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Blog / 12 Aug 2025

भारत का पहला पशु स्टेम सेल बायोबैंक

संदर्भ:

हाल ही में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (NIAB) में भारत के अपनी तरह के पहले अत्याधुनिक पशु स्टेम सेल बायोबैंक एवं प्रयोगशाला का उद्घाटन किया।

बायोबैंक के बारे में:

1.85 करोड़ की लागत से विकसित एवं 9,300 वर्ग फुट में फैली यह सुविधा पुनर्योजी चिकित्सा (Regenerative Medicine), कोशिकीय चिकित्सा (Cell Therapy), ऊतक अभियांत्रिकी (Tissue Engineering), प्रजनन जैव प्रौद्योगिकी तथा पशुधन रोग मॉडलिंग में उन्नत अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगी।

मुख्य विशेषताएँ:

  • उन्नत उपकरणयह सुविधा अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित है, जिसमें स्टेम सेल कल्चर यूनिट ,3डी बायोप्रिंटर , बैक्टीरियल कल्चर लैब (Bacterial Culture Lab), क्रायोस्टोरेज , आटोक्लेव रूम और निर्बाध विद्युत बैकअप (Uninterrupted Power Backup) शामिल हैं।
  • अनुसंधान केंद्रप्रयोगशाला रोग मॉडलिंग (Disease Modelling), ऊतक अभियांत्रिकी (Tissue Engineering) एवं प्रजनन जैव प्रौद्योगिकी (Reproductive Biotechnology) में अनुसंधान को सुदृढ़ करेगी, जिससे पशुधन स्वास्थ्य एवं उत्पादकता में सुधार होगा।
  • जैव बैंकिंग क्षमताएँजैव प्रौद्योगिकी विभाग–BIRAC के राष्ट्रीय जैव औषधि मिशन (NBM) के सहयोग से, यह सुविधा पशु स्टेम कोशिकाओं एवं उनके व्युत्पन्नों की जैव बैंकिंग को सक्षम बनाएगी।

The CSR Journal on X: "In a major stride for veterinary science and  biotechnology in India, the country's first state-of-the-art Animal Stem  Cell Biobank and Laboratory has been inaugurated at the National

कार्यक्रम के दौरान शुरू की गई अन्य पहलें:

  • इसी अवसर पर, ब्रुसेलोसिस, मास्टिटिस, टोक्सोप्लाज़मोसिस और जापानी इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियों को लक्षित करने वाले पाँच महत्त्वपूर्ण पशु चिकित्सा निदान उपकरण (Veterinary Diagnostic Kits) लॉन्च किए गए।
  •  रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance) से निपटने हेतु ज़िम्मेदार एंटीबायोटिक उपयोग को बढ़ावा दिया गया।
  • ये सभी पहलें "एकल स्वास्थ्य" (One Health) दृष्टिकोण को मूर्त रूप देती हैं, जो पशु, मानव एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एकीकृत करती हैं।

कृषि और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:

भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि का योगदान लगभग 18% है तथा इसमें लगभग 60% कार्यबल संलग्न है। इस संदर्भ में, पशु चिकित्सा में स्वास्थ्य नवाचार प्रस्तावित "सदाबहार क्रांति" की आधारशिला हैं। अत्याधुनिक निदान एवं स्टेम सेल अनुसंधान के माध्यम से पशुधन स्वास्थ्य में सुधार से उत्पादकता में वृद्धि, किसानों की आय में सुधार तथा कृषि GDP में सकारात्मक योगदान संभव है।

वन हेल्थ दृष्टिकोण के बारे में:

      वन हेल्थ दृष्टिकोण एक सहयोगात्मक, बहुक्षेत्रीय और बहु-विषयक रणनीति है जो मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के अंतर्संबंध को मान्यता देती है। इसका उद्देश्य तीनों के स्वास्थ्य और कल्याण को अनुकूलित करना है, उनकी गहन परस्पर निर्भरता को स्वीकार करते हुए।

मूल सिद्धांत:

अंतर्संबंध: मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।

सहयोग: इसके लिए जन स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा, पर्यावरण विज्ञान और कृषि जैसे क्षेत्रों के बीच समन्वय की आवश्यकता होती है।

स्थायित्व: वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए दीर्घकालिक समाधानों पर केंद्रित है।

बहु-विषयक: विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान एकीकरण और नवाचार को प्रोत्साहित करता है।

वन हेल्थ का महत्व:

  • उभरते जूनोसीज़: 60% से अधिक मानव संक्रामक रोग पशुओं से उत्पन्न (जूनोटिक) होते हैं।
  • खाद्य सुरक्षा: पशु स्वास्थ्य, खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता एवं सुरक्षा को सीधे प्रभावित करता है।
  • रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर): इसके नियंत्रण हेतु मनुष्य, पशु एवं पर्यावरण तीनों स्तरों पर समन्वित कार्रवाई आवश्यक है।
  • जलवायु परिवर्तन: स्वास्थ्य के तीनों आयामों को प्रभावित करता है, जिसके लिए एकीकृत एवं समग्र प्रतिक्रिया आवश्यक है।
  • वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा: समय पर पहचान एवं त्वरित प्रतिक्रिया के माध्यम से महामारियों की रोकथाम सुनिश्चित करता है।

राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के बारे में:

राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (एनबीएम), जिसे इनोवेट इन इंडिया (i3) भी कहा जाता है, जैव प्रौद्योगिकी विभाग की एक पहल है, जिसे बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। इसका उद्देश्य टीकों, बायोसिमिलर, चिकित्सा उपकरणों एवं संबंधित उत्पादों में क्षमताओं का विकास कर भारत में बायोफार्मास्युटिकल नवाचार को प्रोत्साहित करना है।

निष्कर्ष:

भारत का पहला पशु स्टेम सेल बायोबैंक, पशु जैव प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सरकार के दूरदर्शी दृष्टिकोण और मजबूत नीतिगत समर्थन को दर्शाता है। उन्नत अनुसंधान अवसंरचना और आधुनिक निदान तकनीकों का समन्वय, बेहतर पशु स्वास्थ्य, सतत कृषि और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, साथ ही भारत की स्थिति को वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मजबूत करेगा।