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Blog / 29 May 2025

भारत की पहली जीन-संपादित भेड़

संदर्भ:
शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (
SKUAST), श्रीनगर के शोधकर्ताओं ने हाल ही में भारत की पहली जीन-संपादित भेड़ विकसित की है, जो चार साल के शोध के बाद पशुधन आनुवंशिकी में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।

मुख्य उपलब्धियाँ:

  • जीन-संपादन में मायोस्टैटिन जीन पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो भेड़ों में मांसपेशियों की वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  • स्थानीय 'मेरिनो' नस्ल की जीन-संपादित भेड़ का वजन जन्म के समय लगभग सामान्य मेमने के बराबर था, लेकिन तीन महीने के भीतर, यह बिना संपादित मेमने से कम से कम 100 ग्राम भारी हो गई।
  • इस संशोधन से मांसपेशियों में लगभग 30% की वृद्धि हुई, यह विशेषता भारतीय भेड़ों की नस्लों में स्वाभाविक रूप से अनुपस्थित है, लेकिन टेक्सेल जैसी कुछ यूरोपीय नस्लों में मौजूद है।
  • जीन-संपादन CRISPR-Cas9 तकनीक का उपयोग करके किया गया था, जो विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त एक सटीक उपकरण है और जिसे 2020 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • संपादित भेड़ में कोई विदेशी डीएनए नहीं है, जो इसे ट्रांसजेनिक जीवों से अलग करता है और संभावित रूप से भारत की विकसित जैव प्रौद्योगिकी नीतियों के तहत विनियामक अनुमोदन को आसान बनाता है।

India’s First Gene-Edited Sheep

जीन संपादन और CRISPR प्रौद्योगिकी:

जीन संपादन, जिसे जीनोम संपादन के रूप में भी जाना जाता है, प्रौद्योगिकियों का एक समूह है जो वैज्ञानिकों को किसी जीव के डीएनए को सटीक रूप से बदलने की अनुमति देता है। ये प्रौद्योगिकियां जीनोम के भीतर विशिष्ट स्थानों पर आनुवंशिक सामग्री को जोड़ने, हटाने या बदलने में सक्षम बनाती हैं।

CRISPR के बारे में:

CRISPR का मतलब है क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स। यह एक जीन-संपादन उपकरण है जो कुछ बैक्टीरिया में पाए जाने वाले प्राकृतिक रक्षा तंत्र से प्रेरित है। ये बैक्टीरिया वायरल डीएनए को काटने और नष्ट करने के लिए Cas9 जैसे CRISPR-संबंधित प्रोटीन का उपयोग करते हैं।
मुख्य घटक (
Key Components):

  • Cas9 प्रोटीन: यह एक तरह की आणविक कैंची (molecular scissors) की तरह कार्य करता है, जो डीएनए को एक निश्चित स्थान पर काटता है।
  • गाइड आरएनए (Guide RNA - gRNA): यह एक विशेष रूप से डिज़ाइन की गई आरएनए अनुक्रम होती है, जो Cas9 को डीएनए में बिल्कुल सही स्थान पर कट करने का निर्देश देती है।

यह कैसे कार्य करता है:

1.        गाइड आरएनए डीएनए के एक विशिष्ट खंड की पहचान करता हैजो आमतौर पर दोषपूर्ण या अवांछित होता है।

2.      Cas9 उस लक्षित स्थान पर डीएनए को काट देता है।

3.      इसके बाद वैज्ञानिक:

o    उस जीन को हटा सकते हैं,

o    उसे सुधार सकते हैं, या

o    उसे किसी नए अनुक्रम से बदल सकते हैं।

इस प्रक्रिया की तुलना अक्सर कंप्यूटर के "कट-कॉपी-पेस्ट" या "फाइंड-रिप्लेस" ऑपरेशन से की जाती है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि CRISPR बाहरी डीएनए को नहीं जोड़ता, बल्कि जीव के मौजूदा जीन को ही संशोधित करता है। इसलिए यह गैर-ट्रांसजेनिक (non-transgenic) माना जाता है और नियामकों तथा उपभोक्ताओं के लिए अधिक स्वीकार्य हो सकता है।

संभावित उपयोग:
पशुओं में जीन-संपादन (gene-editing) के कई लाभ हो सकते हैं, जैसे:
रोग-प्रतिरोधी पशुओं का निर्माणबीमारी से जुड़े जीन को लक्षित करके।
जनन (reproduction) से जुड़ी विशेषताओं में सुधारजैसे जुड़वां बच्चों का जन्म।
पारंपरिक क्रॉसब्रीडिंग के बिना उत्पादकता से जुड़ी महत्वपूर्ण विशेषताओं में तेजी से सुधारजिससे आनुवंशिक उन्नयन की गति बढ़ती है।

यह प्रगति राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (National Dairy Research Institute) द्वारा एक जीन-संपादित भैंस भ्रूण के पहले सफल निर्माण के बाद सामने आई हैजो भारतीय पशुपालन जैव प्रौद्योगिकी (livestock biotechnology) में एक नए युग की शुरुआत का संकेत है।

निष्कर्ष:                          
भारत में जीन-संपादित भेड़ (gene-edited sheep) CRISPR तकनीक की पशुपालन में परिवर्तनकारी क्षमता को दर्शाती है। यह अधिक स्मार्ट, तेज़ और सुरक्षित आनुवंशिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त करती हैजो कृषि और खाद्य सुरक्षा दोनों के लिए दीर्घकालिक लाभ प्रदान कर सकती है।