संदर्भ:
हाल ही में डीएनए (DNA) की द्वि-हेलिकीय संरचना (Double Helical Structure) की खोज करने वाले जेम्स डी. वॉटसन का 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 1953 में फ्रांसिस क्रिक के साथ मिलकर की गई यह खोज आधुनिक विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानी जाती है, जिसने आनुवंशिकता, विकास और जीवन की संरचना की समझ को पूरी तरह बदल दिया।
योगदान:
1. डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना की खोज (1953):
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- वॉटसन और क्रिक ने बताया कि डीएनए दो तंतुओं (Strands) से बना होता है, जो एक-दूसरे के चारों ओर कुंडली के रूप में लिपटे रहते हैं। इस संरचना को डबल हेलिक्स कहा जाता है। हर तंतु में शर्करा और फॉस्फेट का ढांचा होता है, और इनके बीच चार प्रकार के क्षारक (Bases) जुड़ते हैं
- एडेनिन (A) हमेशा थाइमिन (T) से जुड़ता है,और साइटोसिन (C) हमेशा ग्वानिन (G) से जुड़ता है।
- वॉटसन और क्रिक ने बताया कि डीएनए दो तंतुओं (Strands) से बना होता है, जो एक-दूसरे के चारों ओर कुंडली के रूप में लिपटे रहते हैं। इस संरचना को डबल हेलिक्स कहा जाता है। हर तंतु में शर्करा और फॉस्फेट का ढांचा होता है, और इनके बीच चार प्रकार के क्षारक (Bases) जुड़ते हैं
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2. आनुवंशिक प्रतिकृति की समझ (Understanding of Genetic Replication):
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- उनके मॉडल से यह पता चला कि डीएनए अपनी प्रतिलिपि (कॉपी) कैसे बनाता है —
- डीएनए का प्रत्येक तंतु एक नए तंतु के निर्माण के लिए नमूने (टेम्पलेट) की तरह कार्य करता है।
- यही प्रक्रिया आनुवंशिक गुणों के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संचरण और वंशानुगत निरंतरता का आधार है।
- उनके मॉडल से यह पता चला कि डीएनए अपनी प्रतिलिपि (कॉपी) कैसे बनाता है —
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3. सम्मान और नोबेल पुरस्कार:
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- वॉटसन, क्रिक और मॉरिस विल्किन्स को 1962 में चिकित्सा या शरीर क्रिया विज्ञान (Physiology or Medicine) के क्षेत्र में डीएनए की संरचना की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
- वॉटसन और क्रिक ने बताया कि डीएनए दो तंतुओं (Strands) से बना होता है, जो एक-दूसरे के चारों ओर कुंडली के रूप में लिपटे रहते हैं। इस संरचना को डबल हेलिक्स (Double Helix) कहा जाता है।
- हर तंतु में शर्करा और फॉस्फेट का ढांचा होता है, और इनके बीच चार प्रकार के नाइट्रोजनयुक्त क्षारक जुड़े रहते हैं —एडेनिन (A) हमेशा थाइमिन (T) से जुड़ता है और साइटोसिन (C) हमेशा ग्वानिन (G) से जुड़ता है।
- वॉटसन, क्रिक और मॉरिस विल्किन्स को 1962 में चिकित्सा या शरीर क्रिया विज्ञान (Physiology or Medicine) के क्षेत्र में डीएनए की संरचना की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
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डीएनए क्या है?
डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA) लगभग सभी जीवित प्राणियों में पाया जाने वाला आनुवंशिक पदार्थ है। यह किसी भी जीव की संरचना, कार्य एवं गुणों को निर्धारित करने वाली आनुवंशिक सूचना को वहन करता है।
प्रत्येक डीएनए अणु निम्न भागों से बना होता है:
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- शर्करा-फॉस्फेट ढांचा : संरचनात्मक आधार।
- चार नाइट्रोजनयुक्त क्षारक (Bases): एडेनिन (A), थाइमिन (T), साइटोसिन (C), और ग्वानिन (G)।
- इन क्षारकों का विशिष्ट क्रम ही आनुवंशिक कूट बनाता है।
- शर्करा-फॉस्फेट ढांचा : संरचनात्मक आधार।
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जैविक प्रक्रियाएँ:
डीएनए की तीन प्रमुख जैविक प्रक्रियाएँ होती हैं:
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- प्रतिकृति (Replication), लिप्यंतरण (Transcription) और अनुवाद (Translation)।
- इन तीनों की क्रमिक प्रक्रिया ही आणविक जीवविज्ञान का केंद्रीय सिद्धांत कहलाती है, जिसके अनुसार —
- डीएनए स्वयं की प्रतिलिपि बनाता है, उससे आरएनए तैयार होता है, और आरएनए से प्रोटीन का निर्माण होता है।
- DNA → RNA → Protein — यही जीवन की सभी जैविक क्रियाओं की मूल आधारशिला है।
- प्रतिकृति (Replication), लिप्यंतरण (Transcription) और अनुवाद (Translation)।
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डीएनए ज्ञान के अनुप्रयोग:
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- चिकित्सा : आनुवंशिक रोगों के निदान और उपचार, जीन थैरेपी तथा लक्षित औषधियों के विकास में।
- कृषि : आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों का विकास, जिनमें अधिक उत्पादन और कीट-प्रतिरोध की क्षमता होती है।
- फॉरेंसिक विज्ञान : डीएनए फिंगरप्रिंटिंग के माध्यम से अपराधियों की पहचान और जांच में।
- अनुसंधान (Research): जीनोम अनुक्रमण , CRISPR आधारित जीन संपादन और विकासवादी अध्ययन में।
- चिकित्सा : आनुवंशिक रोगों के निदान और उपचार, जीन थैरेपी तथा लक्षित औषधियों के विकास में।
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निष्कर्ष:
जेम्स वॉटसन की डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना की खोज जीवन के वैज्ञानिक रहस्य को उजागर करने वाला ऐतिहासिक मोड़ थी। इसने आनुवंशिकता की नींव स्पष्ट की और आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी व जीनोमिक चिकित्सा युग की आधारशिला रखी।

