सन्दर्भ:
विश्व बैंक ने भारत को दुनिया के सबसे समान (equal) समाजों में शामिल किया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत का गिनी सूचकांक (Gini Index) 25.5 है, जिससे स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया और बेलारूस के बाद, भारत दुनिया का चौथा सबसे समान देश बन गया है। गिनी सूचकांक यह बताता है कि किसी देश में आय, संपत्ति या उपभोग कितनी समान रूप से लोगों या परिवारों में बंटा हुआ है।
मुख्य बातें:
• गिनी सूचकांक 25.5:
वर्ष 2022–23 के लिए भारत का गिनी सूचकांक 25.5 रहा, जो इसे “मध्यम रूप से कम असमानता” वाले देशों की श्रेणी में रखता है। दुनिया के 167 देशों में भारत चौथे स्थान पर है। संदर्भ के लिए, गिनी सूचकांक 0 का अर्थ है पूर्ण समानता, जबकि 100 पूर्ण असमानता को दर्शाता है।
• अन्य देशों से तुलना:
भारत का स्कोर, चीन (35.7), अमेरिका (41.8) और यूनाइटेड किंगडम जैसे प्रमुख देशों से काफी बेहतर है। केवल कुछ यूरोपीय देशों में ही इससे कम या समान स्तर की असमानता देखी जाती है।
• गंभीर गरीबी में तेज गिरावट:
$2.15 प्रतिदिन से कम पर जीवन यापन करने वाली आबादी की संख्या 2011–12 में 16.2% थी, जो 2022–23 में घटकर केवल 2.3% रह गई।
• 17.1 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए:
पिछले एक दशक में लगभग 171 मिलियन (17.1 करोड़) लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर निकल चुके हैं।
• समय के साथ सुधार:
भारत का गिनी सूचकांक 2011 में 28.8 था, जो 2022 में घटकर 25.5 हो गया, जो यह दर्शाता है कि देश में आय वितरण पहले से अधिक समान होता जा रहा है।
• सरकारी योजनाओं का योगदान:
इस सुधार का श्रेय सरकार की कई लक्षित योजनाओं को दिया गया है, जिनका उद्देश्य वित्तीय समावेशन और आजीविका सुरक्षा बढ़ाना था।
प्रमुख योजनाएं हैं:
• प्रधानमंत्री जन धन योजना (PM Jan Dhan Yojana):
– वर्ष 2014 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य देश के हर नागरिक को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जोड़ना था।
– इसके तहत अब तक करोड़ों बैंक खाते खोले जा चुके हैं, जिनमें शून्य बैलेंस पर खाता खोलने की सुविधा दी गई है।
– इस योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों, विशेषकर महिलाओं और सामाजिक रूप से वंचित वर्गों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा।
– बैंक खातों को आधार और मोबाइल नंबर से जोड़कर ‘जम-ट्रिनिटी (JAM)’ की नींव रखी गई, जिससे सरकारी योजनाओं के लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुँचने लगे।
• डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT):
– DBT ने पारंपरिक सब्सिडी प्रणाली को बदल दिया, जिसमें बिचौलियों और लीकेज की समस्याएं थीं।
– LPG सब्सिडी, छात्रवृत्ति, मनरेगा मजदूरी, वृद्धावस्था पेंशन और कई अन्य योजनाओं के तहत पैसा अब सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर होता है।
– इससे पारदर्शिता बढ़ी, भ्रष्टाचार में कमी आई और सरकारी खर्च का कुशल प्रबंधन संभव हुआ।
– इससे सामाजिक सुरक्षा का दायरा भी बढ़ा है, जिससे गरीब और वंचित वर्गों को समय पर सहायता मिल रही है।
• आयुष्मान भारत योजना (PM-JAY):
– यह दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसे 2018 में लॉन्च किया गया था।
– इसके अंतर्गत प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक का वार्षिक स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध कराया गया है।
– इस योजना ने अब तक लाखों लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी है, जिससे Out-of-Pocket Expenditure (स्वस्थ्य पर होने वाला निजी खर्च) में भारी कमी आई है।
– सरकारी और निजी अस्पतालों के पैनल के जरिए ग्रामीण और शहरी गरीबों को गुणवत्तापूर्ण इलाज मिला, जिससे स्वास्थ्य संबंधी आर्थिक असमानता घटी।
• स्टैंड-अप इंडिया:
– स्टैंड-अप इंडिया योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला उद्यमियों को स्वरोजगार हेतु बैंक ऋण (₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक) प्रदान करना है।
– इससे स्वरोजगार के अवसर बढ़े हैं और पारंपरिक रोजगार से आगे बढ़कर युवाओं को उद्यमी बनने का मौका मिला है।
•पीएम विश्वकर्मा योजना:
– पीएम विश्वकर्मा योजना (2023) का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों (जैसे लोहार, बढ़ई, दर्जी, सोनार आदि) को औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़ना है।
– इसमें कौशल प्रशिक्षण, टूल किट, डिजिटल लेन-देन, मार्केटिंग सहायता और आसान ऋण सुविधा शामिल है, जिससे स्थानीय उत्पादकता और आय में वृद्धि हुई है।
इन योजनाओं ने न सिर्फ आर्थिक असमानता को घटाया, बल्कि वित्तीय समावेशन, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और स्वरोजगार जैसे क्षेत्रों में ठोस बदलाव लाए। इनका समन्वित प्रभाव भारत को एक समावेशी और समान समाज की दिशा में आगे ले जा रहा है।
निष्कर्ष:
यह रिपोर्ट यह संकेत देती है कि भारत में गरीबी कम हो रही है और आय समानता बढ़ रही है। इस प्रगति को बनाए रखने के लिए मजबूत डेटा प्रणाली, निरंतर सामाजिक सुरक्षा, और समावेशी नीतियों की आवश्यकता होगी, ताकि विकास का लाभ सभी वर्गों तक पहुँच सके।