सन्दर्भ:
विकासशील देशों के संदर्भ में सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals - SDGs) की प्राप्ति एक महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौती बनी हुई है। इस दिशा में भारत ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज करते हुए, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क (UN SDSN) द्वारा जारी सतत विकास रिपोर्ट 2025 के अनुसार, SDG सूचकांक में 99वां स्थान प्राप्त किया है। यह भारत की अब तक की सर्वोत्तम रैंकिंग है, जो देश की सतत विकास प्रतिबद्धताओं और प्रयासों की पुष्टि करती है।
सतत विकास लक्ष्य (SDG) सूचकांक और भारत की स्थिति:
- SDG सूचकांक, 17 सतत विकास लक्ष्यों पर देशों की प्रगति को 0 से 100 के पैमाने पर मापता है। भारत का 2025 में कुल स्कोर 67 रहा। यह सुधार क्रमशः 2022 (121वां स्थान), 2023 (112वां), और 2024 (109वां) से तुलना में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है।
- इस रिपोर्ट में फिनलैंड प्रथम स्थान पर रहा, जबकि स्वीडन और डेनमार्क क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। चीन 49वें स्थान पर है जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका, वैश्विक SDG एजेंडा से दूरी के कारण, अंतिम (193वें) स्थान पर रखा गया है। भारत के पड़ोसी देशों में भूटान (74वां), नेपाल (85वां), बांग्लादेश (114वां) और पाकिस्तान (140वां) शामिल हैं।
क्षेत्रीय और वैश्विक रुझान:
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि पूर्वी और दक्षिण एशिया ने 2015 से अब तक सतत विकास के क्षेत्र में सर्वाधिक प्रगति की है। नेपाल, कंबोडिया, फिलिपींस, बांग्लादेश और मंगोलिया जैसे देशों ने तीव्र सुधार दर्ज किया है। इसके पीछे आर्थिक और सामाजिक संकेतकों में तेजी से वृद्धि, तकनीकी पहुँच, और आधारभूत सेवाओं में सुधार को उत्तरदायी माना गया है।
चुनौतियाँ एवं नीतिगत अवरोध:
हालांकि, वैश्विक स्तर पर SDG लक्ष्यों की प्राप्ति की प्रगति अत्यंत धीमी है। रिपोर्ट के अनुसार, केवल 17% लक्ष्यों के 2030 तक पूर्ण होने की संभावना है।
मुख्य बाधाएँ निम्नलिखित हैं:
- संघर्ष एवं युद्ध की स्थितियाँ
- संरचनात्मक असमानताएँ
- विकासशील देशों के लिए सीमित वित्तीय संसाधन
- पर्यावरणीय क्षरण
विशेष रूप से:
- मोटापा (SDG 2)
- प्रेस स्वतंत्रता (SDG 16)
- जैव विविधता संरक्षण (SDG 15)
- भ्रष्टाचार और संस्थागत विश्वसनीयता (SDG 16)
वित्तीय संरचना में सुधार की आवश्यकता:
रिपोर्ट यह भी रेखांकित करती है कि वर्तमान वैश्विक वित्तीय व्यवस्था संरचनात्मक रूप से पक्षपाती है, जो समृद्ध देशों को प्राथमिकता देती है और विकासशील तथा उभरती अर्थव्यवस्थाओं को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं कराती। इस संदर्भ में आगामी "विकास हेतु वित्तपोषण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (FfD4)" जो सेविले, स्पेन में आयोजित होगा, अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
निष्कर्ष:
भारत की SDG सूचकांक में प्रगति न केवल उसके नीति-संचालित दृष्टिकोण को परिलक्षित करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत वैश्विक सतत विकास विमर्श में एक उत्तरदायी और सक्रिय भागीदार के रूप में उभर रहा है। फिर भी, कुछ क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, पर्यावरणीय प्रबंधन, संस्थागत पारदर्शिता और सामाजिक समावेशन के क्षेत्र में अभी भी सार्थक सुधार और निवेश की आवश्यकता है।