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Blog / 03 May 2025

भारत–अमेरिका समुद्री समझौता

सन्दर्भ:

हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भारत को 131 मिलियन डॉलर (लगभग 1100 करोड़ रुपये) मूल्य के संभावित रक्षा सौदे (Foreign Military Sale - FMS) को मंजूरी दी है। यह सौदा इंडो-पैसिफिक मेरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA) पहल के अंतर्गत किया गया है। यह समझौता भारत और अमेरिका के बीच इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में बढ़ती साझेदारी को दर्शाता है।

भारत-अमेरिका समुद्री समझौते की मुख्य विशेषताएं:

  • बिक्री में शामिल हैं:
    • सीविज़न सॉफ्टवेयर और इसके संवर्द्धन
    • तकनीकी सहायता फील्ड टीम (TAFT) प्रशिक्षण
    • रिमोट एनालिटिक्स सहायता
    • सॉफ्टवेयर से जुड़ी दस्तावेज़ सामग्री तक पहुँच
    • लॉजिस्टिक्स और कार्यक्रम सहयोग

मुख्य ठेकेदार हॉकआई 360 (Hawkeye 360)  है, जो एक अमेरिकी अंतरिक्ष डेटा विश्लेषण कंपनी है।

इस सौदे का महत्व:

यह सौदा निम्नलिखित लक्ष्यों को पूरा करता है:

        अमेरिकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करना

        भारत-अमेरिका के रणनीतिक रक्षा संबंधों को मजबूत करना

        भारत की समुद्री निगरानी क्षमता को बढ़ाना

        इंडो-पैसिफिक और दक्षिण एशिया में स्थिरता को बढ़ावा देना

विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) के बारे में:

  • यह एक सरकार-से-सरकार रक्षा निर्यात कार्यक्रम है, जिसे अमेरिका की डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) द्वारा संचालित किया जाता है।
  • इसका उद्देश्य रक्षा सौदों में पारदर्शिता बनाए रखना और उन्हें अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों के अनुरूप सुनिश्चित करना है।
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत साझेदार देश मानकीकृत समझौतों के माध्यम से अमेरिकी सैन्य उपकरण, सेवाएँ और प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।

आईपीएमडीए पहल के बारे में:

  • यह पहल 2022 में टोक्यो में क्वाड शिखर सम्मेलन (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान ) में शुरू हुई थी
  • इसका उद्देश्य उन्नत निगरानी उपकरणों का उपयोग करके समुद्री पारदर्शिता और सुरक्षा को बढ़ाना है।
  • मुख्य कार्यक्षेत्र:
    • पैसिफिक आइलैंड्स
    • दक्षिण-पूर्व एशिया
    • हिंद महासागर क्षेत्र (IOR)
    • डार्क शिपिंगपर निगरानी (ऐसे जहाज जो AIS ट्रांसपोंडर बंद कर देते हैं)
    • क्वाड देशों और साझेदार देशों को रीयल-टाइम समुद्री जानकारी प्रदान करना
    • निम्नलिखित क्षेत्रों में साझा प्रयासों का समन्वय:

क्षेत्र के लिए आईपीएमडीए का महत्व:

  • क्षेत्रीय साझेदारों की समुद्री डोमेन जागरूकता (एमडीए) को बढ़ावा देता है।
  • इनकी पहचान में मदद करता है:
    • अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित (IUU) मछली पकड़ना
    • मानव एवं हथियारों की तस्करी
    • अनधिकृत सैन्य उपस्थिति
  • क्षेत्रीय विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में आक्रामक चीनी समुद्री गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए एक गैर-एस्केलेटरी, प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान प्रदान करता है।

 

भारत के लिए आईपीएमडीए का रणनीतिक महत्व:

        भारत की भूमिका को नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडरके रूप में मजबूत करता है।

        भारत के SAGAR (सुरक्षा और क्षेत्र में सभी के लिए विकास) सिद्धांत के अनुरूप है।

        भारत की ब्लू इकॉनॉमी की आकांक्षाओं को समर्थन देता है।

        खुले, स्वतंत्र और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को बढ़ावा देता है।

भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग:

भारत और अमेरिका, प्रमुख रक्षा साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए एक नए 10-वर्षीय रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर करने की तैयारी कर रहे हैं , जिसमें गहन सैन्य सहयोग, संयुक्त विकास और परिचालन संरेखण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

भारत ने पहले ही कई प्रमुख अमेरिकी रक्षा प्रणालियों को एकीकृत कर लिया है, जिनमें शामिल हैं:

  • सी-130जे सुपर हरक्यूलिस (सामरिक परिवहन विमान)
  • पी-8आई पोसाइडन (समुद्री निगरानी विमान)
  • एएच-64ई अपाचे (हमलावर हेलीकॉप्टर)
  • एमक्यू-9बी ड्रोन (लंबी दूरी के मानव रहित हवाई वाहन)

निष्कर्ष:

IPMDA के तहत भारत-अमेरिका के बीच हुआ यह समुद्री निगरानी समझौता इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग का एक नया अध्याय है। यह समझौता रणनीतिक समन्वय, तकनीकी साझेदारी और रक्षा क्षेत्र में गहराते विश्वास का प्रतीक है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को सुदृढ़ करने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जैसे-जैसे भारत इंडो-पैसिफिक में एक प्रभावशाली शक्ति के रूप में उभर रहा है, ऐसे बहुपक्षीय और द्विपक्षीय सहयोग भविष्य की समुद्री सुरक्षा व्यवस्था को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाएँगे।