सन्दर्भ:
हाल ही में 26 जून, 2025 को चीन के क़िंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने आतंकवाद पर स्पष्ट और सख्त रुख अपनाते हुए संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि दस्तावेज़ में भारत में 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले का कोई उल्लेख नहीं था, जबकि पाकिस्तान में मार्च में हुए जैफर एक्सप्रेस अपहरण की चर्चा की गई थी।
बैठक की मुख्य बातें:
· भारत ने आतंकवाद पर दोहरे मापदंड की आलोचना करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत की "शून्य सहिष्णुता" (Zero Tolerance) नीति को दोहराया और सभी 11 सदस्य देशों से इस पर एकजुट रुख अपनाने का आग्रह किया।
· भारत ने SCO के संयुक्त बयान में पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख न किए जाने पर गहरी आपत्ति जताई। जबकि इसके विपरीत, पाकिस्तान में हुए एक ट्रेन अपहरण का उल्लेख ड्राफ्ट में शामिल किया गया है। भारत ने इसे पक्षपातपूर्ण और अस्वीकार्य बताया।
· यदि आतंकवादी संगठनों को सामूहिक विनाश के हथियार (Weapons of Mass Destruction - WMDs) तक पहुंच मिलती है, तो यह वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा होगा। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत ने निर्णायक कार्रवाई पर जोर दिया।
· संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर न करके भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि केवल आम सहमति के नाम पर वह आतंकवाद के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा।
- SCO पर परंपरागत रूप से रूस और चीन का प्रभाव रहा है, परंतु रूस के यूक्रेन युद्ध में व्यस्त रहने के चलते चीन की भूमिका और बढ़ गई है। चीन इस वर्ष SCO की अध्यक्षता कर रहा है और पाकिस्तान उसका प्रमुख सहयोगी है। बीजिंग ने पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद से संबंधित आलोचनाओं से बचाने में मदद की है। भारत का मसौदा वक्तव्य पर हस्ताक्षर न करना, केवल कूटनीतिक असहमति नहीं, बल्कि भारत की “आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं” की स्पष्ट नीति को दर्शाता है।
SCO का परिचय:
SCO एक प्रमुख क्षेत्रीय संगठन है जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाख़स्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं। इसकी स्थापना 2001 में शंघाई में की गई थी। यह संगठन सुरक्षा सहयोग, आतंकवाद विरोध और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है। इसका "रीजनल एंटी टेररिज्म स्ट्रक्चर (RATS)" आतंकवाद से जुड़ी सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है।
निष्कर्ष:
भारत ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा। चाहे वह सीमा पार आतंकवाद हो, या आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड अपनाने वाले राष्ट्र हों, भारत अब ऐसे प्रयासों के सामने झुकने को तैयार नहीं है। भारतीय रक्षा मंत्री की स्पष्टवादिता और SCO में भारत का रुख न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने का संकेत है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सैद्धांतिक नेतृत्वकारी भूमिका को भी दर्शाता है।