होम > Blog

Blog / 09 Sep 2025

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन 2025

संदर्भ:

हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन 2025 का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का मुख्य विषय वैश्विक प्रगति के लिए अंतरिक्ष का उपयोग: नवाचार, नीति और विकास था। इसमें 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियाँ, शिक्षाविद, उद्योग जगत के दिग्गज और विभिन्न स्टार्टअप्स शामिल थे।

सम्मेलन में भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएँ:

·         भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (2035 तक): भारत का लक्ष्य 2035 तक अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना है। यह कदम मानव अंतरिक्ष उड़ान और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि सिद्ध होगा।

·         चंद्र मिशन (2040 तक): भारत 2040 तक किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर उतारने की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य कर रहा है।

·         मंगल, शुक्र और क्षुद्रग्रह अभियानों की योजना: इसरो मंगल, शुक्र और क्षुद्रग्रहों के लिए नए अंतरग्रहीय अभियानों की तैयारी कर रहा है। इन मिशनों का उद्देश्य वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ाना और भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी बनाना है।

·         मानव अंतरिक्ष उड़ान गगनयान मिशन: भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान शीघ्र ही प्रक्षेपित करना, जो देश की अंतरिक्ष यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।

प्रमुख अंतरिक्ष मिशन और उपलब्धियाँ:

1.    निसार (NISAR) प्रक्षेपण – 30 जुलाई 2025

·         नासा के साथ संयुक्त रूप से विकसित पृथ्वी अवलोकन मिशन।

·         जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट से सन सिंक्रोनस ऑर्बिट (Sun Synchronous Orbit) में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित।

·         इसका उपयोग भूकंप, तटरेखाओं, समुद्री बर्फ और अन्य भू-परिवर्तनों की निगरानी के लिए किया जाएगा।

2.    मानव अंतरिक्ष उड़ान एक्सिओम-4 मिशन

·         ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुँचने वाले पहले भारतीय बने।

·         वहाँ उन्होंने सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में कई जैविक और तकनीकी प्रयोग किए।

·         वैश्विक मानव अंतरिक्ष उड़ान सहयोग में भारत का प्रवेश चिह्नित किया गया।

3.    सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में वैज्ञानिक प्रयोग

·         अंतरिक्ष में बीज अंकुरण, टार्डीग्रेड्स (सूक्ष्म जीव), मांसपेशी कोशिकाओं पर शोध, शैवाल की वृद्धि और मानव-मशीन परस्पर क्रिया जैसे महत्वपूर्ण प्रयोग किए गए।

गगनयान कार्यक्रम:

·         2027 तक भारतीयों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने के लिए ₹20,193 करोड़ की परियोजना।

·         चार भारतीय वायुसेना अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण पूरा हो गया।

·         इसमें 3 मानवरहित मिशन और उसके बाद एक मानवयुक्त उड़ान शामिल है।

·         भारतीयता के निर्माण के भारत के लक्ष्य का समर्थन करता है अंतरिक्ष स्टेशन (2035) पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना तथा 2040 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री को उतारना।

चंद्रयान मिशन:

·         चंद्रयान-1 (2008) : जल अणुओं की खोज की गई।

·         चंद्रयान-2 (2019) : ऑर्बिटर सफलता, लैंडर असफलता।

·         चंद्रयान-3 (2023) : चंद्र दक्षिणी ध्रुव के पास पहली सॉफ्ट लैंडिंग ।

·         चंद्रयान-4 (आगामी) : 5-मॉड्यूल प्रणाली के माध्यम से चंद्र नमूना वापसी मिशन।

मंगल ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान)

·         2013 में प्रक्षेपित, 2014 में मंगल की कक्षा में प्रवेश किया।

·         प्रथम प्रयास में मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला एशियाई राष्ट्र।

अन्य प्रमुख परियोजनाएँ:

  • NavIC : भारतीय जीपीएस, जमीनी और समुद्री नेविगेशन के लिए।
  • आदित्य-L1: सूर्य के अध्ययन के लिए, विशेष रूप से सौर ज्वालाओं का अवलोकन।
  • स्पैडेक्स (SpaDeX): कक्षा में उपग्रह डॉकिंग का प्रदर्शन।
  • ओआरवी (ORV): पुन: प्रयोज्य मिशनों के लिए कक्षीय पुनः प्रवेश यान।
  • जीसैट-एन2 (GSAT-N2): 48 Gbps क्षमता वाला हाई थ्रूपुट संचार उपग्रह।
  • मिशन शक्ति (2019): एंटी-सैटेलाइट परीक्षण, अंतरिक्ष रक्षा क्षमता।

सतत विकास – DFSM पहल

·         2030 तक मलबा-मुक्त (Debris-Free) अंतरिक्ष मिशन

·         इसरो के IS4OM के अंतर्गत प्रबंधित , यह मिशन के बाद के निपटान, मलबे की निगरानी और वैश्विक सहयोग पर केंद्रित है।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:

  • निसार (NASA), लूपेक्स (JAXA), त्रिश्ना (CNES), प्रोबा-3 (ESA) जैसे संयुक्त मिशन।
  • स्टारलिंक इंडिया को सैटेलाइट इंटरनेट देने की मंजूरी।
  • 328 से अधिक स्पेस स्टार्टअप्स, जिनका विकास एफडीआई सुधारों और IN-SPACe से संभव हुआ।

नीति और विकास:

  • भारत अंतरिक्ष नीति 2023: निजी क्षेत्र को सशक्त बनाती है।
  • कुछ क्षेत्रों में 100% एफडीआई की अनुमति।
  • पिछले 10 वर्षों में बजट लगभग तीन गुना, 2025-26 में 13,416 करोड़ रुपये।
  • स्पेस विज़न 2047: चंद्रमा पर मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और शुक्र ग्रह मिशन का लक्ष्य।

निष्कर्ष:

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन 2025 ने नवाचार, नीति और विकास पर चर्चा का मंच प्रदान किया। भारत की महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष योजनाएँ और तेजी से बढ़ता स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र इस तथ्य को उजागर करता है कि आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की क्षमता रखता है।