संदर्भ:
22 सितंबर 2025 को भारत और मोरक्को के बीच रक्षा सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इसी अवसर पर, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रबात स्थित भारतीय दूतावास में एक रक्षा विंग स्थापित करने की भी घोषणा की।
समझौते की मुख्य विशेषताएँ:
विशेषता |
विवरण |
संस्थागत ढांचा |
यह समझौता ज्ञापन रक्षा गतिविधियों के समन्वय के लिए संयुक्त तंत्रों के माध्यम से सहयोग को औपचारिक रूप देता है। |
सहयोग के क्षेत्र |
रक्षा उद्योग एवं सह-निर्माण, संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, आतंकवाद से मुकाबला, समुद्री सुरक्षा, साइबर रक्षा, सैन्य चिकित्सा, शांति स्थापना अभियान आदि। |
रबात में रक्षा विंग |
मोरक्को में भारतीय दूतावास में एक समर्पित सेल/इकाई, जो रक्षा सहयोग का समन्वय करेगी और रणनीतिक साझेदारियों के लिए एक अग्रिम कार्यालय के रूप में काम करेगी। |
निर्माण सुविधा |
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स मोरोक में व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म (WhAP 8×8) का निर्माण होगा। यह अफ्रीका में भारत का पहला रक्षा निर्माण संयंत्र है, जो औद्योगिक कूटनीति और निर्यात क्षमता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। |
नए रक्षा समझौते का महत्व:
अफ्रीका में भारत की बढ़ती भूमिका
· भारत ने मोरक्को में रक्षा विंग स्थापित किया है।
· इससे भारत अफ्रीकी देशों के साथ सिर्फ व्यापार ही नहीं, बल्कि सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में भी जुड़े रह पाएगा।
भारत-मोरक्को संबंध की मजबूती
· यह रक्षा समझौता दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ाता है।
· अब वे संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण, तकनीक साझा करने और रक्षा उपकरण बनाने की योजनाएँ बना सकते हैं।
महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों तक पहुँच
· मोरक्को अटलांटिक महासागर और भूमध्य सागर के पास स्थित है।
· मोरक्को की मदद से भारत नई जगहों पर नौसेना की उपस्थिति बढ़ा सकता है और समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।
रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ का समर्थन
· भारतीय कंपनी टाटा, मोरक्को में रक्षा वाहन बना रही है।
· यह दर्शाता है कि भारत अब केवल आयातक नहीं, बल्कि निर्माता और निर्यातक भी बन रहा है।
वैश्विक सुरक्षा में सहयोग
· भारत और मोरक्को आतंकवाद, साइबर खतरे और शांति स्थापना अभियानों पर मिलकर काम करेंगे।
· यह भारत के वैश्विक शांति और सुरक्षा प्रयासों में भागीदारी के लक्ष्य का समर्थन करता है।
वैश्विक राजनीति में बड़ी तस्वीर
· भारत दुनिया को दिखा रहा है कि वह अफ्रीका में अपनी भूमिका बढ़ाना चाहता है, खासकर रक्षा क्षेत्र में।
· मोरक्को को यूरोपीय संघ और अरब देशों के अलावा एक नया रणनीतिक साथी मिला।
· यह समझौता अफ्रीका में चीन और अन्य शक्तियों के प्रभाव को संतुलित करने में भी मदद करता है।
भारत-मोरक्को संबंध के बारे में:
राजनयिक संबंध:
· भारत का मोरक्को में दूतावास रबात में है।
· मोरक्को का दूतावास नई दिल्ली में है और मुंबई, कोलकाता में वाणिज्य दूतावास हैं, साथ ही बैंगलोर में प्रस्तावित दूतावास है।
· दोनों देश गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के सदस्य हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
· मोरक्को के खोजकर्ता इब्न बतूता ने 1300 के दशक में दिल्ली का दौरा किया और मुहम्मद बिन तुगलक के शासन में न्यायाधीश बने।
· भारत ने यूएन में मोरक्को की उपनिवेशवाद विरोधी गतिविधियों का समर्थन किया।
· भारत ने मोरक्को को 20 जून 1956 को मान्यता दी और राजनयिक संबंध 1957 में शुरू हुए।
व्यापार और आर्थिक संबंध:
· भारत 2021 की पहली छमाही में मोरक्को का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साथी था।
· मुख्य आयात: फॉस्फेट और उसके उत्पाद।
· मोरक्को ऊर्जा, आईटी, स्वास्थ्य सेवा आदि में भारतीय निवेश चाहता है।
निष्कर्ष:
भारत-मोरक्को रक्षा समझौता और रबात में रक्षा विंग की स्थापना, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समझौता क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ाने, रक्षा सहयोग को प्रोत्साहित करने और भारत-मोरक्को के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की क्षमता रखता है।