संदर्भ:
नवीनतम अखिल भारतीय हाथी गणना (एसएआईईई) 2021–25 के अनुसार, भारत में जंगली एशियाई हाथियों की संख्या अब लगभग 22,446 है। यह देश की पहली व्यापक डीएनए आधारित हाथी गणना है। यह आंकड़ा 2017 में अनुमानित 27,312 की तुलना में लगभग 17.8% की गिरावट दर्शाता है।
भौगोलिक वितरण और राज्यवार संख्या:
नए आंकड़े भारत के प्रमुख पारिस्थितिक क्षेत्रों में हाथियों की संख्या को दर्शाते हैं:
· पश्चिमी घाट: 11,934 (सबसे अधिक)
· पूर्वोत्तर की पहाड़ियाँ / ब्रह्मपुत्र मैदान: 6,559
· शिवालिक पहाड़ियाँ / गंगा मैदान: 2,062
· मध्य भारत और पूर्वी घाट: 1,891
राज्यवार आबादी:
· कर्नाटक: 6,013
· असम: 4,159
· तमिलनाडु: 3,136
· केरल: 2,785
· उत्तराखंड: 1,792
· ओडिशा: 912
हाथी संरक्षण में चुनौतियाँ:
रिपोर्ट में हाथियों की आबादी पर पड़ने वाले प्रमुख खतरों पर प्रकाश डाला गया है:
1. आवास और प्राकृतिक क्षेत्र का नुकसान: कृषि विस्तार, बागान, सड़क, रेलवे, विद्युत लाइन और शहरी विस्तार से हाथियों के आवास छोटे और अलग-थलग हो रहे हैं, जिससे उनका आवागमन और आनुवंशिक विनिमय बाधित होता है।
2. कोरिडोर का टूटना: पारंपरिक प्रवासन मार्ग अवरुद्ध या क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, जिससे हाथियों की मौसमी प्रवासन, भोजन और प्रजनन प्रभावित हो रहा है।
3. मानव–हाथी संघर्ष: जब हाथी खेती की जमीन या मानव बस्तियों में प्रवेश करते हैं, तो संघर्ष बढ़ जाता है। इसके परिणामस्वरूप फसल और संपत्ति का नुकसान, प्रतिशोध में मार, विद्युत झटका, ट्रेन दुर्घटना और आकस्मिक मृत्यु जैसी घटनाएँ होती हैं।
इन खतरों को कम करने के उपाय:
· प्रोजेक्ट एलीफेंट: यह परियोजना हाथियों के आवास प्रबंधन, शिकार रोकने और मानव–हाथी संघर्ष को कम करने में मदद करती है।
· हाथी कोरिडोर: हाथियों के सुरक्षित प्रवासन के लिए विशेष मार्ग बनाए गए हैं।
· जन जागरूकता अभियान: जैसे गज यात्रा, जो लोगों में हाथियों के पारिस्थितिक और सांस्कृतिक महत्व के प्रति जागरूकता फैलाती है।
· राष्ट्रीय धरोहर पशु का दर्जा: हाथी को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया, ताकि उसकी सांस्कृतिक और पारिस्थितिक अहमियत को बढ़ावा मिले।
· डीएनए आधारित जीन बैंक: पालतू हाथियों के स्वास्थ्य की निगरानी और उनके आनुवंशिक प्रबंधन में मदद करता है।
एशियाई हाथी के बारे में:
एशियाई हाथी (एलिफस मैक्सिमस) को कीस्टोन प्रजाति माना जाता है, क्योंकि यह वन पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और विविधता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाथी बीज खाकर और उन्हें फैलाकर वन पुनर्जनन में मदद करते हैं और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखते हैं।
भारत में एशियाई हाथी:
· घटती जनसंख्या के कारण IUCN रेड लिस्ट में इसे लुप्तप्राय (Endangered) सूचीबद्ध किया गया है।
· वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत संरक्षित, इसे कानूनी सुरक्षा का उच्चतम स्तर प्राप्त है।
· CITES परिशिष्ट I में शामिल, जो हाथी के अंगों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है।
भारत ने हाथियों और उनके आवास की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमे प्रोजेक्ट एलीफेंट (1992) और 14 राज्यों में 33 हाथी आरक्षित क्षेत्र आदि शामिल है।

