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Blog / 04 Jul 2025

भारतीय प्रधानमंत्री की घाना यात्रा और भारत-घाना संबंध

संदर्भ
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की घाना यात्रा भारत-अफ्रीका संबंधों में एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखी जा रही है। यह यात्रा उनके आठ दिवसीय, पांच देशों के राजनयिक दौरे का हिस्सा है और भारत की अफ्रीका नीति में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत देती है। 30 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस अफ्रीकी देश की पहली यात्रा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घाना राष्ट्रपति जॉन महामा ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना से सम्मानित किया।

मुख्य उपलब्धियाँ एवं सहयोग के क्षेत्र:

1.        द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार
भारत और घाना ने आगामी पांच वर्षों में आपसी व्यापार को $3 अरब से बढ़ाकर $6 अरब तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह निर्णय दोनों देशों की आर्थिक पूरकता को दर्शाता है। जहां घाना प्राकृतिक संसाधनोंजैसे सोना, कोको और पेट्रोलियममें समृद्ध है, वहीं भारत औषधि, वस्त्र, मशीनरी तथा अन्य औद्योगिक उत्पादों का प्रमुख निर्यातक है। व्यापारिक लॉजिस्टिक्स के आधुनिकीकरण और व्यापारिक बाधाओं के उन्मूलन के माध्यम से यह लक्ष्य व्यावहारिक रूप से प्राप्त किया जा सकता है।

2.      रक्षा सहयोग एवं सामरिक साझेदारी
घाना द्वारा भारतीय रक्षा उपकरणों तथा प्रशिक्षण सेवाओं में रुचि प्रदर्शित करना दोनों देशों के मध्य बढ़ते विश्वास का परिचायक है। घाना के लिए भारतीय सहयोग खाड़ी अफ गिनी में समुद्री डकैती तथा साहेल क्षेत्र में आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने में सहायक सिद्ध हो सकता है। यह सहयोग भारत की उस नीति को रेखांकित करता है जो संप्रभुता के सम्मान के सिद्धांत पर आधारित है, जिससे यह कई पश्चिमी देशों की नीतियों से भिन्न है।

3.      स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र में सहयोग
भारत ने घाना को वैक्सीन उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित करने में सहयोग देने का आश्वासन दिया है, जो कोविड-19 के पश्चात वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति के सन्दर्भ में विशेष महत्व रखता है। भारत की "फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड" के रूप में भूमिका और तकनीकी दक्षता घाना के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकती है। साथ ही, कृषि के क्षेत्र में सिंचाई, भंडारण, और मूल्य संवर्धन तकनीकों के प्रसार से घाना की खाद्य सुरक्षा एवं ग्रामीण रोजगार को बल मिलेगा।

4.     महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय समझौते (MoUs)
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान चार महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए:

o    सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम,

o    मानकीकरण एवं प्रमाणीकरण सहयोग,

o    पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में सहयोग,

o    संयुक्त आयोग की स्थापना
ये समझौते भारत-घाना संबंधों को संस्थागत आधार प्रदान करते हैं, जिससे सहयोग सतत, व्यवस्थित एवं दीर्घकालिक रूप ले सकेगा।

5.      समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी रणनीतियाँ
गुल्फ ऑफ गिनी क्षेत्र वर्तमान में समुद्री डकैती का एक वैश्विक केंद्र बन गया है। ऐसे में भारत की नौसैनिक क्षमताओं का हस्तांतरण घाना की समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करने में सहायक होगा। साथ ही, साहेल क्षेत्र में बढ़ते कट्टरपंथ और आतंकवादी गतिविधियों के संदर्भ में भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीतियाँ, निगरानी प्रणालियाँ, और खुफिया जानकारी साझा करने की तत्परता घाना के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

Indian Prime Minister’s Visit to Ghana

भारत की अफ्रीका नीति में परिवर्तन

प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत की पारंपरिक अफ्रीका नीति से एक रणनीतिक परिवर्तन की ओर संकेत करती है। भारत अब केवल विकास-सहायता तक सीमित न रहकर, रक्षा, तकनीकी सहयोग, और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति को मज़बूती से स्थापित कर रहा है। यह दृष्टिकोण चीन जैसे प्रतिस्पर्धी देशों की ऋण-आधारित रणनीतियों से भिन्न है और साझेदारी के सिद्धांत पर आधारित हैजहाँ परस्पर लाभ और सम्मान केंद्र में है।

मुख्य चुनौतियाँ

हालाँकि यह यात्रा भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत देती है, किंतु कार्यान्वयन की चुनौती सबसे बड़ी है। व्यापारिक लक्ष्य तभी साकार होंगे जब लॉजिस्टिक अवसंरचना, बैंकिंग प्रणाली तथा प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार किया जाएगा। रक्षा सहयोग में घाना की संप्रभुता को प्राथमिकता देनी होगी। BRICS में घाना की सदस्यता के लिए भारत का समर्थन महत्वपूर्ण है, किंतु अन्य सदस्य देशोंविशेषतः चीन और रूसकी सहमति भी आवश्यक है।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मोदी की घाना यात्रा ने भारत-घाना संबंधों को "व्यापक साझेदारी" (Comprehensive Partnership) के स्तर तक पहुँचा दिया है। यह यात्रा केवल कूटनीतिक शिष्टाचार तक सीमित न रहकर, भारत की अफ्रीका नीति के एक बहुआयामी, सहभागी और रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाती है। यदि वादों को प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया गया, तो यह संबंध भारत-अफ्रीका सहयोग का एक आदर्श मॉडल बन सकता हैजहाँ परस्पर सम्मान, समावेशन और साझा विकास की भावना केंद्र में होगी। अब भारत की भूमिका केवल विकास-सहायता प्रदाता की नहीं रही, बल्कि वह एक रणनीतिक साझेदार के रूप में उभर रहा है, जो रक्षा, प्रौद्योगिकी, और अवसंरचना के क्षेत्र में भी निवेश कर रहा है।