेत्रों में निवारक क्षमता और लचीलापन विकसित करना चाहता है और भारत की सक्रिय भागीदारी इस बहुपक्षीय ढांचे को और मजबूत करती है।

चीन कारक

      • अपनी रक्षा स्थिति को सुदृढ़ करते हुए, जापान ने स्पष्ट रूप से कहा कि चीन एक महत्वपूर्ण पड़ोसीहै, जिसके साथ स्थिर संबंध बनाए रखना आवश्यक है। यह दर्शाता है कि जापान दोहरी रणनीति अपनाना चाहता है: सुरक्षा क्षमता को बढ़ाना और साथ ही कूटनीतिक संवाद जारी रखना।
      • यह कदम जापान के संतुलनकारी दृष्टिकोण को दर्शाता है क्षेत्रीय खतरों (विशेष रूप से चीन) के प्रति निवारक उपायों को मजबूत करते हुए संवाद के रास्ते खुले रखना। यह भारत की चीन नीति और क्षेत्रीय शक्ति-संतुलन पर भी प्रभाव डालता है।

निष्कर्ष

नवनियुक्त प्रधानमंत्री साने ताकाइची के नेतृत्व में जापान का नया नेतृत्व एक उल्लेखनीय रणनीतिक मोड़ है। रक्षा खर्च में तेज़ी लाकर और भारत तथा क्वाड भागीदारों के साथ गहन संवाद पर ज़ोर देकर, जापान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक अधिक सक्रिय सुरक्षा भूमिका निभाने के लिए अपनी तत्परता का संकेत देता है। भारत के लिए, यह सहयोग, औद्योगिक साझेदारी और क्षेत्रीय सुरक्षा ढाँचे को आकार देने के अवसर और ज़िम्मेदारियाँ दोनों प्रस्तुत करता है।