सन्दर्भ:
हाल ही में भारत और इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिसके तहत भारत को इस वैश्विक गठबंधन का आधिकारिक मुख्यालय और सचिवालय बनाया जाएगा। यह समझौता न केवल भारत की वन्यजीव संरक्षण में मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित और संकटग्रस्त बिग कैट प्रजातियों के संरक्षण में नेतृत्व की भूमिका निभाने को तैयार है।
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) के बारे में:
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) की शुरुआत अप्रैल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा "प्रोजेक्ट टाइगर" की स्वर्ण जयंती के अवसर पर की गई थी। प्रोजेक्ट टाइगर भारत का एक प्रमुख वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रम है, जिसके कारण देश में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अब भारत इस उपलब्धि और सफलता को वैश्विक स्तर पर साझा करना चाहता है।
इस बिग कैट एलायंस की स्थापना पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अंतर्गत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के माध्यम से की गई है।
यह संगठन दुनिया की सात प्रमुख बिग कैट प्रजातियों के संरक्षण पर केंद्रित है:
- बाघ
- सिंह
- तेंदुआ
- हिम तेंदुआ
- प्यूमा
- जगुआर
- चीता
इन प्रजातियों को प्राकृतिक आवास की कमी, अवैध शिकार, जलवायु परिवर्तन और मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बिग कैट एलायंस का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, वैज्ञानिक अनुसंधान करना, जानकारी और संसाधनों को साझा करना तथा सदस्य देशों की क्षमताओं को मजबूत बनाना है, ताकि इन प्रजातियों की दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
एक वैश्विक संधि-आधारित संगठन:
वर्ष 2025 की शुरुआत में इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) तभी संधि-आधारित अंतर-सरकारी संगठन के रूप में स्थापित हो गया था, जब आवश्यक संख्या में विभिन्न देशों ने इसके ढांचे को औपचारिक रूप से अनुमोदन प्रदान किया। सबसे पहले जिन पाँच देशों ने इस संधि की पुष्टि की, वे हैं:
- भारत
- लाइबेरिया
- इस्वातिनी
- सोमालिया
- निकारागुआ
इन अनुमोदनों के साथ ही आईबीसीए को कानूनी मान्यता प्राप्त हो गई, जिससे यह संगठन अब वैश्विक स्तर पर संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों को संचालित कर सकता है। इसके साथ ही यह विभिन्न देशों की सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और अनुसंधान संस्थानों के साथ औपचारिक साझेदारियाँ करने के लिए अधिकृत हो गया है।
समझौते का विवरण:
- आईबीसीए के कर्मचारियों और कार्यालय परिसर को विशेषाधिकार और कानूनी संरक्षण प्रदान किया जाएगा।
- मुख्यालय की स्थापना और संचालन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और अन्य सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।
- वीज़ा प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा और राजनयिक स्तर के विशेषाधिकार प्रदान किए जाएंगे।
- संगठन के सहज संचालन के लिए अतिरिक्त सहायक समझौते किए जाएंगे।
भारत ने 2023-24 से 2028-29 की अवधि के लिए आईबीसीए को ₹150 करोड़ की बजटीय सहायता देने का संकल्प लिया है। यह राशि निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाएगी:
- स्थायी मुख्यालय भवन और अन्य आवश्यक संरचनाओं का निर्माण
- एक दीर्घकालिक वित्तीय कोष (कॉर्पस फंड) की स्थापना
- संगठन के नियमित प्रशासनिक और संचालन से जुड़ी लागतों की पूर्ति
भविष्य की दिशा:
आईबीसीए केवल पर्यावरणीय संरक्षण को ही नहीं, बल्कि बिग कैट की मौजूदगी वाले देशों के बीच आपसी सहयोग और कूटनीतिक संबंधों को भी मज़बूत करेगा। भारत के नेतृत्व में यह संगठन निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाने का प्रयास करेगा:
- बिग कैट की सुरक्षा हेतु संयुक्त अनुसंधान और निगरानी कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना
- वन्यजीव प्रबंधन से जुड़ी सर्वोत्तम नीतियों और अनुभवों का आदान-प्रदान
- अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार संरक्षण गलियारों का विकास
- अवैध शिकार और वन्यजीव तस्करी के खिलाफ कड़ी निगरानी और कार्रवाई को सशक्त बनाना
निष्कर्ष:
आईबीसीए के मुख्यालय की मेज़बानी करके भारत ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अपनी वैश्विक नेतृत्व भूमिका को और भी मज़बूत किया है। सरकार के मजबूत समर्थन और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों के साथ यह गठबंधन एक ऐसी वैश्विक पहल के रूप में उभर रहा है, जो पृथ्वी के सबसे भव्य और शक्तिशाली शिकारी प्राणियों के संरक्षण में निर्णायक भूमिका निभाएगा। यह न केवल जैव विविधता की रक्षा करेगा, बल्कि सतत विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी नई दिशा देगा।