सन्दर्भ:
हाल ही में भारतीय नौसेना ने आईएनएस तारागिरी (यार्ड 12653) को मज़गांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई से औपचारिक रूप से प्राप्त किया। यह विकास भारत की स्वदेशी युद्धपोत निर्माण क्षमता में एक अत्यंत महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
आईएनएस तारागिरी :
परियोजना 17ए के तहत निर्मित चौथा फ्रिगेट है, तथा एमडीएल द्वारा निर्मित तीसरा जहाज़ है।
परियोजना 17ए / नीलगिरि वर्ग :
परियोजना 17ए, पहले की परियोजना 17 (शिवालिक वर्ग) का उन्नत संस्करण है।
इसके अंतर्गत कुल 7 आधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट निर्मित किए जा रहे हैं:
4 जहाज़ – एमडीएल (मुंबई) द्वारा
3 जहाज़ – जीआरएसई (कोलकाता) द्वारा
इन फ्रिगेटों को भारतीय नौसेना की आवश्यकताओं के अनुसार इस प्रकार बनाया गया है कि वे —
सतही युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध तथा वायु रक्षा — तीनों में सक्षम हों।
आईएनएस तारागिरी – प्रमुख विशेषताएँ और क्षमताएँ:
1. नाम और विरासत:
इसका नाम पुराने आईएनएस तारागिरी (एफ-33) के सम्मान में रखा गया है, जोकि लींडर वर्ग का फ्रिगेट था और 1980 से 2013 तक सेवा में रहा।
2. वजन और डिज़ाइन
● लगभग 6,670 टन विस्थापन
● रडार के प्रभाव और अवरक्त संकेत (इन्फ्रारेड सिग्नेचर) को कम करने वाली उन्नत स्टील्थ डिज़ाइन
3. निर्माण पद्धति
समन्वित निर्माण पद्धति (इंटीग्रेटेड कंस्ट्रक्शन)
निर्माण अवधि को 93 महीनों से घटाकर 81 महीने कर दिया गया — यह भारत की बढ़ती दक्षता का प्रमाण है।
4. स्वदेशीकरण
लगभग 75% घटक स्वदेशी
200 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की भागीदारी
लगभग 4,000 प्रत्यक्ष तथा 10,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार
5. प्रणोदन प्रणाली (Propulsion System)
संयोजित डीज़ल अथवा गैस प्रणाली (CODOG) का उपयोग।
डीज़ल इंजन – सामान्य गति तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए उपयुक्त।
गैस टरबाइन – उच्च गति की तात्कालिक आवश्यकता के समय प्रयोग।
नियंत्रित पिच वाले प्रोपेलर – संचालन में अधिक नियंत्रण और दक्षता प्रदान करते हैं।
6. प्लेटफॉर्म नियंत्रण प्रणाली
समेकित प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली (IPMS) स्थापित।
ऊर्जा प्रबंधन को स्वचालित रूप से संचालित करता है।
क्षति नियंत्रण की उन्नत व्यवस्था।
उच्च स्तरीय स्वचालन (Automation) — जहाज़ की ऑपरेशनल क्षमता बढ़ाता है।
युद्धाभ्यास के दौरान जीवटता और तत्परता को मजबूत करता है।
7. सतही प्रहार क्षमता
लंबी दूरी पर अत्यधिक सटीक प्रहार करने वाली अतिध्वनिक (Supersonic) क्रूज़ मिसाइलों से लैस।
8. वायु रक्षा क्षमता
बहु-कार्य रडार (Multi-Function Radar) से लक्ष्य पहचान और ट्रैकिंग।
मध्यम दूरी की सतह-से-वायु मिसाइल प्रणाली (MRSAM) से हवाई खतरों का प्रभावी प्रतिरोध।
9. गन प्रणाली एवं रक्षा
76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट (SRGM) — तेज़ और सटीक प्रहार के लिए।
30 मिमी तथा 12.7 मिमी CIWS — अत्यंत नज़दीकी खतरों को रोकने के लिए प्रभावी।
10. पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता (Anti-Submarine Warfare – ASW)
टॉरपीडो नलिकाएँ — पनडुब्बियों पर सटीक प्रहार के लिए।
रॉकेट लॉन्चर — त्वरित एंटी-सबमरीन प्रतिक्रिया हेतु।
उन्नत सोनार प्रणाली — पनडुब्बियों की सटीक पहचान और ट्रैकिंग में सक्षम।
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- 11. संचालन भूमिका (Operational Role)
आईएनएस तारागिरी एक बहु-भूमिका स्टील्थ फ्रिगेट है, जो निम्न सभी कार्यों में सक्षम है :- गहरे समुद्र में संचालन
- तटीय युद्ध
- समुद्री निगरानी
- नेटवर्क-आधारित समुद्री सुरक्षा
- मानवीय सहायता एवं आपदा राहत
- समुद्री डकैती रोध
- 11. संचालन भूमिका (Operational Role)
रणनीतिक महत्व:
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पहलू |
महत्व |
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समुद्री सुरक्षा |
हिंद महासागर और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की नौसैनिक क्षमता को सशक्त करता है। |
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आत्मनिर्भरता |
मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को नई गति। |
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बहु-भूमिका क्षमता |
सतही युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, वायु सुरक्षा, निगरानी, आपदा राहत आदि में सक्षम। |
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आर्थिक लाभ |
हजारों रोजगार तथा तकनीक का विस्तार। |
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निवारक क्षमता |
पड़ोसी और दूरस्थ समुद्री क्षेत्रों में भारत की शक्ति और उपस्थिति बढ़ती है। |
निष्कर्ष:
आईएनएस तारागिरी भारतीय नौसेना की आधुनिक आवश्यकताओं को पूरा करने वाला एक उन्नत, स्टील्थ, बहु-भूमिका फ्रिगेट है। यह न केवल भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि स्वदेशी रक्षा निर्माण, समुद्री प्रभुत्व, और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
