संदर्भ:
भारत और यूनाइटेड किंगडम ने आधिकारिक रूप से एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किया है, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग का एक नया अध्याय है। यह समझौता न केवल उनके साझा दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि भारत के "विकसित भारत 2047" मिशन को भी सशक्त समर्थन प्रदान करता है। इस मिशन का उद्देश्य है कि भारत अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष तक एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित हो सके।
समझौते के प्रमुख बिंदु:
1. टैरिफ (शुल्क) की समाप्ति: इस समझौते के तहत लगभग 99% व्यापारिक उत्पादों पर आयात शुल्क समाप्त कर दिया गया है, जिससे भारत और यूके के बीच व्यापार का लगभग पूरा हिस्सा इस दायरे में आ जाता है। इससे भारतीय वस्तुओं को ब्रिटिश बाजार में और ब्रिटिश उत्पादों को भारतीय बाजार में पहले से कहीं अधिक आसान और सस्ती पहुंच मिलेगी। वर्तमान में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 60 अरब अमेरिकी डॉलर है, जिसे 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
2. व्यापक बाज़ार पहुँच: भारतीय निर्यातकों को प्रमुख क्षेत्रों में बेहतर बाजार उपलब्ध होगा, विशेषकर उन उद्योगों में जो श्रम-प्रधान और तीव्र विकासशील हैं। इनमें शामिल हैं:
• वस्त्र (टेक्सटाइल)
• समुद्री उत्पाद
• जूते-चप्पल
• चमड़ा
• रत्न और आभूषण
• इंजीनियरिंग उत्पाद
3. सेवा क्षेत्र में लाभ: भारत ने सेवा क्षेत्र में यूके से अब तक की सबसे व्यापक और महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धताएं प्राप्त की हैं। इसका लाभ निम्नलिखित क्षेत्रों को विशेष रूप से मिलेगा:
• सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और आईटी-संबंधित सेवाएं
• वित्तीय सेवाएं
• पेशेवर और कानूनी सेवाएं
• शैक्षिक सेवाएं
4. पेशेवरों की आवाजाही (मोबिलिटी): समझौते के अंतर्गत विभिन्न श्रेणियों के कुशल पेशेवरों के लिए यूके में प्रवेश और कार्य की प्रक्रिया को सरल और अधिक लचीला बनाया गया है। इनमें शामिल हैं:
• अनुबंध आधारित सेवा प्रदाता
• व्यापारिक आगंतुक
• निवेशक
• स्वतंत्र पेशेवर, जैसे योग प्रशिक्षक, संगीतकार, शेफ आदि
5. सामाजिक सुरक्षा में छूट: इस समझौते के तहत एक अभिनव प्रावधान किया गया है, जिसके अंतर्गत भारत से अस्थायी रूप से यूके भेजे गए कर्मचारियों और उनके नियोक्ताओं को तीन वर्षों तक यूके की सामाजिक सुरक्षा (National Insurance) योगदान से छूट प्राप्त होगी। यह ‘दोहरा अंशदान -Double Contribution’ की दोहरी बाध्यता से राहत प्रदान करता है।
भारत के लिए लाभ:
1. निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि: लगभग सभी उत्पादों पर आयात शुल्क समाप्त होने से भारतीय उद्योगों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) तथा श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए निर्यात के व्यापक अवसर उपलब्ध होंगे। यह भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता को वैश्विक स्तर पर बढ़ाएगा।
2. रोजगार सृजन: यह समझौता भारत के विनिर्माण, सेवा और कृषि क्षेत्रों में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करेगा। इसके साथ ही, यह भारतीय युवाओं और कुशल पेशेवरों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने के अवसरों को भी बढ़ावा देगा।
3. समग्र आर्थिक विकास: यह समझौता भारत को सतत, समावेशी और नवाचार-आधारित आर्थिक वृद्धि की दिशा में आगे बढ़ाएगा। साथ ही, यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी प्रमुख सरकारी पहलों को और सशक्त बनाएगा, जिससे वैश्विक निवेश और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
रणनीतिक और वैश्विक महत्व:
- यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करता है।
- यह भविष्य के व्यापार समझौतों के लिए एक मॉडल है जो निष्पक्षता, समानता और नवाचार को प्राथमिकता देता है।
- यह भारत की भूमिका को "विश्व मित्र" (Trusted Global Partner) के रूप में स्थापित करता है, जो एक समावेशी और लचीले वैश्विक व्यवस्था के निर्माण में योगदान दे रहा है।
निष्कर्ष:
भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौता वैश्विक आर्थिक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण और दूरगामी कदम है। यह केवल व्यापारिक संबंधों को प्रगाढ़ करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों की दूरदर्शिता, साझा मूल्य और रणनीतिक समझ का प्रतीक भी है। यह समझौता न केवल द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाई देगा, बल्कि रोजगार सृजन, नवाचार और वैश्विक व्यापार व्यवस्था को भी एक नई दिशा प्रदान करेगा।