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Blog / 15 Dec 2025

यूएनईए में भारत का प्रस्ताव अपनाया गया

संदर्भ:

केन्या की राजधानी नैरोबी में आयोजित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के सातवें सत्र (UNEA-7) में भारत द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव वनाग्नि (Wildfires) के वैश्विक प्रबंधन को सुदृढ़ करना को सदस्य देशों के व्यापक समर्थन के साथ औपचारिक रूप से अपनाया गया।

प्रस्ताव के पीछे का तर्क:

      • हाल के वर्षों में वनाग्नि अब केवल मौसमी और स्थानीय घटनाएँ नहीं रह गई हैं, बल्कि वे व्यापक स्तर पर बार-बार घटित होने वाली गंभीर आपदाओं का रूप ले चुकी हैं, जो अनेक महाद्वीपों को प्रभावित कर रही हैं। इसके पीछे प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन (विशेष रूप से तापमान में निरंतर वृद्धि और लंबे समय तक पड़ने वाला सूखा) भूमि-उपयोग के बदलते स्वरूप तथा बढ़ती मानवीय गतिविधियाँ हैं।
      • UNEP की रिपोर्टस्प्रेडिंग लाइक वाइल्डफायर” (Spreading Like Wildfire) का उल्लेख करते हुए भारत ने चेतावनी दी कि यदि वर्तमान स्थिति ऐसे ही जारी रही, तो वैश्विक स्तर पर वनाग्नि की घटनाएँ 2030 तक 14%, 2050 तक 30% और 2100 तक 50% तक बढ़ सकती हैं।

UNEA Adopts India's Resolution on Global Wildfire Management | DD News On  Air

प्रस्ताव की मुख्य विशेषताएँ:

क्षेत्र

प्रमुख प्रावधान

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

साइंस और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके अर्ली-वॉर्निंग सिस्टम और जंगल की आग के रिस्क असेसमेंट टूल्स साझा करना

सक्रिय रोकथाम

इंटीग्रेटेड फायर मैनेजमेंट के ज़रिए रिएक्टिव फायर सप्रेशन से प्लानिंग, रिस्क कम करने, तैयारी और इकोसिस्टम रेजिलिएंस की ओर बदलाव

सामुदायिक कार्रवाई

कम्युनिटी-बेस्ड अलर्ट सिस्टम को बढ़ावा देना; पॉलिसी बनाने वालों, फ़ॉरेस्ट मैनेजरों और लोकल कम्युनिटी के लिए कैपेसिटी बिल्डिंग और ट्रेनिंग

ज्ञान साझा करना

बेस्ट प्रैक्टिस, साइंटिफिक रिसर्च और पारंपरिक ज्ञान का आदान-प्रदान; बेहतर संस्थागत सहयोग

राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय योजना

रीजनल रेजिलिएंस लक्ष्यों के साथ जुड़ी हुई इंटीग्रेटेड फायर मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी के लिए सपोर्ट

वित्त और तकनीकी सहायता

विकासशील देशों के लिए क्लाइमेट और एनवायरनमेंटल फाइनेंस, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और कैपेसिटी बिल्डिंग तक बेहतर पहुंच

वैश्विक प्रभाव:

वनाग्नि को अब एक गंभीर वैश्विक जलवायु जोखिम के रूप में तेजी से पहचाना जा रहा है, जो जलवायु परिवर्तन और असंगत भूमि-उपयोग प्रथाओं के कारण और भी गंभीर हो गया है। यह प्रस्ताव सीमा-पार वनाग्नि खतरों से निपटने के लिए बहुपक्षीय सहयोग को सुदृढ़ करता है और वनाग्नि प्रबंधन को UNFCCC तथा जैव विविधता सम्मेलन (CBD) जैसे वैश्विक ढाँचों के साथ समन्वित करता है।

भारत के लिए महत्त्व:

      • पर्यावरणीय शासन में नेतृत्व: वैश्विक पर्यावरण नीति के निर्माण और दिशा निर्धारण में भारत की सक्रिय भूमिका को और सुदृढ़ करता है।
      • घरेलू प्राथमिकताओं से तालमेल: बढ़ते वनाग्नि जोखिमों के बीच राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन और जलवायु अनुकूलन रणनीतियों का समर्थन करता है।
      • दक्षिणदक्षिण सहयोग: विकासशील देशों के लिए समानता, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण और सुलभ वित्त पर जोर देता है।

निष्कर्ष:

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के सातवें सत्र में भारत के प्रस्ताव को अपनाया जाना वैश्विक पर्यावरण सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय सहयोग, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों, ज्ञान के आदान-प्रदान और एकीकृत अग्नि प्रबंधन को प्रोत्साहित करता है, जिससे वनाग्नि जोखिमों के प्रति वैश्विक लचीलापन बढ़ता है। साथ ही, यह सतत विकास, जलवायु अनुकूलन और पारिस्थितिकी संरक्षण को भी मजबूती प्रदान करता है।