संदर्भ:
भारत ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की, देश में विकसित पहले स्वदेशी टेट्रावेलेंट डेंगू वैक्सीन डेंगीऑल (DengiAll) के फेज-3 क्लिनिकल परीक्षण की औपचारिक शुरुआत हो गई है।
डेंगीऑल के बारे में:
डेंगीऑल वैक्सीन को पैनेसिया बायोटेक लिमिटेड ने अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (NIH) के साथ लाइसेंसिंग समझौते के तहत विकसित किया है।
इसमें डेंगू वायरस के चारों उपप्रकार (सबटाइप्स) के कमजोर रूप शामिल हैं। यह संरचना NIH द्वारा विकसित वैक्सीन के समान है, हालांकि इसमें उपयोग किए गए निष्क्रिय (इनएक्टिव) घटक अलग हैं।
भारत में हुए फेज-1 और फेज-2 परीक्षणों के दौरान यह पाया गया कि:
• यह वैक्सीन डेंगू के सभी चार प्रकारों के खिलाफ मजबूत और संतुलित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है।
• यह सुरक्षित है और शरीर द्वारा अच्छी तरह सहन की जाती है।
फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल:
भारत में डेंगीऑल वैक्सीन के फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल का संचालन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा किया जा रहा है। इस अध्ययन के तहत देशभर के 20 केंद्रों पर 18 से 60 वर्ष की आयु के 10,355 स्वस्थ वयस्कों को शामिल किया जाना है।
• अब तक 7,000 से अधिक प्रतिभागियों को नामांकित किया जा चुका है और उन्हें 2:1 के अनुपात में यादृच्छिक रूप से (randomised) वैक्सीन दिया जा रहा है।
• यह परीक्षण भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) द्वारा अनुमोदित है और अक्टूबर 2025 तक प्रतिभागियों का नामांकन पूरा होने की संभावना है।
टीकाकरण के बाद, प्रतिभागियों का दो वर्षों तक फॉलो-अप किया जाएगा ताकि वैक्सीन की प्रभावशीलता (efficacy), सुरक्षा (safety) और प्रतिरक्षाजनकता (immunogenicity) का मूल्यांकन किया जा सके।
इस परीक्षण का समग्र प्रबंधन ICMR के अंतर्गत कार्यरत एक समर्पित राष्ट्रीय संस्थान द्वारा किया जा रहा है।
फॉलो-अप प्रक्रिया 2027 की अंतिम तिमाही तक पूरी होने की उम्मीद है।
डेंगू के बारे में:
डेंगू बुखार भारत सहित कई उष्णकटिबंधीय देशों में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने डेंगू को विश्व की शीर्ष 10 स्वास्थ्य चुनौतियों में शामिल किया है।
भारत में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र के अनुसार, साल 2024 में ही लगभग 2.3 लाख मामले और 297 मौतें दर्ज की गईं।
डेंगू, एडीज (Aedes) मच्छरों के काटने से फैलता है, जो डेंगू वायरस के चार में से किसी एक प्रकार से संक्रमित होते हैं।
• इस रोग का अब तक कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है।
• गंभीर मामलों में रोगी को रक्तस्राव, रक्तचाप में तेज गिरावट और मृत्यु जैसी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
इसी कारण, टीकाकरण को डेंगू की रोकथाम का सबसे प्रभावी और आवश्यक उपाय माना जाता है।
यह वैक्सीन कैसे मदद करेगी?
अध्ययन से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार, यह वैक्सीन डेंगू की रोकथाम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, क्योंकि फिलहाल इस बीमारी का कोई निश्चित इलाज उपलब्ध नहीं है।
यह टीका विशेष रूप से गंभीर लक्षणों “जैसे रक्तस्राव, अचानक रक्तचाप गिरना और जानलेवा जटिलताओ” से बचाव में प्रभावी साबित हो सकता है।
निष्कर्ष:
भारत में डेंगीऑल वैक्सीन के फेज-3 परीक्षण की शुरुआत स्वदेशी, सुरक्षित और प्रभावी डेंगू वैक्सीन के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यदि यह परीक्षण सफल होता है, तो यह वैक्सीन देशभर में डेंगू से होने वाली बीमारी और मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी ला सकती है।
अब तक आवश्यक प्रतिभागियों में से आधे से अधिक का नामांकन पूरा हो चुका है, जो यह संकेत देता है कि भारत की वैक्सीन अनुसंधान और क्लिनिकल ट्रायल क्षमताएँ तेजी से सशक्त हो रही हैं।
यह प्रयास यह भी दर्शाता है कि स्थानीय नवाचार और वैश्विक संस्थानों के साथ सहयोग मिलकर जटिल सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम हैं।