संदर्भ:
अप्रैल से जुलाई 2025 के दौरान भारत ने वस्तुओं और सेवाओं का कुल 277.63 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया। यह 2024 की इसी अवधि की तुलना में 5.23% अधिक है, जो निर्यात में हो रही निरंतर प्रगति और भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है।
भारत का निर्यात और आयात प्रदर्शन (अप्रैल-जुलाई 2025):
वस्तु निर्यात:
· भारत के वस्तु निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें कुछ प्रमुख क्षेत्रों ने विशेष योगदान दिया। इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यात में 13.75% की वृद्धि हुई, जो 10.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचा। इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का निर्यात 33.89% की तीव्र वृद्धि के साथ 3.77 बिलियन डॉलर रहा, जो भारत की उच्च-प्रौद्योगिकी निर्यात क्षमता को दर्शाता है। इसी प्रकार, रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में भी 28.95% की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे इस क्षेत्र का कुल निर्यात 2.39 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया।
सेवा निर्यात:
· अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच भारत का कुल सेवा निर्यात 128.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिसमें वर्ष-दर-वर्ष 7.86% की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी अवधि में सेवा व्यापार का अधिशेष 63.53 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 54.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर से उल्लेखनीय रूप से अधिक है।
समग्र प्रदर्शन (अप्रैल-जुलाई 2025):
· जुलाई 2025 में भारत के गैर-पेट्रोलियम निर्यात में 7.70% की वृद्धि हुई, जो कुल 127.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचा। इसके अतिरिक्त, गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात का आंकड़ा 118.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो भारत के निर्यात आधार में विविधता की स्पष्ट पुष्टि करता है।
सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष 5 निर्यात गंतव्य (अप्रैल-जुलाई 2025):
· अप्रैल से जुलाई 2025 के दौरान भारत के प्रमुख निर्यात गंतव्य अमेरिका (21.64%), चीन (19.97%) और संयुक्त अरब अमीरात (4.62%) रहे। केन्या में निर्यात में 64.05% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जबकि जर्मनी में निर्यात में 14.37% की बढ़ोतरी हुई। ये आंकड़े भारत के निर्यात में क्षेत्रीय विविधता और नए बाजारों के विकास का संकेत देते हैं।
वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष 5 आयात स्रोत (अप्रैल-जुलाई 2025):
· इस अवधि में भारत के प्रमुख आयात स्रोतों में चीन (13.06%), यूएई (17.67%) और अमेरिका (12.33%) शामिल हैं। खासतौर पर, आयरलैंड से आयात में 302.8% की असाधारण वृद्धि हुई है, जबकि हांगकांग से 36.87% की महत्वपूर्ण बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
व्यापार घाटा:
· निर्यात वृद्धि के बावजूद, भारत का व्यापार घाटा उल्लेखनीय बना हुआ है। अप्रैल-जुलाई 2025 के दौरान कुल आयात 308.91 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो 4.25% की वृद्धि दर्शाता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापार घाटा 31.28 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। जहाँ सेवा निर्यात ने एक बफर प्रदान किया, वहीं व्यापारिक आयात—विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स, पेट्रोलियम और सोने—ने असंतुलन को बढ़ाया। हालाँकि, दालों (-51.62%) और कोयले (-20.93%) जैसी कुछ आयात वस्तुओं में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई, जो घरेलू माँग और उत्पादन के बदलते रुझानों का संकेत है।
आगे की राह:
भारत का निर्यात प्रदर्शन पीएलआई योजनाओं, एफटीए वार्ताओं और 'मेक इन इंडिया' जैसी हालिया नीतिगत पहलों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है। हालांकि, निर्यात में सतत वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण सुधार आवश्यक हैं:
· बेहतर लॉजिस्टिक्स और बंदरगाह अवसंरचना का विकास
· उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों सहित निर्यात क्षेत्र का विविधीकरण
· आयात प्रतिस्थापन और घरेलू उत्पादन क्षमता में वृद्धि के माध्यम से व्यापार घाटे में कमी
निर्यात की गति और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने हेतु आवश्यक है कि भारत आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन सुनिश्चित करे, नए निर्यात बाजारों की खोज करे, और द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को रणनीतिक रूप से अपनाए।
निष्कर्ष:
2025 में भारत की निर्यात वृद्धि क्षेत्रीय उत्कृष्टता, सेवाओं के क्षेत्र की मजबूती और बाजार विविधीकरण जैसे कारकों से प्रेरित होगी। ये रुझान पीएलआई योजनाओं, विदेश व्यापार नीति 2023, तथा व्यापार सुगमता एवं निर्यात अवसंरचना पर केंद्रित नीतियों की सफलता को रेखांकित करते हैं।
