सन्दर्भ:
भारतीय नौसेना ने स्वदेशी रूप से डिज़ाइन एवं निर्मित पनडुब्बी-रोधी युद्ध उथले जल पोत (एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट – ASW-SWC) आईएनएस अंजदीप को अपने बेड़े में सम्मिलित किया है। यह भारत की तटीय एवं लिटोरल (निकट-तटीय) समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है तथा रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी आगे बढ़ाता है।
आईएनएस अंजदीप के बारे में:
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- प्रकार: पनडुब्बी-रोधी युद्ध उथले जल पोत (ASW-SWC)
- निर्माण स्थल: गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता
- डिज़ाइन: भारतीय नौसेना के इन-हाउस डिज़ाइन संगठन द्वारा विकसित
- वर्ग: अर्नाला-वर्ग (GRSE द्वारा निर्मित संस्करण)
- श्रृंखला: भारतीय नौसेना के लिए नियोजित 16 ASW-SWC पोतों की श्रृंखला का हिस्सा
- परिचालन भूमिका: उथले एवं तटीय जल क्षेत्रों में पनडुब्बियों का पता लगाना, उनका पीछा करना और उन्हें निष्क्रिय करना
- प्रकार: पनडुब्बी-रोधी युद्ध उथले जल पोत (ASW-SWC)
पनडुब्बी-रोधी युद्ध उथले जल पोत (ASW-SWC):
ASW-SWC श्रेणी के पोत उथले जल क्षेत्रों में परिचालन के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए नई पीढ़ी के युद्धपोत हैं, जिन्हें तटीय एवं निकट-तटीय पनडुब्बी-रोधी अभियानों के लिए विकसित किया गया है।
पोत निर्माण कार्यक्रम
· दो भारतीय शिपयार्ड द्वारा निर्माण:
o गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE): 8 पोत (अर्नाला-वर्ग)
o कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL): 8 पोत (माहे-वर्ग)
· कुल नियोजित पोत: 16
डिज़ाइन एवं तकनीकी विशेषताएँ
· लंबाई: लगभग 77–78 मीटर
· चौड़ाई (बीम): लगभग 10.5 मीटर
· प्रणोदन प्रणाली:
o डीज़ल इंजनों के साथ जल-जेट प्रणोदन
o उथले जल क्षेत्रों में उच्च गतिशीलता और कुशल संचालन की क्षमता
· गति: लिटोरल एवं निकट-तटीय वातावरण में लगभग 25 नॉट
युद्धक क्षमताएँ
· जल के भीतर निगरानी और लक्ष्य पहचान के लिए उन्नत सोनार प्रणालियाँ
· हथियार प्रणाली:
o हल्के भार वाले टॉरपीडो
o स्वदेशी पनडुब्बी-रोधी रॉकेट
· बहु-भूमिका क्षमताएँ:
o पनडुब्बी-रोधी युद्ध
o माइन बिछाने के अभियान
o सीमित सतही एवं वायु रक्षा
o तटीय क्षेत्रों में खोज एवं बचाव (SAR) मिशन
रणनीतिक महत्त्व:
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- तटीय पनडुब्बी रोधी क्षमता को मजबूत करना: यह पोत हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती पनडुब्बी गतिविधियों का मुकाबला करने में भारत की क्षमता को बढ़ाता है, विशेषकर उन उथले एवं तटीय जल क्षेत्रों में जहाँ बड़े युद्धपोतों की परिचालन सीमाएँ होती हैं।
- नौसैनिक बेड़े का आधुनिकीकरण: ASW-SWC पोत पुराने अभय-वर्ग के कार्वेट्स का स्थान लेते हुए आधुनिक, अधिक फुर्तीले और तकनीकी रूप से उन्नत प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं।
- स्वदेशीकरण को बढ़ावा: इन पोतों में स्वदेशी सामग्री की उच्च मात्रा है, जो रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता को मजबूत करती है तथा घरेलू शिपबिल्डिंग पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहन देती है।
- स्तरीकृत समुद्री रक्षा प्रणाली: ये पोत पनडुब्बियों, समुद्री गश्ती विमानों तथा बड़े सतही युद्धपोतों के साथ मिलकर एक मजबूत, बहु-स्तरीय तटीय रक्षा संरचना का निर्माण करते हैं।
- महत्वपूर्ण समुद्री परिसंपत्तियों की सुरक्षा: बंदरगाहों, हार्बरों, अपतटीय प्रतिष्ठानों तथा द्वीपीय क्षेत्रों की सुरक्षा को सुदृढ़ करते हैं।
- तटीय पनडुब्बी रोधी क्षमता को मजबूत करना: यह पोत हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती पनडुब्बी गतिविधियों का मुकाबला करने में भारत की क्षमता को बढ़ाता है, विशेषकर उन उथले एवं तटीय जल क्षेत्रों में जहाँ बड़े युद्धपोतों की परिचालन सीमाएँ होती हैं।
निष्कर्ष:
आईएनएस अंजदीप का नौसेना में शामिल होना तटीय सुरक्षा, स्वदेशी रक्षा उत्पादन तथा समुद्री डोमेन जागरूकता पर भारत के बढ़ते जोर को दर्शाता है। ASW-SWC कार्यक्रम निकट-तटीय क्षेत्रों में उभरते जलमग्न खतरों से निपटने की भारतीय नौसेना की क्षमता को उल्लेखनीय रूप से सुदृढ़ करता है, जिससे राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा को मजबूती मिलती है।
