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Blog / 28 Apr 2025

भारत की पहली स्वदेशी एचपीवी टेस्ट किट

सन्दर्भ:

हाल ही में भारत सरकार की जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित मानव पैपिलोमा वायरस (HPV) टेस्ट किट का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। ये किट मोलबायो डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड और मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस द्वारा विकसित की गई हैं जो सर्वाइकल कैंसर की जांच और रोकथाम के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है और देशभर में लाखों महिलाओं के लिए एक सस्ती, प्रभावी और आसानी से उपलब्ध समाधान प्रदान कर सकती है।

सर्वाइकल कैंसर के बारे में:

सर्वाइकल कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें गर्भाशय के निचले हिस्से (गर्भाशय ग्रीवा) में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि होती है, जो समय के साथ शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है। इसके लगभग सभी मामलों का मुख्य कारण उच्च जोखिम वाले मानव पैपिलोमा वायरस (HPV) संक्रमण होता है। समय पर पैप टेस्ट और एचपीवी टेस्ट के माध्यम से जांच तथा एचपीवी का टीकाकरण कराकर इस कैंसर के विकसित होने की संभावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

एचपीवी टेस्ट किट्स की प्रमुख विशेषताएँ:

                    स्वदेशी रूप से विकसित: ये टेस्ट किट भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए नवाचार का परिणाम हैं, जो चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

                    पॉइंट-ऑफ-केयर परीक्षण: इन किट की एक प्रमुख विशेषता यह है कि ये पॉइंट-ऑफ-केयर जांच की सुविधा प्रदान करती हैं। ये चिप-आधारित आरटी-पीसीआर तकनीक का उपयोग करती हैं, जिससे एचपीवी के आठ उच्च जोखिम वाले प्रकारों का तेजी से और विकेंद्रीकृत तरीके से पता लगाया जा सकता है।

                    सस्ती और प्रभावी: इन किट की कम लागत भी इनकी एक बड़ी विशेषता है। चूंकि सर्वाइकल कैंसर की जांच अक्सर महंगी होती है, जिससे संसाधन-सीमित क्षेत्रों में समय पर जांच कराना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, ऐसे में ये किट एक सस्ता, सुलभ और प्रभावी समाधान प्रदान करती हैं।

सर्वाइकल कैंसर जांच पर प्रभाव:

                    भारत में सर्वाइकल कैंसर का उच्च प्रसार: भारत में महिलाओं के बीच सर्वाइकल कैंसर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। विश्व स्तर पर होने वाले कुल सर्वाइकल कैंसर मामलों में लगभग 25% मामले भारत से आते हैं। हर वर्ष देश में लगभग 1,23,000 नए मामले सामने आते हैं और करीब 77,000 महिलाओं की मृत्यु होती है। इन चिंताजनक आँकड़ों को कम करने और अनावश्यक मौतों को रोकने के लिए समय पर जांच और स्क्रीनिंग अत्यंत आवश्यक है।

                    वैश्विक स्तर पर सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन के प्रयास: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2030 तक सर्वाइकल कैंसर को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। WHO के अनुसार, 2030 तक 35–45 वर्ष आयु वर्ग की 70% महिलाओं को एचपीवी जांच करानी चाहिए और 90% महिलाओं को पूर्व-कैंसर अवस्थाओं के उपचार की सुविधा मिलनी चाहिए। भारत द्वारा स्वदेशी एचपीवी टेस्ट किट्स का सफलतापूर्वक परीक्षण इस वैश्विक लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

निष्कर्ष:

भारत की पहली स्वदेशी एचपीवी टेस्ट किट का सफल परीक्षण सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ये किट सर्वाइकल कैंसर की समय पर पहचान और रोकथाम के लिए एक सस्ता, प्रभावी और सुलभ विकल्प प्रदान करती हैं। विभिन्न प्रकार की परीक्षण प्रक्रियाओं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से प्रमाणित ये किट कई लोगों के जीवन बचाने में सक्षम हैं और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ प्रभावी ढंग से संघर्ष करने में सशक्त बनाती हैं।