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Blog / 30 Jun 2025

भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितता के बीच मजबूत

संदर्भ:

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की जून 2025 की मासिक बुलेटिन के अनुसार, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है। औद्योगिक, कृषि और सेवा क्षेत्रों में मजबूत गति, स्थिर मुद्रास्फीति और अनुकूल नीतिगत वातावरण ने भारत को प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ वृद्धि वाला देश बनाया है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें-

1.      मजबूत घरेलू प्रदर्शन

आरबीआई ने 2024-25 की चौथी तिमाही में भारत की तेज़ आर्थिक वृद्धि को रिकॉर्ड फसल उत्पादन, स्थिर निवेश और मज़बूत श्रम बाज़ार से जोड़ा है। मई 2025 के उच्च-आवृत्ति संकेतक औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में सतत गतिविधियों की पुष्टि करते हैं। केंद्रीय बैंक ने हाल ही में नीतिगत ब्याज दर में 50 आधार अंकों की कटौती की है और बैंकों से उधार दरें कम कर ऋण वृद्धि को बढ़ावा देने का आह्वान किया है।

2.     वैश्विक चुनौतियों के बीच स्थिरता

वैश्विक अर्थव्यवस्था संरक्षणवादी व्यापार नीतियों और ईरान-इज़राइल जैसे भू-राजनीतिक तनावों से जूझ रही है। ओईसीडी और विश्व बैंक ने मध्यावधि वैश्विक संभावनाओं में गिरावट की चेतावनी दी है। इसके बावजूद, भारत का घरेलू परिदृश्य स्थिर रहा है। मई में मुद्रास्फीति लगातार चौथे महीने आरबीआई की सहनशीलता सीमा से नीचे रही, जो रिकॉर्ड कृषि उत्पादन से समर्थित है।

3.     बाज़ार की अस्थिरता और जोखिम

घरेलू इक्विटी बाज़ारों ने मई और जून में मामूली वृद्धि दर्ज की, लेकिन पश्चिम एशिया में तनाव के कारण 20 जून को तेज़ गिरावट देखी गई। आरबीआई ने उभरते बाज़ारों में बढ़ते क्रेडिट स्प्रेड्स और वैश्विक बॉन्ड बाज़ारों में टर्म प्रीमिया को वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम बताया है।

4.    आशावादी भविष्य

उपभोक्ता विश्वास स्थिर है, और भविष्य के प्रति आशावाद बढ़ रहा है। सरकार ने 2025-26 में जीडीपी का 3% पूंजीगत व्यय पर खर्च करने की योजना बनाई है, जो गुणवत्तापूर्ण वृद्धि को बढ़ावा देगी। भारतीय मौसम विभाग के औसत से अधिक मानसून के पूर्वानुमान से ग्रामीण मांग और कृषि उत्पादकता को समर्थन मिलेगा।

चुनौतियाँ

हालांकि, धीमी ऋण वृद्धि, शहरी उपभोग में सुस्ती, बढ़ती बेरोज़गारी और राज्य सरकारों की कमज़ोर वित्तीय स्थिति चिंताएँ हैं। फिर भी, आरबीआई का दृष्टिकोण सतर्क रूप से आशावादी है, जो भारत की मजबूत घरेलू मांग और रणनीतिक नीतियों पर आधारित है।

निष्कर्ष

भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच अपनी मजबूती और लचीलापन प्रदर्शित कर रही है। स्थिर मुद्रास्फीति, मजबूत घरेलू मांग और रणनीतिक नीतिगत कदमों के साथ, भारत आर्थिक स्थिरता का एक उदाहरण बना हुआ है। हालांकि, दीर्घकालिक विकास के लिए ऋण वृद्धि और शहरी मांग जैसे क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।