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Blog / 29 Jul 2025

हाइड्रोजन-चालित ट्रेन परियोजना

सन्दर्भ:
भारतीय रेलवे ने चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में अपनी पहली हाइड्रोजन-चालित कोच का सफल परीक्षण किया है। यह भारत की पहली हाइड्रोजन-चालित ट्रेन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह परियोजना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और भारत की ऊर्जा संरचना में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है।

हाइड्रोजन-चालित ट्रेन परियोजना के बारे में:
यह परियोजना उत्तर रेलवे द्वारा संचालित की जा रही है, जिसके तहत दो पारंपरिक डीजल पॉवर कारों को हाइड्रोजन ईंधन सेल चालित प्रणालियों में बदला जा रहा है। इस परियोजना की कुल लागत लगभग ₹136 करोड़ है।
इसकी मुख्य डिजाइन, परीक्षण और मान्यता की जिम्मेदारी भारतीय रेलवे की अनुसंधान, डिज़ाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा निभाई जा रही है।

Indian Railways' Hydrogen-Powered Train Project

मुख्य घटक:
हाइड्रोजन भंडारण और ईंधन आपूर्ति सुविधा: हरियाणा के जींद में 3,000 किलोग्राम की हाइड्रोजन भंडारण और आपूर्ति सुविधा स्थापित की जा रही है, जो ट्रेन के संचालन के लिए आवश्यक हाइड्रोजन उपलब्ध कराएगी।
हाइड्रोजन-चालित ट्रेन: यह ट्रेन 2,600 से अधिक यात्रियों को ले जाने में सक्षम होगी और हरियाणा में उत्तर रेलवे के जींद और सोनीपत स्टेशनों के बीच 356 किमी की दूरी तय करेगी।

कैसे काम करती है:
हाइड्रोजन ईंधन सेल तकनीक: इस परियोजना में दो डीजल पॉवर कारों को हाइड्रोजन ईंधन सेल से चलने वाली कारों में परिवर्तित किया जाएगा। प्रत्येक में 220 किलोग्राम हाइड्रोजन विशेष डिज़ाइन वाले सिलेंडरों में 350 बार दबाव पर संग्रहित रहेगा।
सुरक्षा विशेषताएं: इसमें दबाव नियंत्रण वाल्व, रिसाव पहचान प्रणाली, आग की पहचान करने वाले सेंसर, तापमान पहचान प्रणाली और वैज्ञानिक रूप से डिज़ाइन की गई वेंटिलेशन प्रणाली शामिल होगी।

सुरक्षा उपाय:
सीएफडी अध्ययन: रेलवे ने हाइड्रोजन रिसाव और अन्य संभावित खतरों को कम करने के लिए कंप्यूटेशनल फ्लुइड डायनामिक्स (CFD) अध्ययन करवाया है।
थर्ड-पार्टी सुरक्षा ऑडिटर: जर्मनी की स्वतंत्र एजेंसी 'Technischer Überwachungsverein Süd' (TUV-SUD) को सुरक्षा मानकों की जांच के लिए शामिल किया गया है।

महत्त्व:
पर्यावरणीय स्थिरता: यह भारत के 2070 तक नेट ज़ीरो लक्ष्य और राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के अनुरूप है।
तकनीकी नवाचार: यह स्वदेशी स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों को प्रोत्साहन देता है।
ऊर्जा सुरक्षा: आयातित डीजल पर निर्भरता को कम करता है।
वैश्विक नेतृत्व: भारत को जर्मनी, फ्रांस और जापान जैसे देशों की श्रेणी में खड़ा करता है जो हाइड्रोजन-चालित ट्रेनों की दिशा में अग्रसर हैं।

आगामी चुनौतियाँ:
ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की उच्च लागत
भंडारण और ईंधन भराई अवसंरचना का विकास
दीर्घकालिक रखरखाव और सुरक्षा प्रबंधन
नीति समर्थन और निजी क्षेत्र की भागीदारी

निष्कर्ष:
भारतीय रेलवे की हाइड्रोजन-चालित ट्रेन परियोजना स्थिरता और उत्सर्जन में कटौती की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके सफल परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जो हाइड्रोजन तकनीक आधारित रेल परिवहन को अपनाने की दिशा में अग्रसर हैं। यह परियोजना भारत में वाणिज्यिक स्तर पर हाइड्रोजन-चालित ट्रेनों के संचालन की राह को प्रशस्त कर सकती है और देश के रेल परिवहन में एक नया युग आरंभ कर सकती है।